देहरादून (ब्यूरो) इन स्थानों पर विशेष रूप से नजर रखी जाएगी। इसके साथ ही सभी जिलों में 113 बाढ़ सुरक्षा चौकियां स्थापित की जा रही हैं, जो 15 जून से सक्रिय होंगी। इसके अलावा 13 जलाशयों व 14 नदियों की निगरानी की जाएगी। विभाग ने सभी जिलों में नोडल अधिकारी भी नामित कर दिए हैं। बाढ़ चौकियां 15 जून से एक्टिव होंगी।
बरसात में रेस्क्यू चुनौतीपूर्ण
रेनी सीजन के करीब 3 महीने बेहद चुनौतीपूर्ण होते हैं। इस दौरान अतिवृष्टि, भूस्खलन, बादल फटने जैसी घटनाओं के साथ ही नदियों का बहाव भयभीत करता है। नदियों में बाढ़ के कारण कारण तमाम क्षेत्रों में कृषि भूमि को क्षति पहुंचने समेत आबादी वाले क्षेत्रों में जलभराव का खतरा बना रहता है। हजारों लोग बरसात के दौरान होने वाली घटनाओं की चपेट में आकर प्रभावित होते हैं। बरसात के दौरान रिस्क्यू अभियान चलाना भी चुनौतीपूर्ण बन जाता है।
बाढ़ कंट्रोल रूम से नजर
बारिश से नदी-नालों के आस-पास के इलाके सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। बाढ़ व जलभराव का खतरा लगातार बना रहता है। ङ्क्षसचाई विभाग ने इस मानसून सीजन में बाढ़ और जलभराव की दृष्टि से सभी जिलों में ऐसे संवेदनशील स्थल चिन्हित किए हैं। विभाग इन स्थलों पर बरसाती सीजन में बराबर नजर रखेगा। जिलों के बाढ़ नियंत्रण कक्ष से राज्य स्तरीय नियंत्रण कक्ष को लगातार इस संबंध में सूचनाओं का आदान-प्रदान किया जाएगा, ताकि आपात स्थिति से निबटने के लिए प्रभावी कदम उठाए जा सकें।
बाढ़ चौकियों से मिलेगा अलर्ट मैसेज
मानसून के दृष्टिगत सभी जिलों में स्थापित की जा रही बाढ़ चौकियों के माध्यम से किसी तरह की आपात स्थिति उत्पन्न होने की दशा में अलर्ट मैसेज भी मिलेगा। बाढ़ चौकियों में इसकी व्यवस्था की गई है। इसके साथ ही चौकियों में तैनात कर्मचारियों के पास संबंधित क्षेत्र के ग्राम प्रधानों समेत अन्य जनप्रतिनिधियों के मोबाइल नंबर भी होंगे। इनके माध्यम से आपदा की स्थिति में सूचना तत्काल संबंधित क्षेत्र तक पहुंचाई जाएगी। यही नहीं, बचाव एवं राहत कार्यों में स्थानीय लोगों की मदद भी ली जाएगी।
ऐसे चलेगा रेस्क्यू अभियान
- सिंचाई विभाग की टीम नदी-नालों के जल स्तर पर रखेगी विशेष नजर
- पानी बढऩे पर आस-पास के संबंधित इलाकों को किया जाएगा अलर्ट
- 113 बाढ़ चौकियां स्थापित, दून में सर्वाधिक 51 सेंसिटिव स्पांट आइडेंटीफाई
- फ्लड आने पर संभावित इलाकों को कराया जाएगा खाली
- शहरी क्षेत्रों में निकाय और ग्रामीण इलाकों में ग्राम प्रधानों से ली जाएगी मदद
- आपदा प्रबंधन से कनेक्टेड रहेगी बाढ़ चौकियां, पुलिस को भी दी जाएगी बराबर सूचना
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