देहरादून, (ब्यूरो): बीते वर्षों की तर्ज पर दून में डेंगू भयंकर रूप न ले। नगर निगम का दावा है कि इस बार पुराने अनुभवों को देखते हुए 1 अप्रैल से ही दून में लार्वीसाइड की शुरुआत की जा चुकी है। अब तक हजारों लीटर की संख्या में मेलाथियॉन, डेल्टामेथ्रिन व टेमीफोस जैसे कैमिकल का यूज किया जा रहा है। निगम प्रशासन का ये भी कहना है कि आगे भी मानसून सीजन में डेंगू से बचाव के लिए इन लार्वीसाइड का पूरा यूज किया जाएगा। लेकिन, राजधानी में कई इलाके ऐसे हैं, जहां लार्वी को नष्ट करने के लिए डिमांड बनी हुई है। फिलहाल, नगर निगम प्रशासन का कहना है कि खुद लोग डेंगू के लिए अवेयर हो जाएं, पानी जमा न होने दें, तो डेंगू से बचाव के लिए ये बड़ा ब्रह्मास्त्र हो सकता है।

पुराने कटु अनुभव को लेकर सतर्कता के साथ एकता
ये बात सच है कि पिछले वर्षों में डेंगू के भयंकर रूप को देखते हुए अबकी बार जिला प्रशासन के नेतृत्व में डेंगू पर नियंत्रण पाने के लिए कोशिशें बरकरार हैं। बाकायदा, खुद डीएम इस पर नजरें बनाए हुए हैं। मंडे को बाकायदा फॉलोअप भी लिया जा रहा है। इसके साथ जिलास्तरीय हर विभाग, संख्या करीब 40 से ऊपर बताई जा रही है, उनको भी जिम्मेदाररी सौंपी गई है। सीएमओ की ओर से पहले ही डेंगू एलाइजा टेस्ट के रेट तय कर दिए गए हैं। ब्लड बैंक को ब्लड की उपलब्धता के लिए पोर्टल पर रोज रिपोर्ट अपलोडिंग के लिए कहा जा रहा है। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि डेंगू की आशंका को देखते हुए काफी हद तक नियंत्रण पाया जा सकेगा।

फॉगिंग व स्प्रे कर चुका है नगर निगम
नगर निगम की ओर से डेंगू नियंत्रण के लिए फॉगिंग के साथ स्प्रे का का भी युद्धस्तर पर चल रहा है। इसके लिए 100 वार्डों में 100 छोटी मशीनें और 2 टैंकरों की मदद फॉगिंग व स्पे्र किया जा रहा है। दून शहर में लार्वी नष्ट करने के लिए मेलाथियॉन, डेल्टामेथ्रिन व टेमीफोस कैमिकल यूज किया जा रहा है। वरिष्ठ नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ। अविनाश खन्ना के मुताबिक कई बार ये भी देखने में आ रहा है कि मेलाथियॉन, डेल्टामेथ्रिन या फिर टेमीफोस के छिड़काव को बदल-बदल कर किया जा रहा है। कारण, एक ही कैमिकल यूज करने से लार्वा नष्ट नहीं हो पाता है। ऐसे में कैमिकल का छिड़काव 15-15 दिनों में बदलकर किया जा रहा है। इसके लिए सबसे ज्यादा संवेदनशील इलाकों को पहले टारगेट किया जा रहा है। जहां पर हर बार खतरा बना रहता है। बड़ी नालियों, तालाबों में जहां पर पानी जमा है, वहां पर वाटर स्प्रिंकलर से स्प्रे किया जा रहा है। इसके लिए 1 अप्रैल से लेकर अब तक करीब 10 हजार लीटर से ज्यादा कैमिकल का यूज दून शहर के लिए किया जा चुका है।

दो दिन से बारिश से राहत
डेंगू के खतरे को देखते हुए गत दो दिनों से बारिश नहीं है। ऐसे में नगर निगम समेत तमाम विभाग इसको लेकर राहत की सांस ले रहे हैं। कारण, बारिश के पानी से लार्वी पनपने का खतरा बन जाता है। इसके बाद लोग निगम निगम से लार्वीसाइड के छिड़काव व फिर फॉगिंग को लेकर डिमांड करने लगते हैं।

गत वर्षों के अनुभव को देखते हुए ये रहे हैं हॉट स्पॉट
-पथरीबाग, अजबपुर, रायपुर जैसे इलाके डेंगू के लिए सबसे ज्यादा हॉट स्पॉट बने हुए हैं। यही कारण है कि अबकी बार नगर निगम की टीमें ऐसे संवेदनशील इलाकों में अपनी पैनी नजर बनाए हुए हैं। जिससे खतरे पर समय रहते काबू पाया जा सके।

डेंगू खात्मे को चल रहा अभियान
कुल घरों का सर्वे--108831
कुल सर्च किए गए कंटेनर्स--294129
कुल कंटेनर्स में पाया गया लार्वी-659

स्प्रे व फॉगिंग के लिए मौजूद मशीनें
-3 बड़ी मशीनें
-100 छोटी मशीनें
-5 ट्रैक्टर टैंकर
-1 वाटर स्प्रिंकलर टैंकर

सैटरडे को डेंगू पर चला अभियान
-डेगू पॉजिटिव केस--0
-कुल कार्यरत आशा--420
-कुल घरों की जांच--11549
-कुल कंटेनरों की जांच--30889

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