देहरादून ब्यूरो। इस वर्ष मार्च का महीना लगभग सूखा जाने की आशंका बनी हुई है। देहरादून में पिछले 10 वर्षों में पहली बार मार्च सूखा जा सकता है। मौसम विभाग के अनुसार मार्च के महीने के दौरान उत्तराखंड के कई जिलों में शुष्क मौसम की स्थिति के कारण मैक्सिमम और मिनिमम टेंपरेचर बढ़ रहा है। कई जगहों पर टेंपरेचर नॉर्मल से 4 से 7 डिग्री सेल्सियस ऊपर पहुंच गया। पिछले 32 वर्षों के बारिश के आंकड़े बताते हैं कि मार्च महीने में 2004 में राज्य में बारिश नहीं हुई थी। इससे पहले 1994 में 1 मिमी (-98 परसेंट) और 2009 में 2 मिमी (-96 परसेंट) बारिश हुई थी। इस वर्ष अब तक 2 मिमी (- 96 परसेंट) बारिश हुई है।
37.2 डिग्री ऑल टाइम रिकॉर्ड
दून में मार्च के महीने में मैक्सिमम टेंपरेचर का ऑल टाइम रिकॉर्ड में 28 मार्च 1892 के नाम है, जब टेंपरेचर 37.2 डिग्री सेल्सियस रहा था। इसके अलावा पिछले वर्ष यानी 2021 में मैक्सिमम टेंपरेचर 30 मार्च को 36.1 डिग्री सेल्सियस रहा था।
क्या है संभावना
मौसम विभाग के अनुसार वेदर फॉरकास्ट मॉडल नॉर्थ वेस्ट विंड का संकेत दे रहा है। इसके असर से उत्तराखंड में 24 मार्च से 2 अप्रैल 2022 तक सूखी हवाएं चल सकती हैं। इससे टेंपरेचर में 3 तक की बढ़ोत्तरी होने की संभावना है। मैदानी इलाकों मैक्सिमम टेंपरेचर 37 से 38 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है। पर्वतीय क्षेत्रों में भी टेंपरेचर में बढ़ोत्तरी हो सकती है।
फॉरेस्ट फायर व एवलांच
मौसम विभाग के अनुसार 27 मार्च से मैक्सिमम टेंपरेचर में बढ़ोत्तरी के कारण राज्य के मध्यवर्ती जिलों में फॉरेस्ट फायर की घटनाओं के लिए मौसम अनुकूल होगा। राज्य सरकार के अधिकारियों को सलाह दी गई है कि वे संवेदनशील क्षेत्रों में फॉरेस्ट फायर कंट्रोल करने की तैयारी करें। उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बर्फ पिघलने की संभावना है और 27 मार्च के बाद उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, पिथौरागढ़ और बागेश्वर जिलों के ऊंचे इलाकों में एवलांच जैसी परिस्थितियां बन सकती हैं।
अब तक 45 फॉरेस्ट फायर
इस बीच पिछले दो दिनों से राज्य में फॉरेस्ट फायर की घटनाओं में बढ़ोत्तरी हुई है। 15 मार्च तक फॉरेस्ट फायर की 29 घटनाएं हुई थी। इसके बाद 20 मार्च तक कुल 33 घटनाएं दर्ज की गई थी। थर्सडे शाम तक फॉरेस्ट फायर की 45 घटनाएं दर्ज की जा चुकी हैं जिनमें 1,26,200 रुपये के नुकसान का अनुमान लगाया गया है।