- नए डिजिटल मास्टर प्लान से शहर में लगेगी अवैध निर्माण पर प्रभावी रोक
- 30 अप्रैल तक मांगी गई हैं पब्लिक से मास्टर प्लान के ड्राफ्ट पर आपत्तियां
देहरादून, (ब्यूरो): दून शहर के नियोजित विकास को लेकर क्वालिफाइड आर्किटेक्ट््स ने चीफ टाउन प्लानर से मुलाकात कर उन्हें वस्तुस्थितियों से अवगत कराया। बताया कि ड्राफ्ट प्रस्तावित बायलॉज के ड्राफ्ट में जो प्रावधान किए जा रहे हैैं वे शहर हित में है, जिनके लागू होने से शहर में अवैध निर्माण को रोकने में न केवल मदद मिलेगी, बल्कि शहर का भी नियोजित विकास होने की उम्मीद है।
नियोजित विकास पर फोकस
देवभूमि आर्किटेक्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष देवेंद्र कुमार सिंह, सचिव विनय सिंह, कोषाध्यक्ष गौरव सिंह आदि ने टाउन प्लानर को बताया कि एमडीडीए के 1985 में बने बायलॉज में स्पष्ट है कि ड्राफ्ट 200 वर्ग मीटर से अधिक एरिया में काम नहीं कर सकते। अपात्र होते हुए भी यह काम लगातार कर रहे हैं। कहा कि उत्तराखंड भूकंप के लिहाज से संवेदनशील है। हाल ही जोशीमठ शहर के धंसने की घटना सामने आने पर अब और नियोजित ढंग से विकास की जरूरत है।
पब्लिक डोमेन में महायोजना
दून का जियोग्राफिक इंफार्मेशन सिस्टम (जीआईएस) आधारित डिजिटल मास्टर प्लान को जल्द से जल्द धरातल पर उतारने की कवायद चल रही है। मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) और मुख्य ग्राम एवं नगर नियोजक दून की महायोजना-2041 के ड्राफ्ट को पब्लिक डोमेन में डालकर आम आदमी से सुझाव और आपत्तियां मांगी हंै। एमडीडीए, टाउन प्लानर, नगर निगम और डीएम दफ्तर कहीं भी मास्टर प्लान को देखकर लैंड यूज और भवन निर्माण संबंधी आपत्तियां दर्ज की जा सकती हैं।
नदी-खालों का सीमांकन होगा ठीक
पुराने मास्टर प्लान में नदी-खालों और फॉरेस्ट का सीमांकन सही तरीके से नहीं दर्शाया गया है, जिससे शहर में अतिक्रमण बढ़ा है। नए मास्टर प्लान में ऐसी जगहों को सेटेलाइट के जरिए चिन्हित करके इस पर फोकस किया गया है।
यहां दर्ज करा सकते हैैं आपत्ति
-एमडीडीए
-नगर निगम
-डीएम ऑफिस
- टाउन प्लानिंग ऑफिस
पकड़ में आएंगे अवैध निर्माण
प्रस्तावित महायोजना-2041 को सेटेलाइट मैपिंग के जरिए धरातलीय सर्वे कर सटीक जानकारियों के साथ तैयार किया गया है। इस मास्टर प्लान की खास बात ये है कि शहर में अवैध निर्माण को इसके माध्यम से पकड़ा जा सकेगा। इसमें लैंड यूज धोखाधड़ी के चांस कम होंगे। दरअसल, प्रॉपर्टी डीलर्स लोगों को नॉन एग्रीकल्चर लैंड को आवासीय दिखाकर बेच देते हैं, जो बाद में नक्शे के दौरान पकड़ में आता है। ऐसे में लैंड यूज आवासीय न होने पर लोग अवैध निर्माण को मजबूर होते है। इसे खासकर नए मास्टर प्लान में ध्यान में रखा गया है।
डिजिटल मास्टर प्लान-2041 की खास बातें
-37800 हेक्टेयर है टोटल प्लानिंग एरिया
-17916 हेक्टेयर है डेवलप्ड एरिया
-6952 हेक्टेयर है अनडेवलप्ड एरिया
-9872 हेक्टेयर एरिया है फॉरेस्ट
-3059 हेक्टेयर कैंटोनमेंट एरिया
मकान ही नहीं रोड भी बॉयलॉज के हिसाब से नहीं है। बढ़ते वाहनों को देखते हुए नए मास्टर प्लान में रोड की चौड़ाई पर विशेष ध्यान दिया जाए।
गणपति नौटियाल
शहर में अवैध बस्तियां दाग हैं। इसलिए बस्तियां को कहीं अन्यत्र बसाया जाए। ताकि शहर की सुंदरता बरकरार रहे।
विनोद कवि
मास्टर प्लान में कोई भी ऐसे प्रावधान न किए जाएं तो इम्पलीमेंट न हो सके। ट्रैफिक के साथ ही स्वास्थ्य और शिक्षा पर विशेष रखा जाए।
सुरेश चड्ढ़ा
अवैध निर्माण से पूरा शहर भरा पड़ा है। अवैध निर्माण पर प्रभावी रोक के लिए सख्त प्रावधान किए जाएं और उनकी कड़ाई से लागू भी कराएं।
सुरेंद्र कोहली
शहर के प्रस्तावित डिजिटल मास्टर प्लान को शीघ्र जमीं पर उतारने का प्रयास किया जा रहा है। पब्लिक से सुझाव और आपत्तियां मांगी गई है। कोशिश है, अधिक से अधिक लोगों की आपत्तियों-सुझावों को महायोजना में शामिल किया जाए।
मोहन सिंह बर्निया, सचिव एमडीडीए
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