देहरादून ब्यूरो। आमवाला तरला में नगर निगम के बुलडोजर में मजदूरों की एक बस्ती पूरी तरह से तोड़ दी। इस बस्ती में ईंटों के 21 मकान बनाये गये थे। पिछले दिनों नगर निगम के दस्ते ने कुछ दीवारें तोड़ी थी। विरोध और शिकायतों के बाद मेयर ने पहले तीन दिन और बाद में तीन महीने का समय दिया था। लेकिन तीन महीने का आश्वासन हवा हो गया। तीन दिन में ही बस्ती को पूरी तरह से उजाड़ दिया गया।
बारिश के बीच चलता रहा बुलडोजर
आमवाला तरला में दोपहर ठीक उस समय नगर निगम का बुजडोजर चला, जब इस क्षेत्र में तेज बारिश हो रही थी। लोग बुलडोजर की गडग़ड़ाहट के बीच अपने घरों का सामान समेटने का प्रयास करते रहे, लेकिन बहुत कम सामान बचा पाये। जो सामान बचा वह लोगों ने एक तिरपाल के नीचे रखा है। लोगों का कहना है कि उन्हें कोई नोटिस नहीं दिया गया। सीमा नामक महिला ने कहा, वह रोटी बना रही थी। गूंदा हुआ आटा तक नहीं बचा पाई। बच्चे सुबह से भूखे हैं। अब खाने के लिए कुछ नहीं बचा है।
भूमाफिया पर नहीं हुई कार्रवाई
इस बस्ती में रह रहे मजदूरों को कहना है कि बस्ती के साथ एमडीडीए के बहुमंजिला एलआईजी फ्लैट के निर्माण के दौरान वे उनमें मजदूरी करते थे। इस जमीन पर झुग्गियां डालकर रहते थे। इसी बीच एक 22 वर्ष के युवक को सांप ने काटा और उसकी मौत हो गई। इससे लोग कुछ सुरक्षित घर बनाना चाहते थे। इस बीच एक महिला ने उनसे 4-4 लाख रुपये में पट्टा देने की बात कही। 21 मजदूरों ने तीन-तीन लाख रुपये दिये। अब वे पटटे के कागज मांग रहे थे तो महिला ने घर उजाडऩे की धमकी दे दी। इस धमकी के दो दिन ही बाद ही नगर निगम का दस्ता तोडफ़ोड़ करने पहुंचा और पांच दिन में बस्ती पर बुलडोजर चलवा दिया गया।
मसूरी में भी बुलडोजर
उधर मसूरी क्षेत्र में भी लगातार तोडफ़ोड़ का सिलसिला जारी रहा। एसडीएम के नेतृत्व में राजस्व, पीडब्ल्यूडी, एनएच और नगर पालिका परिषद ने इस तोडफ़ोड़ की कार्रवाई में हिस्सा लिया। संयुक्त टीम ने लंढौर बाजार सहित कई जगहों पर अतिक्रमण हटाया। एसडीएम मसूरी के अनुसार मसूरी क्षेत्र में अतिक्रमण चिन्हित करने और हटाने का काम लगातार जारी है। पर्यटन नगरी को अतिक्रमण से पूरी तरह मुक्त करने तक यह अभियान जारी रहेगा।