-पहाड़ों में बेहतर शिक्षा पहुंचाने के लिए गुंसाई को मिला सम्मान
देहरादून, 5 सितम्बर (ब्यूरो)।
कोटद्वार के राजकीय इंटर कॉलेज से अपनी माध्यमिक शिक्षा पूरी करने के बाद दौलत सिंह गुसांई ने साइंस स्ट्रीम में ग्रेजुएशन किया। शुरूआत से ही वे शिक्षक बनना चाहते थे। इसी कड़ी में उनका चुनाव राजकीय इंटर कॉलेज में बतौर विज्ञान के शिक्षक के तौर पर हुआ। पहाड़ों में पोस्टिंग मिली तो यहां कन्याओं की शिक्षा की स्थिति को जाना। इस दौरान इनका प्रयास रहा कि वे अधिक से अधिक कन्याओं को जोड़े। जिसके बाद इनके स्कूल में गांव की सभी कन्याओं को स्कूल में भेजा जाने लगा। यही नहीं बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ अन्य गतिविधियों के माध्यम से आगे बढ़ाने को प्रयास किया।
कई स्टूडेंट को दिलाई स्कॉलरशिप
दौलत गुंसाई ने प्रभावी शिक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। स्टूडेंट का रिजल्ट 90 परसेंट से ज्यादा रहा है। यहीं नहीं स्टूडेंट प्रतियोगी परीक्षाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। इनकी ओर से पढ़ाए गए स्टूडेंट को कई स्कॉलरशिप भी प्राप्त हुई है। वे स्टूडेंट के दीक्षा पोर्टल और यू-ट्यूब चैनलों पर ई-सामग्री में भी लगातार योगदान दे रहे हैं। उन्होंने स्कूल के बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने और पाठ्यक्रम विकास में शामिल होने में मदद की है। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में 50 से ज्यादा नवीन विज्ञान प्रयोग किये हैं। उनके इसी इंवेंशन को देखते हुए शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए उन्हें शिक्षा मंत्रालय एवं कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय भारत सरकार की ओर से राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा है। ये पुरस्कार पूरे भारत में 24 शिक्षक को सम्मानित किया जाएगा। जिनमें उत्तराखंड के दौलत गुंसाई को को ये पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।
अब तक इन्हें मिला पुरस्कार
2019 में उत्तराखंड से ये अवार्ड रमेश बडोनी को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
2020 में दो शिक्षकों को अवार्ड मिला। जिनमें देहरादून में एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय की सुधा पैन्यूली को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार मिला। कपकोट, बागेश्वर के जीएचएसएस पुडकुनी के केवलानंद कांडपाल को इस अवार्ड से सम्मानित किया गया।
2021 में हरिद्वार के प्रदीप नेगी और कुमाऊं से कौस्तुभ जोशी को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया गया।