देहरादून (ब्यूरो) केंद्रीय भूजल बोर्ड की माने तों पिछले 15 साल में 16 मीटर नीचे खिसक गया है। हर साल गर्मी में पानी के लिए हाहाकार मचने लगा है। लगातार वाटर टेबल में गिरावट दर्ज होने के बाद सारा का गठन किया है। इसका नोडल विभाग जलागम को बनाया गया है। रेन वाटर हार्वेस्टिंग के जरिए स्प्रिंग, स्रोत व नदियों के संरक्षण एवं पुनरुद्धार के लिए सारा ने कार्ययोजना पर काम शुरू कर दिया है।

स्रोत व नदियों का बनेगा एटलस
इस योजना के तहत अंतर्गत राज्य से लेकर ग्राम स्तर तक चार समितियां गठित की जाएंगी। राज्य में सभी नौले-धारे व नदियों का एटलस तैयार कर वर्षा जल संरक्षण के उपायों के दृष्टिगत मास्टर प्लान बनाया जाएगा। वर्षा का पानी रोकने के लिए नदियों के उद्गम से लेकर आखिर छोर तक के कैचमेंट एरिया में हजारों की संख्या में चेकडैम बनाने के साथ ही जल संरक्षण में सहायक पौधों का रोपण किया जाएगा। जलस्रोतों के सूखने व लगातार जल स्तर कम होने से सरकार की चिंता बढ़ गई है।

500 पेयजल योजनाएं सूखी
नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में 300 से अधिक जलस्रोत या तो सूख चुके हैं या सूखने के कगार पर हैं। यही नहीं, 500 के लगभग पेयजल योजनाएं ऐसी हैं, जिनके स्रोत पर 90 प्रतिशत तक पानी कम हुआ है। इसके अलावा सैकड़ों स्रोत सूखने के कगार पर है। इस सबको देखते हुए अब सरकार ने वर्षा जल संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करने की ठानी है। वैसे भी राज्य में प्रतिवर्ष औसतन 1529 मिलीमीटर वर्षा होती है, जिसमें 1221 मिलीमीटर का योगदान अकेले मानसून सीजन का है। यदि इस वर्षा जल को सहेज लिया जाए तो पेयजल संकट से निजात मिल सकती है।

अथॉरिटी के लिए 195 पद स्वीकृत
सारा के लिए 195 पदों की स्वीकृति दी गई है। सारा का गठन जलागम निदेशालय के अंतर्गत सोसायटी के रूप में पंजीकृत किया जाएगा। सारा के तहत चार समितियां गठित होंगी। उच्चाधिकार प्राप्त समिति मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित होगी, जबकि राज्य स्तरीय कार्यकारी समिति जलागम के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव अथवा सचिव की अध्यक्षता में होगी। इसके अलावा प्रत्येक जिले में डीएम की अध्यक्षता में जिला स्तरीय कार्यकारी समिति होगी। ग्राम स्तरीय समिति में महिला समूहों की दो सदस्य भी शामिल की जाएंगी। ग्राम स्तर पर धारा स्रोत संरक्षण समितियां ग्राम प्रधानों की अध्यक्षता में गठित की जाएंगी।

मॉनिटरिंग को बनेगा डैश बोर्ड
सारा के तहत संचालित होने वाली योजनाओं के वित्त पोषण के लिए बाह्य सहायतित योजनाओं की मदद भी ली जाएगी। सारा के माध्यम से स्रोत व नदियों में वर्षा जल संरक्षण के लिए बनने वाली चेकडैम निर्माण समेत अन्य योजनाओं के मूल्यांकन व अनुश्रवण के लिए डैश बोर्ड भी बनेगा। इस कार्य का जिम्मा बाह्य मूल्यांकन एजेंसी को दिया जाएगा।

राज्य में जल स्रोतों पर एक नजर
स्रोत 4630
गधेरे 3453
स्प्रिंग 1180
टोटल 9263


जल स्रोतों के संरक्षण और संवद्र्धन के लिए सारा का गठन किया गया है। इसमें जल से जुड़े सभी विभागों को सदस्य बनाया गया है। रेन वाटर हार्वेस्टिंग के जरिए स्प्रिंग, स्रोतों व नदियों को पुनर्जीवित करके काम शुरू कर दिए गए हैं।
आनंद वद्र्धन, सीईओ, सारा

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