देहरादून ब्यूरो। एसटीएफ के एसएसपी आयुष अग्रवाल के अनुसार हल्द्वानी निवासी एक रिटायर्ड डॉक्टर खुद को ट्रेजरी ऑफिसर बताकर 10 लाख 50 हजार रुपये की धोखाधड़ी किये जाने शिकायत दर्ज करवाई थी। जांच में पता चला कि ठगी गई रकम कोलकाता और बिहार में अलग-अलग एटीएम से निकाली गई है। इस जानकारी के बाद टीम को तुरंत कोलकता और बिहार भेजा गया।
15 दिन तक जमी रही टीम
एसटीएफ की टीम 15 दिन तक बिहार और कोलकाता में जमी रही। इस दौरान उन सभी एटीएम के सीसीटीवी कैमरे खंगाले गये, जिनसे रकम निकाली गई थी। इस जांच में एक संदिग्ध व्यक्ति दिखा। आरोपी की गिरफ्तारी के लिए एसटीएफ ने बिहार के हाजीपुर, वैशाली और वेस्ट बंगाल के कोलकता के कई इलाकों में छापे मारी की। तमाम तरह की जानकारियां लेने के बाद आरोपी की पहचान अभिषेक शॉ पुत्र अरुण शॉ निवासी विदुपुर जिला वैशाली बिहार के रूप में हुई। एसटीएफ ने आखिकार उसे कोलकाता में एक फ्लैट से गिरफ्तार किया।
पहले भी जा चुका जेल
एसटीएफ के अनुसार पकड़े गये साइबर ठग को भी कोलकाता पुलिस पहले भी साइबर ठगी के आरोप में जेल भेजा जा चुकी है। जेल से छूटने के बाद वह अपना काम और भी शातिर तरीके से करने लगा। पुलिस से बचने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाता था। कोलकता से गिरफ्तार कर उसे ट्रांजिट रिमांड पर उत्तराखंड लाया गया था। साइबर ठग का कहना है कि उसे विश्वास नहीं था कि पुलिस उस तक पहुंच पाएगी।
ऐसे करता था ठगी
आरोपी ने पूछताछ में बताया कि वह रिटायर्ड लोगों को फोन कर उनसे ट्रेजरी आफिसर के रूप में बात करता था। इसके बाद उनके व्हाट्सएप पर पेंशन भुगतान संबंधी फार्मेट भेजे जाते थे। पेंशन के सभी देयकों का भुगतान करवाने के झांसे में लेकर उनके मोबाइल का एक्सेस लेकर सिम स्वेपिंग कर ली जाती थी। इसके बाद उनके इंटरनेट बैंकिंग का एक्सेस लेकर उनके खाते में जमा रकम विभिन्न खातों में ट्रांसफर करवा ली जाती थी। खातों में इंटरनेट बैंकिंग के जरिये मोबाईल नम्बर बदलकर धनराशि प्राप्त कर ली जाती थी। आरोपी नेटवर्क मार्केटिंग में काम कर चुका है, जिसकी वजह से बातचीत करने और लोगों को कन्विंस करने में एक्सपर्ट है।
आरोपी की पहचान
अभिषेक शॉ पुत्र श्री अरुण शॉ निवासी 54 हरीश मुखर्जी रोड, भवानीपुर थाना कालीघाट कोलकाता। हाल निवासी 5/1 ए। डॉ। जीएस बोस रोड, पुलिस स्टेशन कस्बा कोलकाता। मूल निवासी ग्राम बिदुपुर थाना बिदुपुर जिला वैशाली बिहार। उम्र 22 साल।