देहरादून ब्यूरो। यह पहली बार नहीं है जब शिक्षित लोगों की सिटी दून के लोग इस तरह की बेपरवाही का उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हों। संबंधित विभागों की ओर से लगातार लोगों को अपने घरों के गमले, बाहर रखे खाली बर्तन, पुराने टायर आदि से पानी हटाने के लिए कहा जा रहा है। लेकिन घरों की नहीं सरकारी दफ्तरों में भी कई-कई दिन का रुका पानी देखा जा सकता है। दूनाइट्स का लापरवाही का उदाहरण उनकी छतों पर फहराते और क्षतिग्रस्त होते तिरंगे के रूप में भी देखा जा सकता है। सीडीओ बाकायदा बयान जारी करके लोगों को झंडा संहिता का हवाला देकर तिरंगा सम्मानपूर्वक उतारने की सलाह दे चुकी हैं, लेकिन अब भी सैकड़ों घरों पर तिरंग लगा है। यही स्थिति दून की सड़कों के ट्रैफिक रूल्स वॉयलेशन के मामले में भी देखी जा सकती है।
ज्यादातर घरों में पल रहा मच्छर
दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट ने यह जानने के लिए सिटी के कुछ घरों में जाकर यह जानने का प्रयास किया कि डीएम के आदेश के बाद लोग अपने घरों में मच्छरों से बचाव के क्या उपाय कर रहे हैं और कोई सरकारी कर्मचारी घरों में पहुंचा है या नहीं। लेकिन ज्यादातर घरों में न तो लोग खुद अवेयर हैं और न ही कोई सरकारी कर्मचारी घरों में पहुंचा है। हालांकि कुछ बाजारों में सरकारी कर्मचारियों द्वारा डेंगू को लेकर जागरूकता अभियान चलाये जाने की सूचना मिली है।
क्या कहते हैं लोग
मैं बार-बार ये सवाल उठाता हूं कि देहरादून को आप स्मार्ट सिटी बनाने की बात कर रहे हो, लेकिन स्मार्ट सिटीजन कहां से लाओगे। सड़कों पर ट्रैफिक रूल्स की धज्जियां उड़ाने वाले लोग मच्छरों से बचाव के लिए कुछ करेंगे, ऐसा संभव नहीं है।
नरेश सिंह
सरकार, प्रशासन के साथ ही आम लोग भी बराबर के दोषी हैं। हम जानते हैं कि हम अपने-अपने घरों में मच्छरों से बचाव के उपाय करेंगे तो डेंगू से काफी हद तक निपटा जा सकता है, लेकिन हम ऐसा नहीं करते। नगर निगम की लापरवाही भी हम देख रहे हैं। बस्तियों में फॉगिंग नहीं की जा रही है।
सुशील सैनी
दो साल तक कोविड काल में डेंगू नहीं हुआ। क्या डेंगू कोविड से डर गया था? नहीं, दरअसल कोविड के दौरान सिटी में लगातार छिड़काव होता रहा। इस दौर में नगर निगम फॉगिंग भी करता रहा। इससे डेंगू का मच्छर पनप नहीं पाया। कोविड अभी गया नहीं है, लेकिन नगर निगम के प्रयास बंद हो गया। मैं नगर निगम को जिम्मेदार मानता हूं।
सलीम सैफी