देहरादून, ब्यूरो: साइबर फ्रॉड को लेकर पुलिस, एसटीएफ और सुरक्षा एजेंसियां लोगों से बार-बार अपील कर रही हैं कि किसी भी झांसे में न आएं। लेकिन, लोग हैं कि मानने को तैयार नहीं। यही कारण है कि लालच में आकर पीडि़त लाखों नहीं, बल्कि करोड़ों रुपये साइबर फ्रॉड में गंवा रहे हैं। अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि इस साल केवल 10 महीने यानि अक्टूबर तक तकरीबन 140 करोड़ रुपये लोगों ने साइबर फ्रॉड के फेर में गंवाए। जबकि, गत वर्ष ये संख्या करीब 67 करोड़ तक ही आंकी गई थी। इस वर्ष लोगों में मामूली लालच में अपना दोगुना पैंसा गंवाया। एक पल के लिए आपको ये मजाक लग रहा होगा। लेकिन, ये सच है। इसकी चपेट में सबसे ज्यादा देहरादून, हरिद्वार, उधमसिंहनगर और नैनीताल जैसे जिले शामिल हैं।

हर महीने 22 हजार फोन कॉल्स

साइबर फ्रॉड की दुनिया में आजकल डिजिटल अरेस्टिंग के केसेस में भी लगातार इजाफा हो रहा है। एसटीएफ उत्तराखंड के मुताबिक इस वर्ष अब तक डिजिटल अरेस्ट के करीब 11 मामले सामने आ चुके हैं। जबकि, साइबर फ्रॉड की संख्या में दर्जनों में पहुंच चुकी है। मिली जानकारी के अनुसार साइबर हेल्प के लिए टोल फ्री नंबर 1930 में एसटीएफ को एवरेज रोजाना 800 से ज्यादा फोन कॉल्स रिसीव हो रहे हैं। जबकि, महीनेभर में इसकी संख्या 21 से 22 हजार पार कर जा रही है। खास बात ये है कि इसमें यूपी तक के फोन कॉल्स एसटीएफ उत्तराखंड को रिसीव हो रहे हैं।

सीनियर सिटीजन व युवा टारगेट

एसटीएफ से मिली जानकारी के मुताबिक डिजिटल अरेस्टिंग या फिर साइबर फ्रॉड के चंगुल में सबसे ज्यादा 20 से 25 आयु सीमा के युवा फंस रहे हैं। जिन्हें अपने पॉकेट मनी की ज्यादा जरूरत होती है। इसके अलावा रिटायर्ड सीनियर सिटीजन भी इस दौड़ में शामिल हैं। जिन्हें खाली वक्त पर अपने मोबाइल में कुछ करने का ज्यादा शौक रहता है। कोई भी लिंक, वेबसाइट क्लिक करने पर ऐसे लोगा फ्रॉड के चुंगल में फंस अपनी लाखों व करोड़ों की रकम पलभर में गंवा रहे हैं। जबकि, मिडिल एज ग्रुप के युवाओं की संख्या न के बराबर बताई गई है। वजह, मिडिल एज ग्रुप युवा अपने करियर को लेकर फिक्रमंद के साथ तैयारियों पर जुटे रहते हैं।

इन देशों तक फ्रॉड पहुंचा रहे पैसा

-कंबोडिया

-म्यांमार

-वियतनाम

-थाईलैंड

-लाओस

-डेनमार्क

एक नजर

-वर्ष 2023 में गंवाए 67 करोड़

-वर्ष 2024 में अक्टूबर तक गंवाए 140 करोड़

-अब तक कुल केस दर्ज 112

पीडि़तों में मेल-फीमेल बराबर

डिजिटल अरेस्टिंग या फिर साइबर फ्रॉड के जो लोग शिकार हो रहे हैं। उनमें मेल-फिमेल दोनों बराबर हैं। मसलन, जिस रफ्तार से पुरुष लालच में आकर साइबर फ्रॉड के फेर फंस रहे हैं, उसी रफ्तार से महिलाओं की भी संख्या बताई गई है। जाहिर है कि जानकार बताते हैं कि लोगों को इससे बचने की जरूरत है।

विभाग के पास सीमित संसाधन

जिस रफ्तार से लोग साइबर फ्रॉड या फिर डिजिटल अरेस्टिंग का शिकार हो रहे हैं। उसी रफ्तार से दर्ज मामलों की संख्या भी बढ़ रही है। लेकिन, इसके एवज में पुलिस महकमे में एक्सपट्र्स और संसाधन सीमित हैं। साइबर फ्रॉड व डिजिटल अरेस्ट के आंकड़ों की हम बात कर रहे हैं। वह केवल एसटीएफ के हैं। जबकि, लोकल पुलिस का डेटा इसमें शामिल नहीं है। अंदाजा लगा सकते हैं कि किस रफ्तार लोग फ्रॉड के फेर में फंस रहे हैं। हालांकि, हर जिले में साइबर सेल हैं और एसटीएफ के अधीन फिलहाल 2 साइबर थाने हैं।

साइबर क्राइम में दर्ज केस

-112 कुल केस दर्ज

-25 केस 10 से 20 लाख तक के।

-19 केस 20 से 30 लाख तक के।

-17 केस 30 से 40 लाख तक के।

-11 केस 40 से 50 लाख तक के।

-7 केस 50 से 60 लाख तक के।

-5 केस 60 से 70 लाख के।

-5 केस 80 से 90 लाख तक के।

-4 केस 90 से 1 करोड़ तक के।

-5 केस 1 से डेढ़ करोड़ तक के।

-2 केस डेढ़ से 2 करोड़ तक के।

-2 केस ढ़ाई से 3 करोड़ तक के।

-1 केस 3 करोड़ से ज्यादा का।

साइबर फ्रॉड के निशाने पर

-20 से 22 आयु सीमा के युवा

-रिटायर्ड अफसर व कर्मचारी भी शामिल

इनमें फंस रहे लोग

-स्टॉक एक्सचेंज

-फेडैक्स

-वाट्सएप लिंक

-वर्क फ्रॉम होम

-लोनिंग

-घर बैठे कमाएं लाखों

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