- हेल्थ सेक्रेटरी ने दून मेडिकल कॉलेज का किया औचक निरीक्षण
- डेंगू कंट्रोल के लिए विभाग ने तैयार किए 22 प्वाइंट्स की गाइडलाइंस
देहरादून (ब्यूरो): 24 घंटे आरडीपी और एसडीपी की प्रक्रिया होनी चाहिए। बदले में प्रिंसिपल डा। आशुतोष सयाना ने जानकारी दी कि अगले 10 दिन में एसडीपी यानी जंबो पैक बनाने वाली दूसरी प्रोसेस मशीन यहां इंस्टॉल हो जाएगी। जिसका लाभ पेशेंट्स को मिलेगा और उन्हें ज्यादा वेट नहीं करना पड़ेगा।
मेडिकल कॉलेज में 97 बेड रिजर्व
हेल्थ सेक्रेटरी ने डेंगू और पीडिया वार्ड का निरीक्षण किया। डेंगू वार्ड में 67 बेड व पीडिया में 30 बेड डेंगू के लिए रिजर्व हैं। सचिव ने अधिकारियों को हिदायत दी की मेडिसिन और पीडिया के डेंगू मरीजों के संबंध में कॉर्डिनेशन बना रहे हैैं। सचिव ने डेंगू से पीडि़त मरीजों व उनके परिजनों से अस्पताल में मिल रहे इलाज से संबंधित जानकारी ली।
हॉस्पिटल, ब्लड बैंक व लैब निशाने पर
हेल्थ सेक्रेटरी को जानकारी मिली की डेंगू के सीरियस पेशेंट्स के बजाय जनरल पेशेंट्स की तादाद ज्यादा है। कारणवश, जरूरत पड़ जाए तो हॉस्पिटल में बेड्स की संख्या में इजाफा किया जा सकता है। सचिव ने लोगों से डेंगू को लेकर सतर्क और अवेयर रहने की अपील की। प्रयास है कि पेशेंट को समय पर प्लेटलेट्स मिल जाए। डेंगू पेशेंट्स से इलाज के नाम पर मनमानी फीस, प्लेटलेट्स व जंबो पैक की अधिक वसूलने वाले अस्पतालों, ब्लड बैंकों और पैथोलॉजी लैबों की शिकायत सामने आने पर कार्रवाई की जाएगी। कालाबाजारी करने वालों को छोड़ा नहीं जाएगा। बाकायदा, सीएमओ लेवल पर रेट का निर्धारित किए गए हैं। बताया गया है कि जुलाई से नवंबर महीने तक डेंगू वायरस एक्टिव रहता है।
डेंगू नियंत्रण ये हथियार
1- डेंगू को नोटिफाइबल डिजीज घोषित करने की जारी हो चुकी है अधिसूचना। उत्तराखंड महामारी (मलेरिया एवं डेंगूू) विनियम 2019, 27 सितम्बर 2021 को की जा चुकी है जारी।
2- डेंगू व चिकनगुनिया की रोकथाम व नियंत्रण के लिए विभागों की भागीदारी सुनिश्चित हो। इसकी सूचना जिला स्वास्थ्य विभाग की ओर से लगातार प्राप्त की जाए।
3- अर्बन व रुरल एरियाज में लगातार स्वच्छता के कैंपेन चलें। साफ सफाई, कचरे का निस्तारण, टीमों का गठन, अवेयरनेस, फॉगिंग व कीटनाशक का छिड़काव हो।
4- मलिन बस्तियों में डेंगू लार्वा पनपने की ज्यादा संभावना को देखते हुए
विशेष सफाई अभियान चलें। लोगों को पानी को ढक कर रखने के लिए व ऐसे स्थान जहां पानी जमा होने की संभावना है।
5- भीड़-भाड़ वाले क्षेत्र जैसे सब्जी मंडी, बस अड्डा, रेलवे स्टेशन, पार्क आदि पर विशेष निगरानी रखी जाए। साफ सफाई व डेंगू निरोधात्मक एक्टिविटीज लगातार जारी रहें।
6- लार्वा निरोधात्मक एक्टिविटीज कारगर व उपयुक्त उपाय है। इसके लिए नगर निगम, पालिका, आशा वर्कर्स व अन्य विभागों के सहयोग से टीमें बनाकर क्षेत्र में विजिट करें।
7- डेंगू को महामारी का रूप लेने से रोकने के लिए नगर निगम, नगर निकाय की ओर से माइक्रो प्लान बने। सप्ताह में कम से कम एक बार हो फॉगिंग।
8- निर्माणाधीन प्रोजेक्ट्स, अधूरे निर्माण कार्य क्षेत्र, नव निर्माण कार्य क्षेत्रों में अभियान चले। जिससे यहां डेंगू का मच्छर न पनप सके।
9- सरकारी व निजी संस्थानों जैसे ऑफिस, बैंक, कॉमर्शियल इंस्टीट्यूशंस, एजुकेशन इंस्टीट्यूशंस, होटल, रिजॉर्ट, रेस्टोरेंट शॉपिंग कॉम्प्लेक्स आदि से पानी जमा न होने का सेल्फ डिक्लेरेशन सर्टिफिकेशन लिया जाए।
10- जिन इन स्थानों पर चेतावनी के बाद भी पानी जमा, उन संस्थानों व लोगों पर हो कार्रवाई और जुर्माना वसूला जाए। जिससे डेंगू महामारी का रूप न ले सके।
11- डेंगू कंट्रोल के लिए पब्लिक का सहयोग जरूरी है। मीडिया के माध्यम से बड़े स्तर पर जागरुकता की जाए। बकी विभागों के साथ समन्वय स्थापित करते हुए प्रचार प्रसार किया जाए।
12- स्कूल कॉलेजों को निर्देश मिले कि कैंपस मेंं हीं पानी जमा न हो। जिससे मच्छर पनपने की स्थिति पैदा न हो। फुल बाजू के कपड़े पहनने पर जोर हो। पोस्टर, सेमिनार के आयोजन हों।
13- जिला स्तर पर आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा उपलब्ध निगरानी प्रणाली व संसाधनों के माध्यम से स्वास्थ्य विभाग के साथ कॉर्डिनेशन हो। बचाव दिशा निर्देश प्रदान किए जाएं।
14- स्वास्थ्य विभाग के साथ नगर निगम, शिक्षा, ग्राम्य एवं शहरी विकास, सूचना, पीडब्ल्यूडी, जल संस्थान, जल निगम का आपस में हो कॉर्डिनेशन। बैठकों के आयोजन हों।
15- हॉस्पिटलों में डेंगू पेशेंट्स के उपचार के लिए सेपरेट आइसोलेशन वार्ड तैयार कर मच्छरदानी और मेडिसीन उपलब्ध हों। नोडल अधिकारी भी नामित हों।
16- सीरियस पेशेंट्स के लिए प्लेटलेट्स की उपलब्धता सुनिश्चित हो। जिससे उन्हें किसी प्रकार की दिक्कत का सामना न कराना पड़े।
17- डेंगू जांच केन्द्रों में आवश्यक सामग्री जैसे एलाइजा जांच किट व अन्य जांच सामग्री की उपलब्धता मौजूद रहे।
18- डेंगू उपचार व कंट्रोल के लिए केंद्र सरकार की गाइडलाइन के अनुसार सभी सरकारी व गैर सरकारी हॉस्पिटलों व डॉक्टरों को आवश्यक कार्यवाही के लिए उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें।
19- डेंगू पेशेंट्स की शुरुआती चरण में पहचान के लिए फीवर सर्वे किये जाएं। लक्षणों के आधार पर डेंगू रोग की संदिग्धता होने पर जांच हो।
20- डेंगू रोगी पाये जाने आस-पास करीब 50 घरों व 500 मी। दायरे में फॉगिंग, स्प्रे, सघन फीवर सर्विलेन्स व अवेयरनेस पर जोर हो।
21- स्वास्थ्य विभाग व आईएमए प्रतिनिधियों, निजी हॉस्पिटलों, लैब के बीच बैठक हों। जिससे लोंगों में डेंगू रोग के प्रति दुविधाएं दूर हो पाएं।
22- किसी भी प्रकार की आकस्मिक व इंमरजेंसी को देखते हुए जनपद स्तर पर जिला कार्ययोजना में भी डेंगू के लिए अतिरिक्त बजट का प्रावधान किया जाए।
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