- अंडर ग्राउंड वाटर के लिए बनाई जानी चाहिए व्यापक योजनाएं
- सीमेंट का प्रयोग कम से कम हो, तभी बच पाएगा जल
देहरादून (ब्यूरो): राजधानी दून समेत कई शहरों में पिछले 10 साल में ग्राउंड वाटर लेवल 5 मीटर यानि 15 फुट से अधिक नीचे चला गया है। शहर तेजी से कंक्रीट के जंगल में तब्दील हो रहा हैं। शहर में लगातार बढ़ रही आबादी और विकास योजनाओं में मानकों की अनदेखी से हालात और खराब होते जा रहे हैैं। हर साल करीब 50 सेटीमीटर अंडर ग्राउंड वाटर लेवल खिसक रहा है। अभी से प्रयास नहीं किए गए तो आने वाले समय में पीने के पानी के लिए लोग तरस जाएंगे।
कंक्रीट से हो रहा विकास खतरनाक
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि शहरों में इसी तरह कंक्रीट के जंगल बढ़ते जाएंगे, तो आने वाले 50 साल में अंडर ग्राउंड 100 फुट से भी नीचे चला जाएगा। कहीं पर 200 से लेकर 300 फुट तक नीचे भी वाटर लेवल जा सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि रेन वाटर हार्वेस्टिंग के जरिए वाटर लेवल कंट्रोल किया जा सकता है। इसके लिए सरकारी और गैर सरकारी स्तर पर तेजी से ठोस प्रयास किए जाने चाहिए।
पीजोमीटर के जरिए मॉनिटरिंग
भूजल के अंधाधुंध दोहन के मद्देनजर केंद्र सरकार पीजोमीटर के जरिए लगातार मॉनिटरिंग कर रही है। पीजोमीटर उन क्षेत्रों में लगाए गए हैं जहां वाटर लेवल तेजी से गिर रहा है। इसके लिए सिंचाई विभाग को नोडल डिपार्टमेंट बनाया गया है। सिंचाई विभाग प्रशिक्षण संस्थान रुड़की के सुपरिटेंडेंट इंजीनियर एसके शाह ने बताया कि राज्य में देहरादून, हरिद्वार, यूएसनगर, नैनीताल, पौड़ी, चंपावत में 66 स्थानों पर पीजोमीटर स्थापित किए गए हैं। पीजोमीटर में टेलीमेट्री के जरिए आंकडृे प्रेषित करने वाले डिजिटल वाटर लेवल रिकॉर्डर (डीब्ल्यूएलआर) लगाए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि सभी प्रस्तावित 67 जगहों पर पीजोमीटर के लिए ड्रिलिंग का कार्य पूरा कर लिया गया हे। 61 स्थानों पर डीब्ल्यूएलआर की स्थापना पूरी हो चुकी है, जिसमें से 59 स्टेशन से टेलीमेट्री के माध्यम से आंकडृे रुड़की में स्थापित राज्य सूचना विज्ञान केदं्र एसडब्ल्यूआईसी में सर्वर पर आने शुरू हो गए हैं।
ड्रेनेज का वैज्ञानिक विधि से निर्माण नहीं
बरसात में बड़ी मात्रा में बहने वाले पानी को एकत्रित करने के लिए फिलहाल कोई स्कीम नहीं है। नालियों और नालों का पानी सीधे नदी में पहुंच रहा है। स्मार्ट सिटी की ओर से बनाई जा रहे ड्रेनेज सिस्टम में भी अंडर ग्राउंड वाटर के रिचार्जिंग को लेकर कोई ठोस कार्य नहीं किए जा रहे हैं, जो कार्य किए जा रहे हैं उनका वैज्ञानिक दृष्टिकोण से निर्माण नहीं किया जा रहा है, बरसात के पानी का उपयोग नहीं हो पा रहा है, जो भविष्य में बड़ा खतरा बन सकता है।
दून में यहां स्थापित हैैं पीजोमीटर
यमुना कॉलोनी
सुभाषनगर
लच्छीवाला
झबरावाला
डोईवाला
मेहूंवाला
छिद्दरवाला
ऋषिकेश
सेलकुई
झाझरा
झेबराहेड़ी
ढकरानी
डाकपत्थर
बैरागीवाला
सेखोवाला
रेड़ापुर
तिमली
नहीं मिल रही जमीन
सरकार ने रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए 2019 में कवायद शुरू की, लेकिन इस पर ज्यादा अमल नहीं हो पाया। आदेश में कहा गया है कि सभी सरकारी बिल्डिंगों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए जाएंगे, लेकिन इस दिशा में कार्रवाई तेजी से आगे नहीं बढ़ पाई है। अभी तक केवल 140 बिल्डिंग पर रही रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए गए हैं। यमुना कॉलोनी में मंत्री आवासों पर जरूर जल संस्थान ने आरडब्ल्यूडीएच सिस्टम लगाए हैं।
बजट का भी बना अभाव
जल संस्थान के अधिकारियों का कहना है कि जल संवद्र्धन पर काम किया जा रहा है। शहर में कई जगहों पर रेन रूफ टॉप और अंडर ग्राउंड वाटर टैंक बनाए जा रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि आरडब्ल्यूएच सिस्टम लगाने के लिए कई विभागों में जगह नहीं मिल पा रही है। बजट की भी भारी कमी है। दून में आरडब्ल्यूएच के 5 करोड़ के प्रोजेक्ट शासन में पेंडिंग हैं। इसी तरह अन्य विभागों के अफसरों का भी कहना है कि बजट की कमी आड़े आ रही है।
570176 रिचार्ज पिट और चैक डैम
दून समेत पूरे राज्य में जल जीवन मिशन के तहत रेन वाटर हार्वेस्टिंग के अलावा ग्रे वाटर, रिचार्ज पिट, सोक पिट, चैक डैम, कंटूर ट्रैंच बनाए जा रहे हैं, जिनकी लागत 310 करोड़ रुपये है। इनमें से जल संस्थान 563 आरडब्ल्यूएच सिस्टम के साथ ही 408081 रिचार्ज पिट, पेयजल निगम 361 आरडब्ल्यूएच और 158824 रिचार्ज पिट और सिंचाई विभाग 3271 रिचार्ज पिट और चैक डैम का निर्माण कर रहा है।
कहां कितना ग्राउंड रिचार्जिंग वर्क
जिला आरडब्ल्यूएच अदर रिचार्जिंग
देहरादून 1423 46223
हरिद्वार 280 30025
नैनीताल 280 31674
अल्मोड़ा 0 7990
बागेश्वर 0 23738
चमोली 0 75622
चंपावत 0 5090
पौड़ी 2 118174
रुद्रप्रयाग 0 73011
पिथौरागढ़ 182 9219
टिहरी 54 58064
यूएसनगर 66 14225
उत्तरकाशी 0 77112
विभागवार रिचार्जिंग स्कीम
563 रेन वाटर हार्वेटिंग जल संस्थान
361 पेयजल निगम
924 सिंचाई विभाग
408081 रिचार्ज पिट जल संस्थान
158824 पेयजल निगम
3271 सिंचाई विभाग
570176 रिर्चा पिट बनाए जा रहे जल जीवन मिशन में दून समेत पूरे राज्य में
100 लीटर से 10 सेमी। भूमि रिचार्ज
भूगर्भ वैज्ञानिक डा। दीपक भट््ट ने बताया कि बरसात में 100 लीटर पानी से अंडर ग्राउंड वाटर लेवल 10 सेमी। अप होता है। उन्होंने शहर में स्मार्ट सिटी में बन रही नालियों और ड्रेनेज पर सवाल उठाते हुए कहा कि इसमें मानकों की भारी कमी है। इससे अंडर ग्राउंड रिचार्ज होने की गुंजाइश पूरी तरह खत्म है। रेन वाटर हार्वेस्टिंग मानकों के अनुरूप किया जाना चाहिए। नालियों की सतह सीमेंटेड की जगह आरबीएम डाला जाना चाहिए। इससे जमीन जल्दी रिचार्ज होगी और लेवल भी बना रहेगा। सीमेंट के नाले बनने से पानी नालों से सीधे नदी जाएगा और जमीन रिर्चा नहीं होगी। बोरिंग पूरी तरह प्रतिबंधित होने चाहिए। ड्रेनेज नालों में मुर्गा जाली यूज कर पत्थर-रोड़े आदि बिछाए जाने चाहिए, ताकि भूमि की परकुलेशन बनी रहे।
कंक्रीट के जंगल बड़ा खतरा
शहरों में तेजी से खड़े हो रहे कंक्रीट के जंगल अंडर ग्राउंड वाटर के लिए बड़ा खतरा है। इस पर अंकुश लगाया जाना चाहिए। हैंडपंप बोरिग पर तत्काल रोक लगाई जानी चाहिए। हर घर में लॉन को अनिवार्य किया जाना चाहिए।
डा। दीपक भट्ट, विभागाध्यक्ष, भूगर्भ विज्ञान, डीबीएस पीजी कॉलेज, देहरादून