देहरादून, (ब्यूरो): कॉलेज में एडमिशन प्रॉसेस शुरू होने के साथ ही छात्र नेता भी चुनाव की तैयारी में जुट जाते हैं, वे कॉलेज कैंपस में अलग-अलग माध्यम से स्टूडेंट की सहायता करते हैं। कॉलेज कैंपस की बात करें तो हर बार सीट बढ़ाने से लेकर फैकल्टी बढ़ाने के मुद्दे रहते हैैं। लेकिन, हर साल ये समस्या बढ़ती ही जा रही है। स्टूडेंट्स का कहना है कि यही हमारा सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा है, इसी मुद्दे को लेकर हम कैंपस की सरकार चुनेंगे।
टीचर्स की कमी से जुझ रहे कॉलेज
डीएवी, डीबीएस, एमकेपी और एसजीआरआर पीजी कॉलेज स्टूडेंट्स के मुताबिक हर कॉलेज में सुविधाओं की कमी है। सबसे बड़ी समस्या है टीचर्स की, कई सब्जेक्ट्स के टीचर ही नहीं हैैं। यह समस्या हर साल बढ़ती जा रही है, जिसका प्रतिकूल असर स्टूडेंट्स पर पड़ रहा है। कई टीचर्स के रिटायर होने के बाद नई वैकेंसी नहीं आती और उनकी जगह खाली रह जाती है। तकरीबन हर कॉलेज में 50 परसेंट तक ही टीचिंग स्टाफ अब रह गया है।
नॉन टीचिंग स्टाफ भी कम
स्टूडेंट्स का कहना है कि अगर दून के डिग्री कॉलेजों में पर्याप्त टीचर और बुनियादी सुविधाएं हों तो ये और बेहतर रिजल्ट दे सकते हैैं। शहर में एक मात्र गल्र्स कॉलेज एमकेपी की बात करें तो यहां टीचिंग स्टाफ के 63 पद स्वीकृत हैैं, जिनमें से 49 पद रिक्त हैं। नॉन टीचिंग स्टाफ का भी टोटा है, यहां नॉन टीचिंग के 98 पदों में से केवल 32 कर्मचारी ही रह गए हैं।
टीचर्स की मांग मुख्य मुद्दा
एमकेपी पीजी कॉलेज में स्टूडेंट की संख्या के अनुसार यहां टीचर्स ही मौजूद नहीं हेैैं। हर डिपार्टमेंट में एक-एक टीचर से काम चलाया जा रहा है। एक टीचर सेवानिवृत्त होने के बाद यह पद वर्षों से रिक्त चल रहा है। जबकि, यह सिटी के दूर ग्रामीण इलाके में है।
ये है शिक्षकों की स्थिति
कॉलेज- स्वीकृत पद- रिक्त पद
एमकेपी- 63 - 49
डीएवी- 185 - 57
डीबीएस- 66- 18
एसजीआरआर- 40 - 10
कालेजों में बुनियादी सुविधाएं बढ़ाई जाएं तो ये कॉलेज और बेहतर परीक्षा परिणाम दे सकते हैं। सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री हर रोज हजारों शिक्षकों के भर्ती होने और उच्च शिक्षा की गुणवत्ता की दावे तो कर रहे हैं लेकिन एमकेपी जैसी छात्राओं की कॉलेज में 49 पद शिक्षकों के रिक्त हैं।
- विकास नेगी, प्रदेश अध्यक्ष, एनएसयूआई
बीएससी प्रथम वर्ष में दाखिला लेने के लिए पीसीएम ग्रुप में 95 और 96 प्रतिशत तक कटऑफ जाती है। 17 दिनों तक कॉलेज में टीचर्स और कर्मचारियों के रिक्त पदों के लिए धरना दिया। लेकिन, सरकार ने छात्र आंदोलन को पूरी तरह अनसुना कर दिया। यह उपेक्षा बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है.:-
- नागेन्द्र बिष्ट, छात्र नेता, डीएवी छात्र संघ
इस बारे में उच्च अधिकारियों को जानकारी दी गई है। कई बार रिक्त पदों के बारे में ज्ञापन प्रेषित किया। लेकिन, अब तक कोई नियुक्तियों की शुरुआत नहीं हो पाई है। आशा है कि चालू शिक्षा सत्र में रिक्त पदों पर नियुक्तियां हो जाएंगी.: -
प्रो। एसके सिंह , प्राचार्य , डीएवी पीजी कॉलेज
यहां कई बार शिक्षकों की डिमांड को लेकर पत्र भेजा गया है। यहां पर्याप्त शिक्षक हों। इसके लिए डिमांड भेजी गई है। फिलहाल जो टीचर्स है उन्हीं से काम चलाया जा रहा है। इसके साथ ही बुनियादी सुविधाएं अपग्रेड किए जाने का भी प्रयास किया जा रहा है।
डॉ सरिता कुमार, प्राचार्य, एमकेपी पीजी कॉलेजdehradun@inext.co.in