देहरादून (ब्यूरो)। उत्तराखंड गठन के बाद हुए विस चुनाव में भी दून जिले में हर बार किसी न किसी सीट से महिला उम्मीदवार मैदान में उतरी। लेकिन, हर बार उन्हें हार का ही सामना करना पड़ा। वर्ष 2007 के विस चुनाव में भी चकराता विस सीट से बतौर निर्दलीय मैदान में उतरीं मधु चौहान विधानसभा नहीं पहुंच पाई थीं। 2012 के विस चुनाव में भी कोई महिला विधायक नहीं बनी। जबकि, वर्ष 2017 के चुनाव में चकराता सीट से भाजपा ने मधु चौहान को कांग्रेस प्रत्याशी प्रीतम सिंह के विरुद्ध मैदान में उतारा, इस बार भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। ऐसे ही मसूरी सीट पर कांग्रेस ने प्रत्याशी गोदावरी थापली को चुनाव मैदान में उतारा था, उन्हें भी हार का सामना करना पड़ा था। महिला प्रत्याशियों को बार-बार मिलने वाली हार के इस तिलिस्म को आखिर इस बार बीजेपी कैंडीडेट सविता कपूर ने तोड़ डाला।
1977 में उतरी थी पहली महिला
वर्ष 1952 से 2022 तक दून में 76 महिला प्रत्याशी विधानसभा चुनाव लड़ चुकी हैं। जिले में वर्ष 1977 में पहली मर्तबा किसी महिला ने चुनावी मैदान में उतरने का साहस दिखाया था। तब निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर राजकुमारी ने चुनाव लडा, लेकिन वह हार गई थीं।
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