देहरादून, 9 अप्रैल (ब्यूरो)।
चैत्र के नवरात्र घटस्थापना व माता के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की आराधना के साथ शुरू हो गए। शुभ मुहुर्त पर लोगों ने अपने घरों में जहां घटस्थापना व पूजा की। वहीं, दून के तमाम मंदिरों में माता के दर्शन के लिए सुबह से लेकर शाम तक श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रही। सिद्धपीठ मां डाटकाली मंदिर में सबसे ज्यादा भीड़ दिखी। जहां माता के जयकारों के साथ दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं की लंबी लाइन में लगी रही। परिवार के सुख, शांति व समृद्धि की कामना की।
16 को अष्टमी, 17 को नवमी व्रत
गत वर्षों की तरह इस बार भी चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के साथ नवरात्र शुरू हो गए हैं। अबकी बार 16 को अष्टमी, 17 को नवमी व्रत रखा जाएगा। नवरात्र के पहले दिन ट्यूजडे को लोगों ने घटस्थापना के बाद हरियाली के प्रतीक जौ बोए, चोला, पुष्प, मिष्ठान, फल, पान सुपारी, लौंग, इलायची शृंगार सामग्री अर्पण किया। इसके बाद मां की आरती की। लाइटों व फूलों से सजे मंदिरों में भी बड़ी संख्या में भक्तजन पहुंचे थे। जहां श्रद्धालुओं ने मंदिरों में अखंड जोत जलाई गई।
यहां दर्शनों के लिए पहुंचे श्रद्धालु
-सिद्धपीठ मां डाटकाली
-माता संतला देवी मंदिर
-माता कालिका मंदिर
-माता वैष्णो गुफा योग मंदिर
-टपकेश्वर महादेव मंदिर
-दुर्गा मंदिर सर्वे चौक
-श्री पृथ्वीनाथ महादेव मंदिर सहारनपुर चौक
-धर्मपुर मंदिर
-नेहरू कॉलोनी मंदिर
श्री पृथ्वीनाथ मंदिर में शानदार प्रस्तुतियां
मंदिर समिति के सेवादार संजय गर्ग के मुताबिक मंदिर में नवरात्र की जोत के साथ ही अयोध्या व मेहंदीपुर से आई जोत के दर्शन भक्त एक साथ कर सकेंगे।
श्याम सुंदर मंदिर में भजनों पर झूमे लोग
पटेलनगर स्थित श्री श्याम सुंदर मंदिर में आयोजित भजन संध्या में भजन गायक तेजेंद्र हरजाई ने नवरात्र के दिन आए हैं मैया रानी जाएगी, कितना सुंदर तेरा भवन सजाया है आदि भजनों से श्रद्धालुओं को झूमने को आतुर किया। महला मंडल ने भी माता के भजन सुनाए। मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी भूपेंद्र चड्ढ़ा ने बिाया कि नवरात्र पर हर शाम को दुर्गा सप्तशती पाठ व भजन सध्या होगी।
दुर्गा सप्तशती पाठ शुरू
माता वैष्णो देवी गुफा योग मंदिर में मंदिर के संस्थापक आचार्य बिपिन जोशी के सानिध्य में राज्य की खुशहाली, शांति व समृद्धि के लिए शतचंडी पाठ, दुर्गा सप्तशती पाठ शुरू हो गए। दिन में महला मंडली ने भजनों की प्रस्तुति दी। शाम को माता वैष्णो देवी का विशेष शृंगार के बाद आरती की।