देहरादून (ब्यूरो): अंदाजा लगाया जा सकता है कि मानसून सीजन को छोड़ दें तो बाकी समय पर हर तरफ सुबह से लेकर शाम तक हवा में धूल ही धूल नजर आ रही है। जिससे आम लोगों व स्कूली बच्चों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के आंकड़े भी तस्दीक कर रहे हैं दून की एयर क्वालिटी इंडेक्स में बदलाव दिख रहा है। जानकार इसको स्वस्थ्य शहर के ठीक नहीं मान रहे हैं।
महंत इन्दिरेश रोड
नालियों का निर्माण कार्य जारी। सड़क के किनारे निर्माण सामग्री की ढेर। पैदल चलने वाले लोगों व वाहन चालकों को सड़क पर चलना मुश्किल हो रहा है।
कारगी रोड
यहां भी लक्खीबाग चौक से कारगी चौक तक सड़क के किनारे नालियों का निर्माण कार्य जारी है। संकरी और उबड़-खाबड़ सड़क पर चलना जहां पहले से मुश्किल हो रहा है। वहीं, तेज दौड़ते वाहनों के बीच उड़ते धूल के गुबार लोगों के लिए मुसीबत बन रहे हैं।
सहस्रधारा रोड
यहां हर वक्त वाहन रफ्तार भरते हुए नजर आते हैं। बदले में लोगों को धूल के गुबार भी हवा में लेने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। यहां भी सड़कों के किनारे करीब एक साल से निर्माण कार्य जारी हैं।
6 नंबर पुलिया रोड
जोगीवाला चौक से लेकर 6 नंबर पुलिया तक सुबह से लेकर शाम तक धूल ही धूल। सड़क के दोनों ओर नालियों बन रही है। बीच सड़क सीवर लाइन के कारण खोद दी गई थी। लेकिन, अब तक सड़क नहीं बन पाई।
यहां भी हो रहे निर्माण कार्य
-रिंग रोड
-जोगीवाला
-प्रिंस चौक
-सीएमआई चौक
-धर्मपुर
-इंद्रप्रस्थ कॉलोनी
-रायपुर रोड
-हरिद्वार बाईपास रोड
-कारगी रोड
दून यूनिवर्सिटी एयर क्वालिटी इंडेक्स
दिन--एक्यूआई
1 अक्टूबर--114
2 अक्टूबर--115
4 अक्टूबर-- 115
5 अक्टूबर--116
6 अक्टूबर--63
7 अक्टूबर--110
8 अक्टूबर--111
9 अक्टूबर--127
10 अक्टूबर--100
11 अक्टूबर--85
एयर क्वालिटी इंडेक्स पर एक नजर
एक्यूआई---रिमार्क---इंपैक्ट
0-50---अच्छा--कोई इंपैक्ट नहीं
51-100--संतोषजनक--संवेदनशील लोगों के लिए डिसकंफर्ट
101-200--मध्यम--लंग्स, अस्थमा व हार्ट पेशेंट को दिक्कत।
201--300--खराब--ब्रीदिंग डिस्कंफर्ट
301-400--बहुत खराब--श्वांस की बीमारी।
401-500--बेहद खराब--सीरियस इंपैक्ट।
पॉल्यूशन के कारण
-ओपन में गार्बेज
-अवेयरनेस का अभाव
-पिछले डेढ़ साल से चल रहे निर्माण कार्य
-धूल पर छिड़काव नहीं
-सड़क में रखी गई निर्माण सामग्री
-खुले में कूड़ा जलाना
शहर में चल रहे ये प्रमुख निर्माण कार्य
-स्मार्ट सिटी के कार्य
-पीडब्ल्यूडी के नालियों के निर्माण कार्य
-सीवर लाइन के कार्य
-सड़कों के निर्माण
वाह, कितना अवेयर है उत्तराखंड पॉल्यूशन बोर्ड
पब्लिक के लिए कितना अवेयर है। अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सोशल मीडिया ट्विटर पर यूके पॉल्यूशन बोर्ड के केवल 92 फॉलोअर्स हैं। जबकि, पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने दिसंबर 2020 को ही अपना अकाउंट खोला था। सच्चाई ये भी है कि बोर्ड ने पिछले 5 सितंबर को एक पोस्ट सोशल मीडिया पर डाली थी, उसके बाद एक माह से ट्विटर हैंडल पर कोई भी अपडेशन बोर्ड की नहीं है। इसी प्रकार से एफबी पर उत्तराखंड पीसीबी देहरादून नाम से जरूर अकाउंट है। लेकिन, केवल 49 फ्रेंड्स हैं। अंदाजा लगाया जा सकता है कि पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड अपने पॉल्यूशन से संबंधित मैसेजेस कितने लोगों तक पहुंचा सकता होगा।
यूकेपीसीबी की सोशल मीडिया पर पोस्ट
-5 सितंबर
-22 अगस्त
-12 अगस्त
-12 अगस्त
-10 अगस्त।
-6 अगस्त
-22 जनवरी 2021
अपील, आप भी करें अपने प्रॉब्लम शेयर
दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट ने जनहित में इस खबर को प्रमुखता दी है। आपके इलाके, क्षेत्र में भी ऐसी प्रॉब्लम हो तो आप भी फोटो के साथ जानकारी शेयर कर सकते हैं। जिससे आपकी समस्या शासन-प्रशासन तक पहुंचे। कहने के लिए प्रशासन कई बार निर्माण कार्यों को पूरा करने की डेडलाइन तय करती है। लेकिन, उसका रिजल्ट क्या होता है।
इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं, पिछले एक साल से शहर में किसी न किसी तौर पर निर्माण कार्य चल रहे हैं। आज और कल को देखते हुए लोगों को उम्मीद थी कि निर्माण कार्य जल्द पूरा हो जाएंगे। लेकिन, अब तो हवा में लगातार उड़ रही धूल से लोग परेशान हो रहे हैं।
नियमानुसार कई बार प्रशासन की ओर से निर्माण कार्य होने के कारण पानी की छिड़काव किया जाता है। लेकिन, दून में जहां भी निर्माण कार्य चल रहे हैं। कोई पानी की छिड़काव नहीं चल रहा है। ये सरासर लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ जैसा है।
दून सिटी में कब निर्माण कार्यों से निजात मिलेगी। कहना संभव नहीं है। लेकिन, लोग हवा में घुल रहे जहर से बीमारियों का शिकार हो सकते हैं। सबसे ज्यादा सड़कों पर मौजूद निर्माण सामग्री व निर्माण कार्यों से शुद्ध हवा प्रदूषण का कारण बन रही है।
लगातार चल रहे निर्माण कार्यों से दून की हवा में पॉल्यूशन भी बढ़ रहा है। पॉल्यूशन कंट्रोल के लिए कोई कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। उत्तराखंड पॉल्यूशन बोर्ड की ओर से कोई एक्यूआई को लेकर कोई अपडेट तक नहीं दिया जाता है। जिससे पब्लिक अवेयर हो सके।
डॉ। आंचल शर्मा, द अर्थ एंड क्लाइमेट इनीशिएटिव।
dehradun@inext.co.in