देहरादून, ब्यूरो:
जिला हॉस्पिटल में इन दिनोंं जहां गायनी डिपार्टमेंट है। वहां पहले जिला हॉस्पिटल की इमरजेंसी थी। लेकिन, 3 माह पूर्व गांधी शताब्दी हॉस्पिटल से गायनी डिपार्टमेंट को शिफ्ट कर हॉस्पिटल की पुरानी बिल्डिंग में शिफ्ट किया। हॉस्पिटल की इमरजेंसी को नई बिल्डिंग में शिफ्ट किया गया। इसके साथ ही अन्य ओपीडी व अन्य जांच भी नई बिल्डिंग में शिफ्ट किए गए। जिससे पेशेंट को किसी भी तरह की परेशानी न उठानी पड़े।
ये आ रही समस्या
जिला हॉस्पिटल के एंट्री गेट पर पहले से इमरजेंसी डिपार्टमेंट है। यहां बड़े-बड़े अक्षरों में इमरजेंसी भी लिखा हुआ है, जबकि यहां गायनी डिपार्टमेंट है। इमरजेंसी का बोर्ड न हटने के कारण पेशेंट सीधे यहां पहुंच रहे। इनमें गंभीर पेशेंट को ज्यादा परेशानी उठानी पड़ी। जिसके बाद कई बार जल्दबाजी में उन्हें नई बिल्डिंग की इमरजेंसी में भेजा जाता है।
यह भी हुआ मामला
हार्ट अटैक के बाद एक पेशेंट को परिजन हॉस्पिटल की गायनी को इमरजेंसी समझकर लेकर पहुंचे। आनन-फानन में पेशेंट को इमरजेंसी में भेजा। जहां जांच में डॉक्टर ने पेशेंट की मौत की पुष्टि की।
वर्जन
बीती रात मेरे साथी की तबीयत बिगडऩे पर उसे लेकर जिला हॉस्पिटल पहुंचे। यहां एंट्री गेट के पास ही इमरजेंसी का बोर्ड देखकर वहां गए तो पता चला कि यह जच्चा-बच्चा वार्ड है। अगर यहां व्यवस्था बदली थी तो बोर्ड भी बदलना चाहिए था।
सरिता, सीमाद्वार
डायरिया की शिकायत पर जब मैं दोपहर बाद इमरजेंसी में दिखाने पहुंचा। तो यहां जच्चा-बच्चा वार्ड मिला। डॉक्टर व स्टाफ से पता चला यहां से इमरजेंसी को शिफ्ट कर नई बिल्डिंग में भेज दिया गया है।
सुनील, पटेलनगर
------------------
आधुनिक तकनीक से हुई हर्निया की सर्जरी
दून मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में अब आधुनिक तकनीक से सर्जरी का लाभ गरीब पेशेंट भी ले सकेंगे। सबसे पहले डोईवाला निवासी सूरज कुमार का आयुष्मान कार्ड के तहत आधुनिक तकनीक से हर्निया का इलाज संभव हो सका।
लंबे समय से परेशान थे सूरज
सूरज लंबे समय से हर्निया की समस्या से परेशान थे। उन्हें सर्जरी को लेकर चिंता थी कि सर्जरी के बाद उन्हें रोजी-रोटी का संकट तो नहीं होगा। लेकिन दून हॉस्पिटल में पेश्ेांट का ई-टेप तकनीक से सर्जरी की गई। जिसके बाद वह काम पर लौट सकेंगे।
प्राइवेट हॉस्पिटल में होती है ई-टेप सर्जरी
दून मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में पहली बार ई-टेप तकनीक से हर्निया की सर्जरी संभव हो सकी। जबकि इससे पहले यह सर्जरी केवल प्राइवेट हॉस्पिटल में ही संभव थी। आर्थिक तौर से कमजोर पेशेंट को इसका खर्च निकाल पाना मुश्किल होता है। सर्जरी के लिए वरिष्ट लेप्रोस्कोपिस्ट डॉ। अभय कुमार की टीम ने पेशेंट की सर्जरी कर उसे दो दिन बाद घर भी भेज दिया।
वर्जन
बीते माह ही हॉस्पिटल में आधुनिक तकनीक से सर्जरी शुरू कर दी गई है। जिससे पेश्ेांट को जल्द से जल्द ठीक होकर अपनी सामान्य दिनचर्या में लौटने में आसानी हो। अब आयुष्मान में भी इस तकनीक से इलाज शुरू किया गया है।
डॉ । आशुतोष सयाना, प्रिंसिपल, दून मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल