देहरादून (ब्यूरो) सीएम ने कहा कि पद्मश्री प्रीतम भरतवाण ने देवभूमि की पवित्र लोक परंपराओं व लोक संस्कृति को विश्व में पहुंचाने का कार्य किया है। उन्होंने ऐसे आयोजनों को राज्य की प्राचीन समृद्ध लोक संस्कृति का उत्सव बताते हुए कहा कि जागर को उत्तराखंड की संस्कृति में देवताओं के आह्वान का भी माध्यम माना गया है। सीएम ने जागर एकेडमी के माध्यम से युवाओं को इस विधा से जोडऩे के लिये पद्श्री प्रीतम भरतवाण के प्रयासों की सराहना की। कहा, जागर व ढोल वादन हमारी सांस्कृतिक पहचान है। यह हमें अपनी विरासत की गहराई से जोड़ती है।

60 प्लस के कलाकारों को पेंशन
सीएम ने कहा कि राज्य सरकार राज्य की लोककला, लोक संस्कृति की समृद्धि के लिये प्रयासरत है। नवोदित व उदीयमान प्रतिभावान साहित्यकारों को भी सम्मान दिये जाने की परंपरा शुरू की गई है। लोक कलाकारों की सूची तैयार कर उन्हें प्रोत्साहित कर सहायता प्रदान की जा रही है। कोरोना काल में 3200 लोक कलाकारों को पैकेज के रूप में आर्थिक सहायता दी गई। 60 वर्ष से अधिक आयु के लोक कलाकारों को 3 हजार मासिक पेंशन दी जा रही है। पौराणिक मेलों को उनके मूल स्वरूप में स्थापित करने के लिये भी मदद दी जा रही है। सीएम ने पुस्तक के लेखक सचिदानंद सेमवाल के प्रयासों की भी प्रशंसा की। इस दौरान काबिना मंत्री सुबोध उनियाल ने प्रीतम भरतवान को जागर संस्कृति का प्रतीक व लोक संस्कृति का संवाहक बताया। वहीं, मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि प्रीतम भरतवाण ने जागर व ढोल संस्कृति को विश्व तक पहुंचाने का कार्य किया। चीफ सेक्रेटरी राधा रतूडी ने उनके प्रयासों को युवा पीढ़ी को अपनी संस्कृति से जोडऩे का माध्यम बताया।

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