देहरादून (ब्यूरो)। स्मार्ट सिटी कंपनी प्राइवेट लिमिटेट की ओर से शहर में पहले चरण में 21 फरवरी 2021 से आईएसबीटी से राजपुर मार्ग पर पांच स्मार्ट इलेक्टि्रक बस संचालित की गई थीं। शुरुआती दो माह में लगभग 38 लाख रूपये खर्च इन बसों पर आया जबकि आय सिर्फ 11 लाख हुई थी। कमाई से तीन गुना ज्यादा धनराशि इनके संचालन पर खर्च की गई। फिर कोरोना की दूसरी लहर चरम पर होने पर बस संचालन रोकना पड़ा। जून में दोबारा बसों का संचालन शुरू हुआ। इसके बाद सरकार ने पांच और बसों को दो मार्गों पर शुरू किया। सेलाकुई-घंटाघर-रायपुर व सेलाकुई-घंटाघर-आईएसबीटी। वर्तमान में कुल 10 स्मार्ट इलेक्टि्रक बसें संचालित हो रही हैं। बस संचालन की जिम्मेदारी मैसर्स एवरी ट्रांस कंपनी के हवाले है। स्मार्ट सिटी कंपनी एवं मैसर्स एवरी ट्रांस में पीपीपी मोड में करार है। जिसके अंतर्गत बस भी मैसर्स एवरी ट्रांस उपलब्ध कराएगी और संचालन की पूरी जिम्मेदारी संभालेगी। इस एवज में स्मार्ट सिटी कंपनी की ओर से मैसर्स एवरी ट्रांस को 66.78 रूपये की प्रतिकिमी दर से भुगतान किया जा रहा। बस चालक कंपनी जबकि परिचालक को राज्य परिवहन निगम ने उपलब्ध कराए हैं।

दो महीने से नहीं मिली सैलरी
बस चालक का वेतन मैसर्स ट्रांस कंपनी देती है, जबकि परिचालक के वेतन के लिए स्मार्ट सिटी कंपनी राज्य परिवहन निगम को पांच रुपये प्रति किमी के हिसाब से भुगतान करती है। आरोप है कि चालक-परिचालकों को दो माह से वेतन नहीं मिला है। रोडवेज बसों के शेष परिचालकों को सामान्य तरीके से वेतन मिल रहा है लेकिन स्मार्ट सिटी की ओर से रोडवेज को भुगतान न किए जाने से इन बसों पर तैनात परिचालकों का वेतन भी रुका हुआ है। वेतन नहीं मिलने से गुस्साए चालक व परिचालकों ने कंपनी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया एवं शनिवार की सुबह से स्मार्ट बसों का संचालन रोक दिया। गुस्साए चालकों ने बसों को ट्रांसपोर्टनगर कार्यशाला में खड़ा कर दिया। बंगलुरू से मैसर्स ट्रांस कंपनी के अधिकारियों ने अपने चालकों से फोन पर बात भी की, लेकिन मामला नहीं सुलझा।