देहरादून (ब्यूरो)। एसटीएफ उत्तराखंड के एसएसपी आयुष अग्रवाल ने बताया गया कि एसटीएफ के अधीन साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन द्वारा देश के विभिन्न हिस्सों में बिजली का बिल जमा कराने के नाम पर लाखों की धोखाधड़ी करने वाले गिरोह के एक सदस्य को राजस्थान के चुरु से गिरफ्तार किया गया है। आरोपी की गिरफ्तारी के साथ क्रेडिट कार्ड के माध्यम से धोखाधड़ी करने के तरीके का भी पर्दाफाश हुआ है। गिरोह सदस्यों पर गैंगस्टर की कार्रवाई की जा सकती है।
10 लाख की ठगी की थी
साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन रविकांत उपाध्याय नामक पीडि़त ने रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। शिकायत में कहा गया था कि अज्ञात लोगों ने खुद को बिजली विभाग के अधिकारी बताकर बिजली का बिल जमा न होने की बात कही। कनेक्शन कटने से बचने के लिए उन्होंने एक मोबाइल एप डाउनलोड करने के लिए लिंक भेजा ओर एप के माध्यम से 10 रुपये भेजने को कहा। एप डाउनलोड करते ही उनके खाते से 9,93,994 रुपये निकाल लिये गये।
राजस्थान का निकला आरोपी
एसएसपी के अनुसार एसटीएफ ने सबसे पहले उन मोबाइल नंबरों की पड़ताल की जिनसे शिकायतकर्ता से बात हुई थी। इसके साथ ही उन खातों के बारे में भी जानकारी ली गई, जिनमें अमाउंट ट्रांसफर की गई। जांच में पता चला कि आरोपियों के मोबाइल नम्बर फर्जी आईडी पर खोले गये थे। जिन खातों में अमाउंट ट्रांसफर हुई वे भी फर्जी आईडी पर खोले गये थे। इसके बावजूद एसटीएफ ने प्रयास जारी रखे और विभिन्न माध्यमों के आरोपियों के बारे में जानकारी हासिल करने का प्रयास किया। आखिरकार एक आरोपी की पहचान प्रभु राम खीचड़ पुत्र रणजीत निवासी ग्राम छाजूसर थाना रतननगर जनपद चुरु राजस्थान के रूप में हुई। एसटीएफ की टीम ने राजस्थान पहुंचकर आरोपी को दबोच लिया। उसके पास से मोबाइल फोन एक क्रेडिट कार्ड भी पुलिस ने बरामद किया है।
ऐसे करता था ठगी
आरोपी किसी भी नंबर पर पहले बिजली का बिल जमा न होने का मैसेज भेजता था। और एक नंबर देकर कॉल करने की बात कहता था। बिजली कटने के डर से जब कोई कस्टमर बताये गये नंबर पर फोन करता तो आरोप खुद को बिजली विभाग का अधिकारी बताकर 10 रुपये पेमेंट चार्ज भरने का झांसा देता। इसके लिए वह बिजली कस्टमर को क्विक सपोर्ट ऐप का लिंक देकर ऐप डाउनलोड करवाता। इसके साथ ही पीडि़त व्यक्ति की बैंक खाते की पूरी डिटेल ठग के पास पहुंच जाती और वह पीडि़त व्यक्ति के बैंक अकाउंट में जमा पूरी अमाउंट ट्रांसफर कर लेता। एसटीएफ के अनुसार ठगों का यह गैंग देश के अलग-अलग राज्यों में लोगों को इस तरह के संदेश भेजकर ठगी करता था।