देहरादून (ब्यूरो) खरीदारों से झूल बोलकर रकम वसूलने वाले प्रमोटर्स पर प्राधिकरण शिकंजा कसने की तैयारी में है। रेरा ने प्राधिकरण में पंजीकृत रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स से त्रैमासिक प्रतिवेदन यानि क्वाटरली प्रॉग्रेस रिपोर्ट कंपल्सरी जमा करने के आदेश जारी किए हैं। समय पर क्यूपीआर जमा नहीं करने पर प्रमोटर्स पर डेली के हिसाब से जुर्माना लगाया जाएगा। लगातार 4 क्यूपीआर जमा नहीं करने पर प्रमोटर को कारण बताओ नोटिस देने के बाद सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

रेगुलर मॉनिटर होगी प्रॉग्रेस
प्रमोटर्स को हर तीसरे महीने में पंजीकृत प्रोजेक्ट की प्रगति रिपोर्ट दाखिल करनी होगी। इससे हाउसिंग प्रोजेक्ट में इंवेस्टमेंट, निर्माण की प्रगति व खरीदारों से मिली रकम के प्रयोग की पूरी जानकारी रेरा को मिल सकेगी। बता दें कि रियल एस्टेट विनियमन और विकास अधिनियम 2016 के तहत आवासीय परियोजनाओं में प्रमोटर्स के लिए त्रैमासिक प्रगति रिपोर्ट दाखिल करना जरूरी है, लेकिन उत्तराखंड में प्रमोटर्स यह ब्योरा नहीं देते। इससे प्रोजक्ट की वास्तविक प्रगति रेरा को नहीं मिल पाती। इसलिए रेरा ने क्यूपीआर अनिवार्य कर दिया है।

हर साल ऑडिट रिपोर्ट तलब
प्राधिकरण की बोर्ड मीटिंग में रियल एस्टेट कारोबारियों से प्रत्येक वर्ष वित्तीय वर्ष की समाप्ति के बाद छह माह के भीतर चार्टर्ड अकाउंटेंट से लेखा परीक्षा कराकर प्रमाणित और हस्ताक्षरित ऑडिटेड स्टेटमेंट ऑफ अकाउंट्स हर हाल में सितंबर माह तक जमा करना होगा। इसमें केवल एक माह का ग्रेस पीरियड दिया जाएगा। ऐसा न करने पर प्रमोटर पर उनकी रियल एस्टेट परियोजना के पंजीकरण शुल्क के बराबर अर्थदंड लगाया जाएगा।

कंप्लीशन सर्टिफिकेट में चेंज
प्रोजेक्ट अधूरा छोड़ प्रमोटर गुमराह करके कंप्लीशन सर्टिफिकेट बनवा लेते थे, लेकिन अब वह ऐसा नहीं कर पाएंगे। प्राधिकरण ने इसमें संशोधन करते हुए पूर्णता प्रमाण पत्र के लिए सक्षम प्राधिकार में आवेदन प्रस्तुत किए जाने के संबंध में शपथ पत्र के साथ उत्तराखंड भवन निर्माण उपविधि के फॉर्म 11 एवं फॉर्म 11सी साक्ष्य के लिए संलग्न करना होगा। साथ ही सक्षम प्राधिकार द्वारा जारी पावती एक्नॉलेजमेंट जिसमें एप्लीकेशन नंबर दर्ज हो को भी शपथ के पत्र के साथ पेश करना होगा।

लेट पंजीकरण विस्तार पर जुर्माना
कई प्रमोटर्स प्राजेक्ट्स के पंजीकरण विस्तार की अवधि विस्तार के लिए विलंब से आवेदन प्रस्तुत करने पर जुर्माने के कई स्लैब फिक्स किए हैं। जिसमें पंजीकरण शुल्क के 10 परसेंट से लेकर पंजीकरण शुल्क के बराबर की रकम विलंब के लिए जुर्माना देना होगा। इसे अलावा पंजीकरण समाप्ति के एक साल बाद प्रमोटर द्वारा अवधि विस्तार के लिए आवेदन प्रस्तुत करने पर पंजीकरण शुल्क के दोगुना जुर्माने के तौर पर वसूला जाएगा।

फ्लैट को कोर्ट के चक्कर
दून में 200 से अधिक हाउसिंग प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं, जिनमें से अधिकांश विवादों में है। विवादों के चलते खरीदारों को लॉस हो रहा है। ऐसे कई मामले रेरा के अलावा कई कोर्ट में हैैं। केवल दून ही नहीं हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर और नैनीताल में भी बड़ी संख्या में बिल्डर्स की धोखाधड़ी के केस दर्ज हैं। कई प्रमोटर्स खरीदारों के करोड़ों रुपए लेकर चंपत हैं, तो कई कोर्ट में मुकदमों के चलते बंद हैं। इसका खामियाजा भी खरीदारों को भुगतना पड़ रहा है।

प्रमोटर्स नहीं कर पाएंगे मनमानी
उत्तराखंड में कई बड़े हाउसिंग प्रोजेक्ट्स में प्रमोटर्स ने फ्लैट खरीदारों की डिपॉजिट रकम दूसरी जगहों पर इन्वेस्ट कर दी, जिससे समय पर काम पूरा नहीं हो पाया। पहले खरीदारों को जल्द फ्लैट का निर्माण पूरा करने का दावा करके रकम वसूल लेते हैं और बाद में कई सालों तक खरीदार प्रमोटर्स व बिल्डर्स के चक्कर लगाते रहते हैं, लेकिन उन्हें फ्लैट नहीं मिलता। रेरा में प्रमोटर्स के खिलाफ ऐसे 1000 से अधिक मामले दर्ज हैं।

क्यूपीआर में देनी होगी जानकारी
- इंजीनियर, चार्टर्ड अकाउंटेंट, आर्किटेक्ट, रियल एस्टेट एजेंट आदि से परिवर्तन की जानकारी।
- प्लॉट, अपार्टमेंट, यूनिट की बुकिंग की वर्तमान स्थिति।
- बेसमेंट, फ्लोर, सुपर स्ट्रक्चर, लिफ्ट, वाटर हेड टैंक, परिवहन का विवरण।
- पिछले तीन माह में भवन निर्माण में हुई वृद्धि का ब्योरा।
- यदि 10 दिनों के भीतर कोई जवाब नहीं मिलता है तो प्रमोटर को सुनवाई के लिए बुलाया जाएगा।
- प्रमोटर को प्लॉट, आर्टमेंट, यूनिट की बुकिंग की भी वर्तमान स्थित का पूरा ब्योरा देना होगा।
- खरीदारों से प्राप्त रकम का कितना हिस्सा किस मद में खर्च किया, इसके साथ ही पूरी फाइनेंशियल अपडेट देनी होगी।
- कवर पार्किंग की बुकिंग के साथ ही गैराज आदि की जानकारी भी देनी होगी।

प्रमोटर्स व बिल्डर के खिलाफ लगातार शिकायतें मिल रही हैं। खरीदारों से रकम लेकर दूसरी जगह इन्वेस्ट कर रहे हैं और खरीदार चक्कर काटते रहते हैं। इस पर प्राधिकरण ने कई निर्णय लिए हैं। धोखाधड़ी पर प्रमोटर्स के खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाएगा।
रबिंद्र पंवार, अध्यक्ष, उत्तराखंड भू-संपदा नियामक प्राधिकरण

dehradun@inext.co.in