देहरादून (ब्यूरो) सायनोटिक हार्ट डिजीज एक जन्मजात हार्ट संबंधी डिसऑर्डर है। इसमें ब्लड सर्कुलेशन बाधित हो जाता है। ब्लड या तो लिवर तक ठीक से नहीं पहुंच पाता या फिर शरीर में वापस लौट जाता है। ऐसे में ब्लड में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है और स्किन और लिप्स नीले पड़ जाते हैैं। यह डिसऑर्डर ब्लड वेन्स में संकुचन या हार्ट वाल्व में गड़बड़ी के कारण होता है।
रोग के सिंप्टम्स
-स्किन व लिप्स का सायनोसिस
-सांस लेने में तकलीफ
-थकान महसूस होना
-भूख न लगना
-फिंगर क्लबिंग
दवा और सर्जरी से ट्रीटमेंट
इस रोग का निदान आमतौर पर ईसीजी, एक्स-रे और ब्लड जांच के जरिए किया जाता है। इलाज का तरीका जन्मजात दोष के प्रकार और गंभीरता के बाद निर्भर करता है। कुछ मामलों में दवाइयां दी जा सकती हैं। जबकि, अन्य में सर्जरी की जरूरत होती है। नई तकनीकों के विकास से सर्जरी की सफलता दर बढ़ रही है और बच्चों को बेहतर जीवन मिल पा रहा है।
सर्जरी से हो रहा इलाज
दून के कोरोनेशन हॉस्पिटल में सायनोटिक हार्ट का ट्रीटमेंट मिल जाता है। बीते 3 साल में 208 बच्चों की सर्जरी यहां पर की गई है। इस बीमारी को आयुष्मान योजना के तहत कवर किया गया है। ऐसे में फ्री सर्जरी का लाभ मिल जाता है।
बच्चों में सायनोटिक हार्ट की बीमारी दुर्लभ भले ही लगते हो। लेकिन, ये एक गंभीर समस्या है जो लगभग 1 परसेंट नवजात शिशुओं को प्रभावित करती है। सर्जरी से कई बच्चों का ट्रीटमेंट हॉस्पिटल की टीम कर चुकी है।
डॉ। विकास सिंह, पीडियाट्रिक कार्डियक सर्जन, कोरोनेशन हॉस्पिटल
dehradun@inext.co.in