देहरादून(ब्यूरो) : मेहूंवाला के हरभजवाला वाले इलाके में करीब डेढ़ करोड़ की लागत से लगभग तीन बीघा पर एक फिश पार्क बनना था लेकिन, इसी दौरान एक शख्स ने इस निर्माण कार्य पर अपनी जमीन का हवाला देते हुए आपत्ति जता दी। फिर क्या, काम अधर में लटक गया, जिसका पिछले एक महीने से समाधान तक नहीं हो पाया है। ऐसे में अब नगर निगम खुद सवालों के घेरे में है। जानकारों का मानना है कि अगर जिस जमीन पर नगर निगम फिश पार्क बनाने का सपना संजोए हुए था, अगर वह जमीन नगर निगम की है तो वह फोर्सली हटा सकता है। इसके अलावा नगर निगम इस पर पहले से होमवर्क कर सकता था। लेकिन, ऐसा नहीं हुआ। फिलहाल, मामले पर नगर निगम चुपचाप है।
ऐसे होना था काम
-नगर निगम के फिश पार्क प्रोजेक्ट की कीमत करीब 1.50 करोड़
-मेहंूवाला के हरभजवाला में करीब 3 बीघा जमीन पर बनना था पार्क।
-खुद नगर निगम था फिश पार्क निर्माण में कार्यदायी संस्था।
-अचानक किसी व्यक्ति ने इस जमीन के कुछ हिस्से पर कर दी दावेदारी।
-जिस जमीन पर निगम ने किया दावा, उसका हिस्सा करीब 60 मी। तक।
-करीब 1 माह बीत जाने के बाद भी निगम एक कदम आगे नहीं बढ़ पाया।
क्या है मामला
सिटी में सीमित संख्या में पार्कों की संख्या को देखते हुए नगर निगम पार्कों के निर्माण पर जोर दे रहा है। कई एरियाज में मिड सिटी में मौजूद गांधी पार्क की तर्ज पर पार्क डेवलप किए जाने की योजना है। निगम का दावा है कि वे शहरवासियों को ऐसे पार्क मुहैया कराए, जहां मॉर्निंग वॉक से लेकर ओपन जिम की व्यवस्था हो। इसी को देखते हुए निगम प्रशास ने मेहूंवाला के हरभजवाला में अपनी जमीन पर फिश पार्क बनाने का फैसला लिया। कई दिनों तक वर्कप्लान बना, मंजूरी मिली तो काम भी शुरू किया। इसके लिए डेढ़ करोड़ बजट का अलोकेशन भी किया गया। लेकिन, जब इलाके में नगर निगम ने फिश पार्क के लिए बाउंड्रीवॉल व टिनशेड का निर्माण शुरू किया तो अचानक विवाद पैदा हो गया। एक शख्स ने इस जमीन कुछ हिस्से पर अपनी दावेदारी कर दी। उसके बाद पार्क का निर्माण कार्य अधूरे में लटक गया। जिसका अब तक समाधान नहीं हो पाया है।
फिश पार्क का कांसेप्ट लेकर आया था नगर निगम
जिस वक्त नगर निगम इस पार्क के निर्माण की दावेदारी कर रहा था। उस वक्त ये थीम रखी गई थी यहां पर घूमने-फिरने आने वाले लोग कलरफुल फिश को भी करीब से निहार सकें। इसके अलावा वहां पहुंचने वाले लोगों को जॉगिंग, वॉक और ओपन जिम की भी सुविधा मिल सके। लेकिन, ये हो नहीं सका।
पर्याप्त पानी, बनना था अट्रैक्टिव फिश पार्क
नगर निगम के अधिकारियों के अनुसार जिस इलाके में ये फिश पार्क बनना था। वहां पहले धोबी घाट था। वहां पर लगातार पानी की निकासी थी। इसी को देखते हुए नगर निगम ने यहां पर फिश पार्क बनाने की मंजूरी दी थी।
सीएम कर चुके हैं शिलान्यास
प्रोजेक्ट की अहमियत का इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि सीएम इसका शिलान्यास कर चुके हैं। इसलिए इस प्रोजेक्ट को सीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट से जोड़ कर देखा जा रहा है। इस बारे में खुद स्थानीय विधायक विनोद चमोली का कहना है कि वे खुद इस प्रोजेक्ट को देखने के लिए दो बार विजिट भी कर चुके हैं।
एक्चुअल में जमीन कम?
बताया जा रहा है कि जिस वक्त नगर निगम ने इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया। उस दौरान निगम के फाइलों में इस इलाके में जमीन ज्यादा थी। जब विरोध करने वाला व्यक्ति सामने आया, तब स्थिति कुछ और निकली। जानकार बता रहे हैं कि इसी कारण नगर निगम इस प्रोजेक्ट पर अब तक कदम नहीं बढ़ा पा रहा है।
इन इलाकों में बनने हैं स्मार्ट पार्क
-आईटी पार्क
-गणेश विहार
-केदारपुरम
-हरभजवाला
-नेहरू कॉलोनी
-कुठालगेट
-यमुना कॉलोनी
पार्क में ये होगा खास
-जिम
-योगा कॉर्नर
-जॉगिंग ट्रैक
-बच्चों के झूले
-स्मार्ट टॉयलेट
-वाटर फाउंटेन
-किड्स कॉर्नर
-कैंटीन
-रेन शेल्टर
-बास्केटबॉल कोर्ट
-फिश पॉन्ड
हमेशा सवालों के घेरे में रहा नगर निगम
नगर निगम की शहर में कितनी जमीन है, खुद नगर निगम को भी पता नहीं है। कई बार निगम की जमीन पर अतिक्रमण के मामले सामने आए, तब नगर निगम को अपनी जमीन की याद आई। पार्षदों की ओर से अतिक्रमण के मामले उठाए गए। इसके बाद निगम प्रशासन ने अपनी जमीन की पैमाइश के निर्देश दिए। लेकिन, जानकार बताते हैं कि नगर निगम प्रशासन को अपनी जमीन का कोई पता नहीं चल पा रहा है।
निगम की लापरवाही से सीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट पर ब्रेक लगा हुआ है। यहां नगर निगम को चाहिए था कि वे अपनी जमीन का रिकॉर्ड मजबूती से रखे। कागजों में ज्यादा और वास्तविकता में कम जमीन होने के कारण ये समस्या सामने आई है। इसमे निगम को काम करने की जरुरत है।
विनोद चमोली, विधायक धर्मपुर।
फिश पार्क का काम शुरू हो गया था। लेकिन, बाउंड्रीवॉल बनाने के दौरान अचानक किसी ने इस जमीन पर अपना दावा जताया। जिस कारण अब एक जगह काम रुका है। बाकी के हिस्से में काम जारी है। उम्मीद है कि जल्द ही काम पूरा हो जाएगा।
गोपाल राम बिनवाल, अपर नगर आयुक्त, नगर निगम।
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