देहरादून(ब्यूरो)। 120 मेगावाट के व्यासी हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट से उत्तराखंड को हर साल 353 मिलियन यूनिट बिजली मिलेगी। इसमें से हर रोज 0.72 मिलियन यूनिट बिजली रुटीन टाइम में मिलेगी और जबकि बाकी बिजली पीक आवर्स में दी जाएगी। इस प्रोजेक्ट के चालू हो जाने के बाद उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड को कुछ राहत मिल सकेगी। फिलहाल राज्य के लिए हर दिन 44 मिलियन यूनिट बिजली की जरूरत है, लेकिन यूपीसीएल को केवल 31 मिलियन यूनिट बिजली ही उपलब्ध हो पा रही है। बीते दो दिन व्यासी परियोजना से ट्रायल के तौर में जो बिजली प्रोडक्शन किया जा रहा था, वह पूरी बिजली उत्तराखंड को दी जा रही थी। ट्यूजडे को बिजली ग्रिड को दी जा रही है।
लोहारी के लोग दर-बदर
व्यासी परियोजना ने बिजली उत्पादन बेशक शुरू हो गया है, लेकिन इस बांध से प्रभावित लोहारी गांव के 72 परिवार अब भी खुले आसमान के नीचे गुजरा कर रहे हैं। 5 अप्रैल को गांव के लोगों को 48 घंटे में गांव खाली करने का नोटिस दिया गया था। फिलहाल गांव के लोग सरकारी स्कूल के भवन और कुछ अन्य जगहों पर रह रहे हैं।
पूरा मुआवजा देने का दावा
उधर यूजेवीएनएल का दावा है कि लोहारी के लोगों को भरपूर मुआवजा दे दिया गया है। मुआवजे को कुछ हिस्सा गांव में रहने वाले लोगों के पूर्वजों को दे दिया गया था, जबकि हाल के दिनों में भी मुआवजा दे दिया गया है। यूजेवीएनएल के अधिकारियों के अनुसार गांव के लोगों को सर्किल रेट से 5.5 गुना ज्यादा मुआवजा दिया गया है। पीडब्ल्यूडी ने घरों को जो आकलन किया था, उसका ढाई गुना मुआवजा दिया गया है। हर घर के एक सदस्य को क्लास थर्ड तक की नौकरी ऑफर की गई है। फिलहाल जो लोग किराये के घरों में रहना चाहते हैं, उन्हें 6 महीने तक 7 हजार रुपये प्रति माह किराया दिया जाएगा। हरिपुर कालसी में नेशनल हाईवे के पास गांव वालों के लिए प्लॉटिंग की जा रही है, यहां बिजली, पानी, सड़क आदि की सुविधा दी जाएगी। यूजेवीएनएल के अधिकारियों का यह भी दावा है कि गांव वालों को सामान ले जाने के लिए 50 हजार रुपये किराया दिया जा रहा है और जिन परिवारों के पशु हैं, उन्हें गोशाला बनाने के लिए 2500 रुपये दिये जा रहे हैं।
ग्रामीणों का दावा उलटा
दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने बेघर हुए लोगों की स्थिति को 15 दिन बाद फिर रियलिटी चेक किया तो गांव वाले अब भी पहले जैसी स्थिति में हैं। गांव के गजेन्द्र चौहान ने बताया कि 1972 से 1989 तक गांव के कुछ परिवारों को मुआवजा मिला था, लेकिन उनके पिता को कभी नहीं मिला। गांव वालों ने कुछ कागज दिखाये। ग्रामीणों का दावा है कि गांव को अब तक कुल 9 लाख रुपये मुआवजा मिला है। वह भी उनके पूर्वजों को 17 साल में 9 किस्तों में मिला। वे कहते हैं कि ये 9 लाख रुपये वापस देने के लिए तैयार हैं, उन्हें जमीन के बदले जमीन दी जाए।