देहरादून (ब्यूरो) । गुरुवार को तड़के चार बजे से ही विभिन्न घाटों पर श्रद्धालुओं का पहुंचना शुरू हो गया था। दीयों की रोशनी से जगमग घाटों पर दीपावली जैसा नजारा था। हर तरफ आतिशबाजी भी हो रही थी। सूर्य की पहली किरण के साथ व्रतियों ने सूर्य को अर्घ्य अर्पित करना प्रारंभ किया। टपकेश्वर स्थित तमसा नदी, प्रेमनगर स्थित टोंस नदी, मालदेवता स्थित सौंग नदी और रिस्पना, रायपुर व बह्मपुरी छठ पार्क घाट समेत कई घाटों पर पानी में खड़े होकर श्रद्धालुओं ने सूर्य को अर्घ्य दिया। कई श्रद्धालुओं ने कोरोना की गाइडलाइन का पालन करते हुए अपने घर की छत पर टब व बड़े बर्तन में पानी भरकर उसे ही तालाब मानते हुए सूर्यदेव को अर्घ्य दिया। व्रतियों ने छठी मइया के साथ पितरों को भोग लगाकर पूजा-अर्चना की और तब 36 घंटे का निर्जला उपवास संपन्न हुआ। व्रतियों ने सुहागिनों को सिंदूर और पुरुषों को तिलक लगाकर उनके सुख और शांतिमय जीवन की कामना की।

गीत के साथ दिया अर्घ्य
भंडारीबाग, किशननगर सहित विभिन्न जगहों पर सूर्य को अर्घ्य दिया गया। इस दौरान पहिले पहिल हम कईनी।।, छठी मईया व्रत तोहार।।, करिहा क्षमा छठी मईया।।, भूल-चूक गलती हमार।।, सब के बलकवा के दिहा।।, छठी मईया ममता-दुलार।। आदि गीत गाकर छठी मइया की पूजा की गई।

संतान प्राप्ति का आशीर्वाद
छठ को माई, छठ माई पूजा और सूर्य षष्ठी पूजा के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि भक्ति से प्रसन्न होकर छठी मइया विवाहित जोड़ों को संतान प्राप्ति का आशीर्वाद देती हैैं। सूर्य देव व्रती को निरोगी व सुखी जीवन का आशीष प्रदान करते हैं।

आईटीबीपी परिसर में भी हुआ पूजन
सीमाद्वार स्थित आइटीबीपी परिसर में भी झील के किनारे छठ पर्व मनाया गया। इस दौरान उत्तरी सीमांत मुख्यालय के डीआइजी नीलाभ किशोर ने पत्नी निधि श्रीवास्तव व परिवार के सदस्यों के साथ उगते सूरज को अर्घ्य दिया। डीआइजी की पत्नी ने पूजन में शामिल आइटीबीपी जवानों के परिवारों की महिलाओं को पूजन की विधि व महत्ता के संबंध में जानकारी दी।