- पीडब्लयूडी की समझ से भी परे, आखिर कैसे हो इसका परमानेंट ट्रीटमेंट
- कई सालों से विभाग कर रहा है मंथन, दून-मसूरी हाईवे पर बना है नासूर
देहरादून (ब्यूरो): शुक्र है कि इस क्षेत्र में अब तक कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ, लेकिन कई सालों से ये सिलसिला चला आ रहा है। खुद पीडब्ल्यूडी विभाग इस लैंडस्लाइड के परमानेंट इलाज पर जुटा हुआ है, लेकिन अब तक इसका सॉल्यूशन नहीं ढूंढ पाया है। यह वही दून-मसूरी मार्ग है जहां वर्षभर रोजाना हजारों वाहनों की आवाजाही लगी रहती है। मानसून में आए दिन होने वाले लैंडस्लाइड से किसी बड़ी अनहोनी से इनकार नहीं किया जा सकता।
ट्रीटमेंट के लिए कई तकनीकी परीक्षण
लगातार दरक रही पहाड़ी यात्रियों के लिए नासूर बनती जा रही है। ट्रैफिक के लिए परेशानियों का सबब बनी गलोगी पावर हाउस के पास के लैंडस्लाइड के ट्रीटमेंट के लिए कई विभाग पीडब्ल्यूडी ने मिट्टी की टेस्टिंग करा चुका है। यही नहीं कई वैज्ञानिक तकनीक से परीक्षण भी करा लिया है, लेकिन आज तक कोई परमानेंट सॉल्याूशन नहीं मिल पाया है। बारिश के दौरान यहां से गुजरना मौत को गले लगाने से कम नहीं है। कब पहाड़ी से कोई बोल्डर गिरकर जान ले ले, कहा नहीं जा कसता। हालांकि यहां पर अभी तक दर्जनों वाहन पहाड़ी से आने वाले मलबे से क्षतिग्रस्त भी हो चुके हैं। हर मानसून में यहां पर जेसीबी के साथ पुलिसकर्मी तैनात रहते हैं, लेकिन यहां पर लगने वाला लंबा जाम लोगों के परेशानी का सबब बना हुआ है।
5 साल से दरक रही पहाड़ी
दून से करीब 20 किमी। की दूरी पर स्थित गलोगी का पहाड़ पिछले 5 साल से दरक रहा है। लंबे समय से ट्रीटमेंट कार्य न होने से आए दिन पत्थर और मलबा गिर रहा है। यही नहीं लगातार आ रहे मलबे से सड़क के नीचे भी बड़े एरिया में लैंडस्लाइड का दायरा बढ़ गया है, जिससे बड़ी आबादी को खतरा बना हुआ है। नासूर बना यह लैंडस्लाइड जोन लगातार खतरा बना है। लगता है जब तक किसी की जान नहीं जाएगी शायद तब तक सरकार जागने वाली नहीं है।
जान हथेली पर रख कर सफर
इस लैंडस्लाइड जोन पर कब ऊपर से बोल्डर आ जाए, कोई पता नहीं। कई बार लोग यहां पर चोटिल हो चुके हैं। कांगे्रस नेता लाल चंद शर्मा ने कहा कि कई बार यह मुद्दा उठाया गया, लेकिन सरकार इस पर मौन बनी हुई है। सरकार ने यात्रियों को उनके हाल पर छोड़ दिया है। पूर्व में यहां पर कुछ लोग भी पहाड़ी से आने वाले मलबे की चपेट में भी आए हैं, लेकिन सरकार इस पर कतई ध्यान हनीं दे हरी है। पीडब्ल्यूडी विभाग भी सोया हुआ है।
गलोगी पहाड़ी के ट्रीटमेंट की कार्रवाई की जा रही है। इसके लिए शासन से 21.70 करोड़ के बजट की मांग की गई थी, जिसकी स्वीकृति मिल चुकी है। बरसात के बाद ट्रीटमेंट कार्य शुरू किया जाएगा।
जितेंद्र तिवारी, अधिशासी अभियंता, पीडब्ल्यूडी
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