देहरादून, (ब्यूरो): दून मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल के रेडियोलॉजी ब्लॉक में मंडे सुबह करीब साढ़े 10 बजे अचानक आग लग गई, जिससे वहां अफरातफरी मच गई। चारों तरफ धुआं फैल गया और दम घुटने जैसी स्थिति पैदा हो गई। राहत की बात ये रही कि स्टाफ की सूझबूझ से बड़ा हादसा टल गया। समय रहते आग पर काबू पा लिया गया। हालांकि, इस दौरान स्टोर में रखी रेडियोग्राफिक फिल्में, कैसेट, कंट्रास्ट, फर्नीचर, एसी, कंप्यूटर, ङ्क्षप्रटर व कई दस्तावेज भी जल कर राख हो गए। घटना को लेकर अस्पताल प्रशासन ने रेडियोलॉजी के एचओडी से पूरे मामले की रिपोर्ट मांगी है।

स्टोर रूम में हुआ तेज धमाका

बताया गया है कि सुबह रेडियोलॉजी ब्लॉक के फस्र्ट फ्लोर पर स्थित स्टोर रूम में तेज धमाका हुआ। आग का कारण शॉर्ट सर्किट बताया जा रहा है। कुछ ही देर में बाहर पूरी गैलरी में धुआं भर गया। इस दौरान आईपीडी के करीब 25 पेशेंट्स व उनके तीमारदार वहीं मौजूद थे। इसी दौरान रेडियोलॉजिस्ट डॉ। अवंतिका रमोला भीतर अल्ट्रासाउंड कर रही थीं। जैसे ही आग की सूचना मिली, स्टाफ एक्टिव हो गया। आनन-फानन में रेडियोलॉजी ब्लॉक की बिजली सप्लाई रोकी गई और पेशेंट्स को बाहर निकाला गया।

पेशेंट्स को टिन शेड पर उतारा

आग लगने के दौरान कुछ पेशेंट्स सीढिय़ों के रास्ते भेजे गए, इसी दौरान धुआं बढ़ता गया। रेडियोग्राफी फिल्मों का ये धुआं घुटन व आंखों में जलन पैदा करने लगा। हालात बिगड़ते देख स्टाफ ने फस्र्ट फ्लोर पर एमआरआई चिलर प्लांट का रास्ता चुना। मरीजों व तीमारदारों को एमआरआई चिलर प्लांट की ओर से निकाला गया। उन्हें एक-एक कर बाहर टिन शेड पर उतारा और फिर आईपीडी बिङ्क्षल्डग के रैंप तक पहुंचाया। जब तक फायर ब्रिगेड पहुंचती स्टाफ ने आग पर काबू पा लिया। इस दौरान प्रिंसिपल डॉ। गीता जैन, एमएस डॉ। अनुराग अग्रवाल, डीएमएस डॉ। धनंजय डोभाल ने वहां पहुंकर स्थिति का जायजा लिया। एमएस ने रेडियोलॉजी के विभागाध्यक्ष से घटना की असल वजह व नुकसान का आकलन कर रिपोर्ट तलब की है।

स्टाफ ने दिखाई टीम भावना

-रेडियोलॉजी विभाग के स्टाफ और सुरक्षा कर्मियों के संयुक्त प्रयासों से आग पर समय रहते पाया जा सका काबू।

-एमआरआई इंचार्ज महेंद्र भंडारी की अगुआई में सीटी टेक्नीशियंस ने लगातार आधे घंटे तक संभाला मोर्चा।

-इनमें अभय नेगी, सचिन, गौरव चौहान, प्रदीप, कमल, रिकिता, अभिषेक गोदियाल, अभिषेक शर्मा व मनीष शामिल रहे।

-उनके साथ सिक्योरिटी इंचार्ज भरत ङ्क्षसह व उनकी टीम भी हरपल जुटी रही।

-फायर इक्विपमेंट की जरूरत पडऩे पर सभी ने इमरजेंसी की दौड़ लगाई, इक्विपमेंट को लाया गया।

-जबकि, ऱेडियोलॉजिस्ट डॉ। अवंतिका रमोला भी घटनास्थल पर डटी रहीं।

-जब सभी पेशेंट्स ने वहां से बाहर नहीं निकाला गया, तब तक स्टाफ ने मोर्चा संभाले रखा।

रोज पेशेंट्स की रहती है कतार

रेडियोलाजी ब्लॉक में रोजाना बड़ी संख्या में पेशेंट्स व तीमरदारों की भीड़ रहती है। बताया जा रहा है कि यहां रोज करीब 50 एमआरआई, 45-50 सीटी स्कैन, 4-5 सीबीसीटी जांचें होती हैं। जबकि, एडमिट पेशेंट्स के भी करीब 25 अल्ट्रासाउंड हुआ करते हैं।

3 बजे बाद शुरू हुए एमआरआई व सीटी स्कैन

मंडे सुबह इस घटना के कारण रेडियोलॉजी ब्लॉक की बिजली सप्लाई बंद करनी पड़ी। इस वजह से सभी जांचें ठप हो गईं और पेशेंट्स को वापस लौटना पड़ा। एमएस डॉ। अनुराग अग्रवाल ने बताया कि एमआरआई व सीटी स्कैन दोपहर तीन बजे बाद शुरू कर दिए गए थे। लेकिन, घटनास्थल पर अभी सफाई में वक्त लगेगा। ऐसे में आईपीडी के अल्ट्रासाउंड इमरजेंसी में करने के निर्देश दिए गए हैं।

हकीकत आई सामने

भले ही मंडे को शॉर्ट सर्किट से आग लगी हो। लेकिन, सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज दून में फायर फाइङ्क्षटग के जो सिस्टम इंस्टॉल किए गए हैं, उनके पाइप में पानी सप्लाई तक नहीं है। हकीकत मंडे को देखने को मिली। जब आग बुझाने के लिए पानी के पाइप ने काम नहीं किया। तब स्टाफ ने वहां पर पानी की बाल्टी लेकर आग बुझाने का काम किया। ये भी बताया जा रहा है कि इमरजेंसी में पानी की सप्लाई के लिए पानी का टैंक तक नहीं है।

आग के बाद कमियों का खुलासा

-आग बुझाने के लिए पानी के पाइप ने नहीं किया काम।

-न पानी का टैंक और न ही पानी के टैंक से पाइप का कनेक्शन।

-फायर अलार्म तक के इंतजाम भी नहीं।

-गैस सिलेंडर की रिफिलिंग मिली, लेकिन काम नहीं किया।

-अस्पताल की पुरानी बिङ्क्षल्डग में इमरजेंसी एग्जिट की भी व्यवस्था नहीं।

नहीं मिले पानी के पाइप

फायर ब्रिगेड स्टेशन दून के यूनिट इंचार्ज प्रभाकर डबराल के मुताबिक सूचना मिलने पर जब तक टीम वहां पहुंची। हॉस्पिटल के रूम में वेंटिलेशन न होने के कारण धुआं काफी भर चुका था। हॉस्पिटल की फाइलों में आग फैल चुकी थी। हॉस्पिटल में लगे हुए पानी के पाइप भी वहां नहीं दिखाई दिए। मौके पर 40 के करीब फायर सिलेंडर्स जरूर मिले। लेकिन, ऐसे बड़े संस्थानों या फिर हॉस्पिटलों में यकीनन फायर सेफ्टी ऑपरेटर होना चाहिए, जिससे ऐसे हालत में उसपर काबू पाया जा सके।

अग्निशमन यंत्र रिफिल करा लिए गए हैं। फायर सेफ्टी ऑडिट करा कर ये देखा जाएगा कि कहां और किस स्तर पर कमी रह गई है। जहां भी कमी पाई जाएगी, उसे दूर करने की कोशिश की जाएगी।

-डॉ। धनंजय डोभाल, डिप्टी एमएस.

dehradun@inext.co.in