- दून के एसटीपी से ट्रीट होकर करीब 35 मीलियन लीटर डेली पानी का नहीं हो रहा कोई यूज
- एसटीपी से ट्रीटेट पानी का हो सकता है निर्माण, सिंचाई, गार्डनिंग में यूज
देहरादून, ब्यूरो: आलम यह है कि भीषण गर्मी में 100 से अधिक इलाकों में पानी कि किल्लत वाले स्थान आइडेंडीफाई किए गए हैं। वहीं दूसरी ओर तकरीबन एसटीपी से ट्रीटेट वाटर नदियों में फालतू बह रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस पानी को निर्माण कार्यों, सिंचाई समेत अन्य कार्यों में यूज में लाया जा सकता है। अभी इन कार्यों में पीने के पानी को इस्तेमाल किया जा रहा है। यदि सिंचाई आदि के लिए एसटीपी का पानी यूज किया जाए, तो पीने का करोड़ों लीटर पानी को रोजाना बचाया जा सकता है।
ट्रीटमेंट के बाद क्लीन वाटर
खास बात यह है कि अभी तक यही पता है कि एसटीपी से ट्रीटमेंट वाटर में भी सीवर बहता है। ये पानी पूरी तरह गंदा होता। लेकिन हम दावे के साथ कह सकते हैं सीवर में फीकल कालीफॉम की मात्रा लाखों में होती है, लेकिन सीवर ट्रीटमेंट के बाद 68 मिलियन लीटर डेली (एमएलडी) सीवर प्लांट कारगी का ट्रीटेट वाटर का फीकल कालीफॉम 1000 एमपीएम प्रति एमएल तक है। यही नहीं इस पानी का बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) 10 तक है। जो काफी मानकों के अनुरूप है।
35 एमएलडी पानी बह रहा फालतू
दून में मौजूद 115 एमएलडी सीवर प्लांट से ट्रीटेट होकर निकलने वाला वेस्ट वाटर बिंदाल और रिस्पना नदी में फालतू बह रहा है। जबकि इसे उपयोग में लाया जा सकता है। जल संस्थान के जीएम मुख्यालय डीके सिंह का कहना है कि एसटीपी के बाहर फिलिंग प्वाइंट बनाया गया है। यहां से कोई भी विभाग या फिर निजी व्यक्ति टैंकर से फ्री में पानी ले जा सकते हैं।
29 एमएलडी एसटीपी का निर्माण
एडीबी भी रायपुर, टीएचडीसी यमुना कालोनी, बंजारावाला, दौड़वाला, इंद्रापुरी क्षेत्र में तकरीबन 146 किमी। सीवर लाइन बिछा रहा है। साथ ही दुल्हनी नदी पर 18 और इंद्रापुरी में 11 एमएलडी एसटीपी का निर्माण भी एडीबी द्वारा किया जा रहा है। अभी तो मिड सिटी में ही सीवर लाइन कनेक्ट है आउटर के इलाकों में भी सीवर लाइनें बिछाई जा रही है, जिसके बाद आने वाले समय में एसटीपी की क्षमता दोगुनी हो जाएगी।
पीने का पानी हो रहा इस्तेमाल
अभी तक पीने के पानी का बाथरूम से लेकर सिंचाई, गार्डंनिंग, कंस्ट्रक्शन, फायर व अन्य कार्यों में इस्तेमाल हो रहा है। इसमें यदि एसटीपी का पानी इस्तेमाल किया जाए तो पीने का करोड़ों लीटर पानी को बचाया जा सकता है। इस बार पानी की क्राइसिस को देखते हुए जल संस्थान भी एक्टिव हो गया है। जल संस्थान विभागों के साथ ही निजी स्तर पर भी लोगों को एसटीपी का पानी यूज करने की सलाह दे रहा है। साथ ही इसके लिए भविष्य में योजना भी बना रहा है।
एसटीपी का पानी ऐसे हो सकता है यूज
- आग बुझाने में
- बिल्डिंग्स निर्माण में
- गार्डनिंग में
- रोड साइट प्लांटेशन में
- रोड पर धूल से बचने को छिड़काव में
- कार, कपड़े व अन्य धुलाई कार्यों में
दून में संचालित एसटीपी पर एक नजर
नाम एमएलडी
मोथरोवाला - 20.00
मोथनोवाला-2 - 20.00
कारगी - 68.00
इंदिरा नगर - 5.00
जाखन - 1.00
सालावाला - 0.71
विजय कालोनी - 0.42
कुल क्षमता - 115.13
इस बार पानी की किल्लत ज्यादा सामने आ रही है। यह सही बात है कि एसटीपी का पानी फालतू नदियों में बह रहा है, जिसे इस्तेमाल में लाकर नैचुरल वाटर को बचाया जा सकता है। इसके लिए जल्द कार्ययोजना बनाई जाएगी।
डीके सिंह, जीएम मुख्यालय, जल संस्थान
अब तो रुकनी ही चाहिए पानी की बरबादी
पानी की किल्लत महसूस की जा रही है। जिस तरह के हालात हैं उससे आने वाले समय में बूंद-बूंद पानी के लिए तरसना पड़ सकता है। भविष्य में पानी की कमी न हो इसके लिए अभी से प्रयास होने चाहिए।
नवीन कुमार सडाना, सोशल एक्टिविस्ट हर साल अंडर ग्राउंड वाटर लेवल नीचे खिसकता जा रहा है। इसका एक कारण पानी का अंधाधुंध दोहन है। बोरिंग करके ग्राउंड वाटर बड़ी मात्रा में निकाल कर उसे बरबाद किया जा रहा है, जिस पर रोक लगनी चाहिए।
राकेश उनियाल, रिटायर्ड जीएम, जल संस्थान
यदि एसटीपी का पानी शुद्ध है और उसे यूज में लाया जा सकता है। इससे अच्छी बात क्या हो सकती है। इसके लिए सरकार को कोई ठोस नीति बनानी चाहिए, ताकि लोगों को आसानी से यह पानी उपलब्ध हो सके।
मनोज कांबोज, सोशल वर्कर
यदि अभी से पानी की बरबादी को नहीं रोका गया, तो आने वाले समय में हालात बहुत खराब होंगे। पानी के स्रोतों के संवद्र्धन के साथ ही नेचूरल संसाधनों को बचाना होगा। एसटीपी का पानी यूज में लाने की कवायद अच्छी पहल है।
अनूप नौटियाल, अध्यक्ष, एसडीसी फाउंडेशन