- देहरादून शहर में हर साल बन रहे हैैं 15 हजार भवन
- अब तक 1.50 लाख भवनों के नक्शे स्वीकृत
देहरादून, (ब्यूरो): खासकर दून नगर निगम के अंतर्गत नए बने 60 वार्डों में प्लॉटिंग के साथ भवनों का निर्माण अधिक तादाद में हो रहा है। इन क्षेत्रों में अकृषि की भूमि पर धड़ल्ले से भवनों का निर्माण हो रहा है। एमडीडीए की ओर से अवैध निर्माण को लेकर लगातार की जा रही कार्रवाई इसका उदाहरण है। एमडीडीए हर साल औसतन करीब 6 से 7 हजार भवनों के नक्शे स्वीकृत कर रहा है। नगर निगम में ग्रामीण इलाकों को मिलाकर बने नए वार्डों में अभी सख्ती से नक्शे स्वीकृत नहीं कराए जा रहे हैं। इन क्षेत्रों को जोड़ दिया जाए, तो भवन निर्माण की संख्या सालाना 15 हजार से अधिक होने की संभावना है।
पिछले 5 साल में स्वीकृत भवनों के नक्शे
वर्ष स्वीकृत नक्शे
2018 4023
2019 4447
2020 5400
2021 9500
2022 8900
पेंडिंग हैं 1000 से ज्यादा नक्शे
एमडीडीए में नक्शे पास कराने में लंबा समय लग रहा है। इसकी वजह पर्याप्त कार्मिक न होना बताया जा रहा है। इससे फील्ड वर्क सबसे ज्यादा प्रभावित होना बताया जा रहा है। एमडीडीए में सबसे ज्यादा जूनियर इंजीनियरों की कमी है। जूनियर इंजीनियरों के 32 पद स्वीकृत हैं, लेकिन नियमित रूप से एक ही जूनियर इंजीनियर कार्यरत है। बताया जा रहा है कि एमडीडीए में वर्तमान मे 1000 से अधिक नक्शे पेंडिंग चल रहे हैं। इनमें से अधिकांश नक्शे फील्ड विजिट न होने की वजह से लटके पड़े होने की बात की जा रही है।
लंबी प्रक्रिया बन रही रोड़ा
एमडीडीए में जनरल और कमर्शियल नक्शे स्वीकृत कराने को लंबी प्रक्रिया है, जिस वजह से आम आदमी नक्शे स्वीकृत कराने से परहेज करते हैं। नक्शे स्वीकृत करने के मानक बेहद कठिन है। कई बार एमडीडीए में मानचित्र स्वीकृति की प्रक्रिया के सरलीकरण की बात उठी है, लेकिन इसमें कोई खास बदलाव नहीं हुआ है। जिस वजह से अधिक संख्या मे अवैध निर्माण होना बताए जा रहे हैं।
आधे से अधिक नक्शे रिन्यू नहीं
एक बार नक्शा स्वीकृत कराने के बाद केवल पांच साल तक ही वैध रहता है। पांच साल बाद फिर कंस्ट्रक्शन कराने के लिए नक्शा स्वीकृत कराना अनिवार्य होता है, लेकिन आधे से अधिक नक्शे रिन्यू नहीं हुए हैं। हालांकि इसमें पैनाल्टी का भी प्रावधान है। आम आदमी को यह पता नहीं है कि स्वीकृत नक्शा पांच साल के लिए ही स्वीकृत है। इसके बाद भवन पर ऊपरी मंजिल पर निर्माण कराने को नक्शा पास करना होता है, लेकिन अमूमन लोग ऐसा नहीं कर रहे हैं।
ये बात सही है कि शहर में भवनों के निर्माण बहुत तेजी से हो रहे है । इसमें कमी लाना एमडीडीए के हाथ में नहीं है, लेकिन बगैर नक्शे बन रहे भवनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है। नक्शा स्वीकृति को लेकर यदि कहीं मानकों के सरलीकरण की गुंजाइश होगी तो उस पर विचार किया जाएगा।
मोहन सिंह बरनिया, सचिव, एमडीडीए