देहरादून (ब्यूरो) दून के पहले डिजिटल मास्टर प्लान को फाइनल टच देने से पहले पब्लिक की आपत्तियों की सुनवाई चल रही है। महायोजना के लिए करीब 800 लोगों ने अपनी आपत्तियां दर्ज कराई है। आपत्तियों के निस्तारण की कार्रवाई चल रही है। इसके बाद फाइनल ड्राफ्ट शासन को भेजा जाएगा, जहां नोटिफिकेशन के बाद मास्टर प्लान को लागू करने के आदेश जारी किए जाएंगे। इसमें अब दो से तीन माह तक का समय लगने का अनुमान है। मास्टर प्लान के लिए सेटेलाइट इमेज के जरिए 3 लाख घरों को आईडेंटीफाइ किया गया है। मास्टर प्लान लागू होने के बाद एक क्लिक पर संबंधित भवन का पूरी बायोग्राफी सामने आ जाएगी, इससे डेवलपमेंट वर्क में भी काफी सुविधा मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।

60 मीटर तक चौड़ी होंगी सड़कें
बढ़ती आबादी को देखते हुए सड़कों की चौड़ाई 12 मीटर रखी गई है। दरअसल आबादी के साथ ही शहर में वाहनों का दबाव भी बढ़ता जा रहा है। इसलिए हाई स्पीड कनेक्टिविटी के लिए महायोजना में ब्रिज, एलिवेटेड रोड, रिंग रोड पर फोकस किया गया है। सड़कों की कम चौड़ाई से ट्रैफिक पर असर पड़ता है। कई जगहों पर रोड की चौड़ाई 30 से 60 मीटर भी है।

मेन प्वाइंट्स पर एक नजर
- 2041 तक के लिए बन रहा मास्टर प्लान
- 800 आपत्तियों को लेकर चल रही सुनवाई
- 80 परसेंट आवासीय भवनों से भर गया है दून
- 3 लाख घरों का किया गया डिजिटल सर्वे
- 1 मार्च को महायोजना पर आखिरी हियरिंग

क्या है मास्टर प्लान
मास्टर प्लान एक तरह से अगले 20 साल का विजन डॉक्यूमेंट है, जिसके जरिए शहर के सुनियोजित विकास की परिकल्पना की जाती है। पॉपुलेशन के हिसाब से शहर के डेवलपमेंट को अलग-अलग भागों में बांटा जाता है। इसमें आवासीय, कॉमर्शियल और ग्रीन पार्क का संतुलन बनाने के लिए महायोजना की रूपरेखा बनाई जाती है। प्लान में पर्यावरण के साथ ही ग्रीन एरियाज पर ध्यान रखना होता है। हर जगह भवन खड़े हो जाएंगे तो पर्यावरण कैसे संतुलित रहेगा। सड़कों की चौड़ाई कम होने पर आवाजाही में परेशानियां हो सकती हंै। मास्टर प्लान में इन सभी बातों का ध्यान रखा जाता है।

अनियोजित विकास रुकेगा
सिटी में सड़कों का विस्तार हो रहा है। सड़क किनारे हरे-भरे पेड़ों को काटा जा रहा है। आवासीय प्लॉटिंग के नाम पर आम-लीची के सैकड़ों बाग काट कर आवासीय भवनों के लिए प्लॉटिंग की जा रही है। एक्ट बनने के बाद भी अवैध प्लॉटिंग पर रोक नहीं लग पाई है। आज शहर में आम-लीची के गिने-चुने पेड़ ही दिखाई देते हैं। खेती की जमीनों पर बड़ी-बड़ी बिल्डिंग्स उग आई है। सवाल यह है कि क्या डिजिटल मास्टर प्लान के बाद इलीगल कंस्ट्रक्शन पर अंकुश लग पाएगा।

मास्टर प्लान की आपित्तयों का निस्तारण जोनवाइज चल रहा है। लगभग सभी जोनों की आपत्तियों की सुनवाई हो चुकी है। 1 मार्च को आखिरी सुनवाई रखी गई है। इसमें सभी जोन से लोग सुझाव दे सकते हैं। इसके बाद सुझावों पर विचार करना संभव नहीं होगा।
बंशीधर तिवारी, उपाध्यक्ष, एमडीडीए

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