देहरादून (ब्यूरो) हल्के तूफान से ही शहर के अलग-अलग स्थानों पर सड़कों के किनारे से जानलेवा पेड़ गिरे हैं। इससे यातायात भी प्रभावित हुआ है। शिमला बाईपास में दो वाहनों के ऊपर विशालकाय पेड़ गिर गया था। यह पेड़ पूरी तरह अंदर से खोखला था। हवा के एक झोंके से ही वह रोड पर गिर पड़ा। गनीमत रही कि पेड़ दोनों वाहनों के आगे वाले हिस्से में गिरा। अन्यथा बड़ा हादसा हो सकता था। इससे पूर्व करीब दो माह पहले 27 अप्रैल को भी 16 से 17 पेड़ सड़कों पर गिरे थे। तब भी बात उठी, तो वन विभाग ने सर्वे की बात कहीं, लेकिन बात बात से आगे नहीं बढ़ पाई।

लोगों का सताने लगा डर
चलते वाहनों पर पेड़ गिरने की घटनाओं के सामने आने के बाद लोग डर के साए में जीने लगे हैं। डर सता रहा है कि तेज आंधी-तूफान के दौरान सड़क पर चलने के दौरान कहीं गिरासू पेड़ टूटकर उनके ऊपर न गिर जाए। लोगों का कहना है कि बहुत सारे पेड़ 100 साल पुराने हैं। सरकार को ऐसे पेड़ों को संरक्षित करना चाहिए। इसके लिए हर साल पेड़ों का हेल्थ सर्वे होना चाहिए। इससे जहां पेड़ बचे रहेंगे वहीं लोगों को भी जान का खतरा नहीं होगा।

इन जगहों पर खतरा
चकराता रोड
सहस्रधारा रोड
राजपुर रोड
मालसी
रायपुर
सुद्धोवाला
रिंग रोड
मोहब्बेवाला
मोथरोवाला
दुधली
शिमला बाईपास रोड

पेड़ गिरने से गई थी छात्रा की जान
कुछ वर्ष पहले एक मैराथन कार्यक्रम के दौरान एक छात्रा के ऊपर से पेड़ की टहनी टूटकर गिर गई थी, जिससे छात्रा को जान गंवानी पड़ी। उस वक्त भी इन खोखले, बूढ़े पेड़ों को लेकर सवाल उठे थे। लेकिन, विभाग ने इस ओर कोई कदम नहीं बढ़ाए।

पेड़ गिरने से इस माह दो मौत
इसी महीने 1 जून को रानीखेत में उर्स मेले में तूफान से एक जर्जर पेड़ गिर गया था, जिसमें दबकर एक व्यापारी की मौत हो गई थी। 3 जून को उत्तरकाशी में एक 13 साल की बालिका के ऊपर भी खेत में काम करने के दौरान खोखला पेड़ हवा से गिर गया था, जिससे उसकी मौत हो गई थी।

पेड़ों का हो हर साल हेल्थ सर्वे
- पर्यावरण पर पड़ता है गहरा असर
- पेड़ से मिलती है राहगीरों को छांव
- नई पौध को पेड़ बनने में लगते हैैं 20 से 30 साल
- दून की सड़कों पर 100 साल पुराने हैं कई पेड़
- आंधी-तूफान से हर साल सैकड़ों पेड़ हो जाते हैं बर्बाद
- पेड़ों के रोपण के साथ ही संरक्षण के भी हो प्रयास

बैनर-पोस्टर से पेड़ों को नुकसान
दून में तो पेड़ों के साथ खिलवाड़ की बात भी सामने आ रही है। शहर में शायद ही कोई ऐसा इलाका होगा, जहां पर सरकारी व गैर सरकारी विभागों व इंस्टीट्यूशंस के पोस्टर बैनर पेड़ों पर न चस्पा किए गए हों। पर्यावरणविदों का मानना है कि इससे भी पेड़ कमजोर होकर अंदर से खोखले होकर सूख रहे हैं और अपनी मियाद पूरी नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे लोगों को आईडेंटीफाई करने उनके खिलाफ वन विभाग को कार्रवाई करनी चाहिए।