देहरादून (ब्यूरो)। हवा और पानी के अलावा ध्वनि प्रदूषण भी हेल्थ के लिए बहुत बड़ा जोखिम बनता जा रहा है। अत्यधिक ध्वनि प्रदूषण बहुत से लोगों के व्यवहार में चिडचिड़ापन आने की आशंका रहती है। खासतौर से रोगियों, वृद्धों और गर्भवती महिलाओं के व्यवहार में ध्वनि प्रदूषण चिन्ताजनक रूप से बदलाव लाता है। आमतौर पर अस्पतालों, शिक्षण संस्थानों और अन्य संवेदनशील जगहों के आसपास नो हॉर्न जोन होता है। लेकिन दून में ऐसा नहीं हो पा रहा है। सिटी के सबसे बड़े दून हॉस्पिटल के बाहर ध्वनि प्रदूषण का स्तर बेहद चिन्ताजनक है। भीड़-भाड़ वाले दून चौक पर हर समय वाहनो-की चिल्ला पौं मची रहती है। लेकिन, आज तक यहां नो हॉर्न का एक बोर्ड तक नहीं लगाया जा सका है।
नये वर्ष पर ट्रैफिक पुलिस की पहल
न्यू ईयर पर दून की ट्रैफिक पुलिस ने सिटी में नॉइस पॉल्यूशन कम करने के लिए के लिए कुछ कदम उठाने का फैसला किया है। एसपी ट्रैफिक अक्षय कोंडे ने नये साल में दून को वाहनों से होने वाले पॉल्यूशन को कम करने के लिए कई स्तरों पर काम करने का फैसला लिया गया है। इसमें बिना जरूरत हॉर्न बनाने वालों को चालान करना भी शामिल है।
इन बिन्दुओं पर होगा काम
- मेडिकल एसोसिएशन, खासकर ईएनटी डॉक्टर्स के साथ पार्टनरशिप की जाएगी।
- अन्य सरकारी विभाग जैसे पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, आरटीओ आदि के साथ भागीदारी की जाएगी।
- मोडिफाइड साइलेंसर पर और प्रभावी कार्यवाही करते हुए ऐसा करने वालों के खिलाफ आईपीसी के तहत मुकदमे दर्ज होंगे।
- यदि शहर क्षेत्र में कोई भी वाहन चालक बिना जरूरत हॉर्न बजाते हुए वाहन चलाते पाया जाता है तो उसके विरुद्ध वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।
- स्मार्ट ट्रैफिक सिग्नल टाइमर की तकनीक को इस्तेमाल किया जाएगा। इसके तहत चौराहे पर जिस दिशा से ज्यादा हॉर्न बजाये जाएंगे, उस दिशा के वाहनों को ज्यादा समय रेड लाइट होगी।
- नो हॉर्न के सम्बंध में ज्यादा से ज्यादा लोगों को शिक्षा और प्रचार प्रसार किया जाएगा।
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ट्रैफिक पुलिस हर रोज की जद्दोजहद ट्रैफिक संचालन में ही चलती है। इसी में कुछ लंबे समय के टारगेट रखना और योजनाबद्ध तरीके से उसे पूरा करना जरूरी है। हमारी सभी वाहन चालकों से अपील है कि आवश्यकता पडऩे पर ही हॉर्न का प्रयोग करें। अनावश्यक हॉर्न का प्रयोग कर किसी को परेशानी में ना डालें।
अक्षय कोंडे, एसपी ट्रैफिक