-शिवालिक एलीफेंट कारिडोर डी-नोटिफाइड व दून-दिल्ली नेशनल हाईवे चौड़ीकरण मामले की सुनवाई एक साथ

-दून-दिल्ली हाईवे चौड़ीकरण मामले में केंद्र सरकार ने हाई कोर्ट में दिया जवाब, अगली सुनवाई आठ सितंबर को

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नैनीताल :

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने दून की शिवालिक एलीफेंट कारिडोर रिजर्व को डी-नोटिफाइड करने व दून-दिल्ली नेशनल हाईवे चौड़ीकरण के खिलाफ दायर अलग-अलग जनहित याचिका पर बुधवार को एक साथ सुनवाई की। इस बीच केंद्र सरकार ने जवाब दाखिल कर बताया कि देहरादून के राजधानी होने के कारण दून-दिल्ली हाईवे का चौड़ीकरण जरूरी है। इसकी जद में जो पेड़ आएंगे, उनके बदले पौधारोपण किया जाएगा। यह पूरी प्रक्रिया नियमानुसार की गई है। वहीं, राज्य सरकार ने कहा कि केंद्र ने हाईवे चौड़ीकरण की जो मंजूरी मांगी थी, वह दी गई। राज्य की इसमें कोई भूमिका नहीं है। मामले में अगली सुनवाई आठ सितंबर को होगी।

जनहित याचिका की थी दायर

देहरादून निवासी रीनू पाल व हल्द्वानी के अमित खोलिया ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर शिवालिक एलीफेंट रिजर्व फारेस्ट को डी नोटिफाइड करने व दिल्ली -देहरादून नेशनल हाईवे चौड़ीकरण को चुनौती दी थी। हाईवे चौड़ीकरण मामले में कहा गया कि रजाजी नेशनल पार्क के इको सेंसटिव जोन का नौ हेक्टेयर क्षेत्रफल प्रभावित हो रहा है। इसमें करीब 2500 साल के पेड़ हैं। कई तो 100 से 150 साल पुराने हैं, जिन्हें राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया गया है। ऐसे में हाईवे चौड़ीकरण पर रोक लगाई जानी चाहिए। मामले में याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता अभिजय नेगी ने बताया कि उत्तराखंड का पेड़ों के निस्तारण के बदले पौधारोपण का रिकार्ड बहुत खराब है। यहां परियोजनाओं से जो नुकसान होता है, उसका फायदा दूसरे राज्य उठाते हैं।