देहरादून,(ब्यूरो): सीएम पुष्कर सिंह धामी ने 15 अक्टूबर तक पूरे प्रदेश की सड़कें ठीक हो जाने की तिथि तय की थी। लेकिन, ऐसा लगता है कि इसके बावजूद विभागीय अधिकारियों ने इसमें लापरवाही बरती है। यही कारण है कि एक बार फिर से मंगलवार को सीएम ने विभागीय अधिकारियों की बैठक ली और वर्तमान में सड़कों की डिटेल में जानकारी ली।

लापरवाही पर होगी सख्त कार्रवाई

सीएम धामी ने सड़क गड्ढा मुक्त अभियान की समीक्षा करते हुए अधिकारियों से अब तक पूर्ण हुए कार्यों की विस्तृत जानकारी मांगी। अपने आवास पर हुई बैठक में निर्देश दिए कि जहां-जहां सड़कों की मरम्मत का कार्य अभी तक पूरा नहीं हुआ है। उसे प्राथमिकता के आधार पर पूरा कर जनता को सुरक्षित और सुगम यातायात उपलब्ध कराया जाए। निर्धारित समय सीमा में सड़कों की मरम्मत के कार्य में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई करने के भी सीएम ने निर्देश दिए।

लोकल प्रोडक्ट्स पर जोर

सीएम ने फेस्टिव सीजन में राज्य के लोकल प्रोडक्ट्स को बढ़ावा देने पर जोर दिया। कहा, लोकल प्रोडक्ट्स की बिक्री की समुचित व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाएं। लोगों का आह्वान किया है कि फेस्टिव सीजन में लोकल प्रोडक्ट्स की खरीदारी जरूर करें। इससे न केवल स्थानीय उद्यमियों और कारीगरों को समर्थन मिलेगा। बल्कि वोकल फॉर लोकल और आत्मनिर्भर भारत जैसे अभियानों को भी बल मिलेगा। इस दौरान प्रमुख सचिव आरके सुधांशु, सचिव शैलेश बगोली, विनय शंकर पांडेय, एडीजी एपी अंशुमन, उपाध्यक्ष एमडीडीए बंशीधर तिवारी मौजूद थे।

8 साल से नहीं बनी सड़क

आप सुनकर चौंक जाएंगे कि राजधानी में एक ऐसा इलाका है। जहां करीब 8 वर्ष पहले विकास कार्यों के लिए सड़क खोदी गई थी। लेकिन, तब से लेकर अब तक ये सड़क नहीं बन पाई। मतलब, यहां के स्थानीय करीब आठ सालों से सड़क की मरम्मत की राह देख रहे हैं। हम बात कर रहे हैैं नत्थूवाला इलाके की, कई बार स्थानीय पार्षद, विधायक व जनप्रतिनिधियों से लोगों ने शिकायत भी दर्ज करवाई। लेकिन, कोई सुनने को तैयार नहीं। अब स्थानीय लोगों ने सड़क की मरम्मत हो पाएगी, उम्मीदें भी छोड़ दी हैं।

ट्रांसपोर्टनगर की सड़क बदहाल

ट्रांसपोर्टनगर में भी सड़कों का बुरा हाल है। स्थानीय ट्रांसपोर्टर्स लव चौधरी के अनुसार गड्ढा मुक्त ट्रांसपोर्ट नगर में सड़क के बीचोंबीच स्थित करीब एक महीने से पुलिया टूटी हुई है। लेकिन, उसकी भी कोई सुध नहीं लेने वाला है। जबकि, ये वही मार्ग है, जहां से स्कूलों के बच्चे और आम लोग गुजरते हैं।

कई बार ऐसा लगता है कि सरकार या फिर संबंधित विभाग ट्रांसपोर्टनगर में भेदभाव कर रहा है। यहां न लाइट, न सफाई और न ही सड़कें ठीक हैं। जबकि, ट्रांसपोर्टनगर में सबसे ज्यादा वाहनों की आवाजाही लगी रहती है।

-लव चौधरी, ट्रांसपोर्टर।

आम लोगों की सबसे प्रमुख जरूरत सड़क होती है। जबकि, सीएम ने मानसून सीजन में खराब हुई सड़कों को लेकर 15 अक्टूबर की तिथि निर्धारित की थी। बावजूद इसके कई इलाकों में सड़कें बदहाल हैं।

-हरि प्रसाद पुरोहित, मोहनपुर

जब राजधानी दून के कई इलाकों में सड़कों के हाल बुरे हैं तो राज्य के दूसरे इलाकों का क्या कहना। कई बार ऐसा लगता है कि जिम्मेदार या फिर संबंधित विभाग सीएम के आदेशों तक को नहीं सुनते हैं। इस पर मंथन हो।

-ओम प्रकाश गुप्ता, प्रेमनगर

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