- हेल्थ डिपार्टमेंट रखेगा एक-एक एंबुलेंस पर नजर
- जीपीएस से लैस होंगी एंबुलेंस, कंट्रोल रूम से मॉनिटरिंग
देहरादून:
स्वास्थ्य महकमा अब एंबुलेंस मॉनिटरिंग के लिए इंटीग्रेटेड कंट्रोल एवं कमांड रूम स्थापित करेगा। सभी एंबुलेंस वाहनों में जीपीएस सिस्टम भी लगाया जाएगा। मकसद यह कि दुर्घटना एवं अन्य आपात स्थिति में घटनास्थल के सबसे नजदीक उपलब्ध एंबुलेंस को तत्काल मौके पर भेज कर फौरी मदद दी जा सके।
278 एंबुलेंस की होगी मॉनिटरिंग
प्रदेश में आपात स्थिति से निबटने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने हर जिले में ट्रामा सेंटर बनाए हैं। इसके साथ ही विभाग के पास 135 एंबुलेंस हैं और 108 एंबुलेंस सेवा के अंतर्गत प्रदेश के विभिन्न स्थानों में 278 एंबुलेंस संचालित हो रही हैं। कई बार यह देखने में आया है कि फोन करने के बाद भी समय पर एंबुलेंस नहीं मिल पाती है। कई बार एंबुलेंस की लोकेशन दूर बता कर भी सेवा उपलब्ध कराने से पल्ला छुड़ाने का प्रयास किया जाता है। इससे मरीज और पीडि़तों को काफी परेशानी होती है। यह बात देखने में आई है कि दुर्घटना के तुरंत बाद के एक घंटे में पीडि़त को यदि सहायता मिल जाए तो उसकी जान बचाई जा सकती है। इसे गोल्डन आवर कहा जाता है।
रोड सेफ्टी के लिए उठाया कदम
कुछ समय पहले मुख्य सचिव एसएस संधु ने राज्य सड़क सुरक्षा के संबंध में बैठक की थी। इस दौरान उन्होंने दुर्घटनाओं में होने वाली मृत्यु की संख्या को लेकर चिंता जताई। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिए कि राज्य की वर्तमान में उपलब्ध सभी निजी एवं सरकारी एंबुलेंस वाहनों को हेल्पलाइन नंबर 108 से जोड़ा जाए। सभी में जीपीएस लगाया जाए। इनकी निगरानी के लिए इंटीग्रेटेड कमांड एवं कंट्रोल रूम स्थापित किया जाए। इस कंट्रोल रूम में ऐसी व्यवस्था की जाए कि यहां की टीवी स्क्रीन पर भी एंबुलेंस की लोकेशन नजर आती रहे। कहीं भी दुर्घटना एवं अन्य आपात स्थिति की सूचना मिलने पर कंट्रोल रूप के सहयोग से एंबुलेंस को दुर्घटना स्थल तक तत्काल भेजा जाए। यहीं से इन्हें नजदीकी ट्रामा सेंटर तक पहुंचाया जाए, ताकि पीडि़तों को समय से उपचार मिल सके। मुख्य सचिव के निर्देशों के क्रम में अब विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है।