- पर्वतीय जिलों में भी स्टार्टअप के लिए सुविधाएं देने की उठ रही मांग
- हर जिले में खोले जाएं इंक्यूबेशन सेंटर, मैनुफैक्चुरिंग यूनिट भी खोली जाएं

देहरादून (ब्यूरो): हर युवा शहर के खर्चे को अफोर्ड नहीं कर पाता है। ऐसे में पहाड़ों से नए ननोवेशन उभर कर सामने नहीं आ पा रहे हैं। स्टार्टअप के लिए रजिस्टर्ड फर्म इसका एग्जांम्पल है। स्टार्टअप के लिए अब तक 13 जिलों में 152 रजिस्ट्रेशन हुए हैं, इनमें अधिकांश युवा पहाड़ों से है। दून में अकेले 100 रजिस्ट्रेशन हुए हैं। इसके बाद मैदानी क्षेत्र हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर और नैनीताल में का नंबर है। पहाड़ों में बहुत कम रजिस्टेशन हुए हैं। पांच जिलों में तो एक भी स्टार्टअप फर्म रजिस्टर्ड नहीं हुई है। युवा पहाड़ों में इनोवेटर और इंक्यूबेटर सेंटर खोलने की मांग कर रहे हैं।

पहाड़ों में खोले जाएं इंक्यूबेटर सेंटर
लोगों का कहना है कि स्टार्टअप के लिए पहाड़ों से युवा देहरादून आ रहे हैं। पहाड़ में टैलेंटे की कमी नहीं है, माहौल न मिलने के कारण वे आगे नहीं बढ़ पाते हैं। सरकार को चाहिए कि पहाड़ों में भी इंक्यूबेटर सेंटर खोले जाएं। घर के नजदीक लैब की सुविधा मिलने से जहां पलायन रुकेगा वहीं कम खर्च में युवा अच्छा प्रदर्शन करेंगे। इसके साथ ही मेनटोर यानि गाइड करने वालों की भी सेंटरों में सुविधा दी जाए।

एक करोड़ तक वित्तीय सहायता
सरकार नई उत्तराखंड स्टार्टअप नीति-2023 के तहत स्टार्टअप करने के लिए केंद्र सरकार 1 लाख से लेकर 1 करोड़ तक प्रति स्टार्टअप को वित्तीय प्रोत्साहन दे रही है। इससे नवाचार को नई दिशा मिलेगी। अब तक सरकार 40 से अधिक स्टार्टअप उद्यमों को वित्तीय प्रोत्साहन दिया गया है।

प्रोत्साहन राशि 2 लाख तक मिलेगी
अधिक से अधिक युवा प्रोत्साहित हो इसके लिए इनोवेशन के लिए प्रोत्साहन राशि को 50 हजार से बढ़ाकर 2 लाख रुपये किया गया है। इसके अलावा मान्यता प्राप्त स्टार्टप्स को 10 लाख तक एकमुश्त सीड फंडिंग दी जाएगी जबकि एसटी-एसटी, दिव्यांग, ट्रांसेंडर और ग्रासरूट नवाचारों को स्टार्टअप्स के लिए 12.50 लाख तक की सहायता दी जाएगी। इसके अलावा स्थानीय पेटेंट के लिए 1 लाख और अंतर्राष्ट्रीय पेटेंट के लिए 5 लाख की प्रतिपूर्ति सहायता दी जा रही है।

इन 5 जिलों में एक भी स्टार्टअप नहीं
बागेश्वर
चंपावत
पिथौरागढ़
रुद्रप्रयाग
उत्तरकाशी

हर साल 10 सर्वश्रेष्ठ इनोवेटिव आइडियाज को पुरष्कार
नई पॉलिसी में केंद्र सरकार ने मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स और छात्र उद्यमियों के स्टार्टअप्स को 15 हजार प्रतिमाह का एक साल तक मासिक भत्ता देने का प्रावधान किया है। जबकि एससी-एसटी के लिए यह राशि 20 हजार रुपये मिलेंगे। हर साल 10 श्रेष्ठ इनोवेटिव आइडियाज का चयन किया जाता है। 2023 में लॉच पालिसी में केंद्र सरकार ने राज्य को 2028 तक करीब 1000 स्टार्टअप तैयार करने की टारगेट दिया है।

दून के इंक्यूबेशन सेंटर
- ग्राफिक एरा
- उत्तराखंड पेट्रोलियन संस्थान
- दून इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलाजी
- तुलाज
- इंद्रधनुष प्राइवेट लिमिटेड

जनपदवार कहां कितने स्टार्टअप रजिस्टर्ड
जिले का नाम स्टार्टअप
देहरादून 101
हरिद्वार 15
यूएस नगर 11
नैनीताल 11
पौड़ी 09
अल्मोड़ा 04
चमोली 02
टिहरी 01
टोटल 152

पहाड़ में मिले सुविधाएं
सरकार की यह पहल बहुत ही सराहनीय है। हम रोजाना बच्चों से इंटरेक्ट होते हैं। कई बच्चे बहुत ही टैलेंटेड होते हैं, लेकिन उन्हें माहौल नहीं मिल पाता है। यदि माहौल मिले तो पहाड़ भी स्टार्टअप की दुनिया में उड़ान भर सकता है।
सुशील डोभाल, टीचर

स्टार्टअप सरकारी की बहुत ही इच्छी पहल है। हर मामले में पहाड़ पिछड़ा हुआ है। समस्या अविष्कारों की जननी होती है। पहाड़ोंं में तमाम समस्याएं हैं, जो सुविधाएं मिलने पर स्मार्ट बिजनेस में तब्दील हो सकता है।
विकास भट्ट, इनोवेटर

स्टार्टअप के लिए इन्क्यूबेशन सेंटर की अहम भूमिका होती है। इसलिए सरकार को हर जिले में इन्क्यूबेशन सेंटर स्थापित करने चाहिए, ताकि नवाचारियों को अपने आइडियाज को अमलीजामा पहनाने में मदद मिल सके।
एचआर नौटियाल, रिटायर्ड जीएम, उद्योग

तकनीकी विकसित करने के लिए स्टार्टअप अच्छी योजना है। योजना का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचना चाहिए। इस दिशा में खासकर पहाड़ी क्षेत्रों में अभी काफी कुछ करने की जरूरत है।
आरएस रौतेला

स्टार्टअप की नई पॉलिसी में 30 नए इंक्यूबेशन सेंटर खोले जाने प्रस्तावित हैं। हर जिले में कम से कम एक इंक्यूबेशन सेंटर खोजा जाएगा। इससे पहाड़ी जिलों से शहरों में आ रहे युवाओं को बड़ी राहत मिलेगी।
रोहित मीणा, डीजी एवं आयुक्त, उद्योग