देहरादून (ब्यूरो) डीएम सविन बंसल ने दो टूक निर्देश दिए कि जिले में एक भी बच्चा भिक्षावृत्ति करते हुए दिखना नहीं चाहिए। उन्होंने जिला प्रोबेशन अधिकारी को अभियान का नोडल अधिकारी नियुक्त करते हुए दो वाहनों से 24 घंटे पेट्रोङ्क्षलग कराने के निर्देश दिए। बच्चों को रेस्क्यू कर सरकारी स्कूलों में प्रवेश दिलाने के निर्देश दिए गए। शनिवार रात डीएम ने कलेक्ट्रेट सभागार में जिला प्रशासन, पुलिस, नगर निगम, बाल कल्याण समिति व इस दिशा में काम कर रही स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों की बैठक बुलाई। डीएम ने निर्देश दिए कि देहरादून शहर में कोई बच्चा भिक्षावृत्ति करता न दिखे, इस दिशा में प्रभावी कदम उठाए जाएं। रेस्क्यू किए गए बच्चों को इंटेंसिव केयर सेंटर में भर्ती कराया जाएगा। जहां उन्हें शिक्षा समेत अन्य गतिविधियों से जोड़ा जाएगा। भिक्षावृत्ति व बाल मजदूरी करने वाले बच्चों को रेस्क्यू कर मुख्य धारा व शिक्षा के सर्वांगीण विकास से जोडऩे के निर्देश दिए गए हैं।

भिक्षावृत्ति पर होगी संयुक्त कार्रवाई
इस दिशा में प्रभावी कार्य करने के लिए बाल कल्याण समिति, आसरा ट्रस्ट, समर्पण सोसायटी सहित मुख्य शिक्षा अधिकारी, जिला प्रोबेशन अधिकारी, श्रम विभाग, बाल विकास विभाग, समाज कल्याण, पुलिस आदि को संयुक्त कार्रवाई के निर्देश दिए गए।

एंटी ह्यूमन ट्रैफिङ्क्षकग यूनिट निष्क्रिय
सड़कों पर भीख मांग रहे बच्चों के पुनर्वास के लिए पुलिस विभाग की ओर से वर्ष 2017 में पूरे प्रदेश में Óभिक्षा नहीं शिक्षाÓ अभियान शुरू जरूर किया गया, लेकिन बाद में इसकी सुध लेने का प्रयास किसी अधिकारी की ओर से नहीं किया गया। हालांकि, शुरुआत में अभियान के तहत दून शहर में पुलिस ने 778 बच्चों का स्कूल में दाखिला कराया, पूरे प्रदेश में यह आंकड़ा 3603 रहा था। कुछ बच्चों के स्वजन उन्हें वापस ले गए और फिर भिक्षावृत्ति में धके ल दिया। बच्चों के पनर्वास व बच्चों को भिक्षावृत्ति से मुक्त कराने के लिए गठित गठित एंटी ह्यूमन ट्रैफिङ्क्षकग यूनिट भी निष्क्रिय पड़ी है।

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