देहरादून (ब्यूरो) दून मेडिकल कॉलेज में रोजाना करीब 5500 पेशेंट्स का ट्रीटमेंट होता है। जबकि, करीब 2500 से ज्यादा पेशेंट्स की रोजाना ओपीडी होती है। इसके अलावा इमरजेंसी में पहुंचने वाले पेेशेंट्स की संख्या करीब 350 से ऊपर पहुंचती है। यहां न केवल दून के ही पेशेंट्स पहुंचते हैं, बल्कि, गढ़वाल मंडल के जिलों के साथ ही कुमाऊं मंडल तक के पेशेंट्स इलाज के लिए पहुंचते हैं। इसके अलावा पड़ोसी राज्यों उत्तर प्रदेश के सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बिजनौर और हिमाचल के शहरों से भी पेशेंट्स बेहतर ट्रीटमेंट के लिए पहुंचते हैं। जाहिर है कि मानसून सीजन में यहां सीजनल बीमारियों के कारण मरीजों की संख्या में अचानक इजाफा देखने को मिल जाता है। इस कारण मेडिकल कॉलेज प्रशासन पहले से ही तैयारियां पर जुट जाता है। लेकिन, इस बार हॉस्पिटल प्रशासन के दावों को छोड़ दिया जाए, अभी भी मानसून सीजन को लेकर कई खामियां नजर आ रही हैं।

ये कमियां आती हैं नजर
-मौजूद एसी खराब।
-गर्मी में पंखे नहीं।
-एक बारिश के कारण जल भराव।
-वॉश रूम में गंदगी का आलम।
-पुरानी बिल्डिंग में साफ-सफाई का अभाव।
-वाटर एटीएम की स्थिति खराब।
-पानी के रिसाव से दीवारें नमीयुक्त।
-टूटे हुए फॉल सिलिंग।

साफ-सफाई सबसे बड़ी वजह
मेडिकल कॉलेज अस्पताल में सबसे ज्यादा दिक्कतें साफ-सफाई से लेकर वॉशरूम की हैं। जहां गंदगी फैली नजर आती है। एसी लगे हुए हैं, लेकिन, काम नहीं करते। कुछ पेशेंट को पंखों तक की सुविधा नहीं मिल पा रही। एक मामूली बारिश में जलभराव होने के मच्छरों के पनपते का खतरा पैदा हो जाता है। जिससे मलेरिया व डेंगू का भी खतरा बढ़ जाता है। हॉस्पिटल कैंपस में पॉलीथिन के रैपर आसानी से देखे जा सकते हैं।

अक्सर पानी की किल्लत आती है सामने
यह वही दून मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल है। जहां अक्सर पानी की किल्लत सामने आ जाती है। हाल में एक नहीं, दो बार मेडिकल कॉलेज में पानी की समस्या सामने आई। जिसके बाद यहां टैंकर मंगाकर पानी की प्रतिपूर्ति की गई।

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