देहरादून ब्यूरो। जब आप क्लॉक टावर से राजपुर रोड की तरफ जाते हैं और कांग्रेस भवन के सामने वाले चौक से रायपुर रोड की तरफ मुड़ते हैं तो मुड़ते ही गांधी पार्क के उत्तरी छोर पर रायपुर से आते लेफ्ट टर्न और चौक के बीच पीले बांस का एक झुरमुट नजर आता है। बांसों के झुरमुट वाला यह तिकोने आकार को जमीन का टुकड़ा ही फस्र्ट वल्र्ड वार मेमारियल है। फौरी नजर में यहां आपको बांस का झुरमुट, झाडिय़ां और दो बिजली के ट्रांसफार्मर दिखाई देंगे। लेकिन गौर से देखेंगे तो एक स्मारक स्तंभ और नेहरू की प्रतिमा भी नजर आएगी।
97 शहीदों की सूचना
वार स्मारक के रूप में इस उपेक्षित पड़े जमीन के टुकड़े पर एक स्तंभ है, जिसमें मार्बल पत्थर पर ग्रेट वार 1914-1919 में दून टाउन के 97 लोगों के शहीद होने की सूचना उकेरी गई है। पास ही मार्बल की एक प्रतिमा है, जो गुलाब का फूल लगा होने के कारण पहले पीएम जवाहर लाल नेहरू की प्रतीत होती है। जमीन के इस तिकोने हिस्से को लोहे की ग्रिल से कवर किया गया है। मेमोरियल पर बांस के झुरमुट के अलावा झाडिय़ां हैं। बिजली का ट्रांसफार्मर है और अस्त-व्यस्त पड़ी बिजली की केबल हैं। अंदर जाने के लिए कोई रास्ता तक नहीं है। कांग्रेस भवन ठीक सामने होने के बावजूद कांग्रेस नेता कभी यहां लगी नेहरू जी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करने तक नहीं जाते।
उपेक्षा पर निराशा
दून के इतिहास में रुचि रखने वाले जन विज्ञान समिति के विजय भट्ट और इंद्रेश नौटियाल बिसार दी विरासत के इस अभियान में दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के साथ बने हुए हैं। दोनों साइकिल और बाइक से दून के विरासतों को तलाशने में जुटे हुए हैं। उनका कहना है कि इस वॉर मेमोरियल के बारे में उन्हें भी कोई जानकारी नहीं थी। एक दिन गांधी पार्क से गुजरते हुए बांस के झुटमुट के अंदर शहीद स्तंभ को पिछला हिस्सा नजर आया। झाडिय़ों से होकर किसी तरह अंदर गये तो पता चला कि यह फस्र्ट वल्र्ड वार के शहीदों का स्मारक है। इस स्मारक की उपेक्षा से दोनों आहत है। उनका कहना है कि यह विरासत का अपमान है। सरकार का चाहिए कि इसका सौन्दर्यीकरण करे। बिजली विभाग ने जिस तरह से इस मेमोरियल पर कब्जा किया है, यह ठीक नहीं है। कब्जा तुरंत हटा दिया जाना चाहिए।