देहरादून,(ब्यूरो): सब कुछ ठीक ठाक रहा तो प्रशासन के निर्णय के मुताबिक आने वाले दिनों में राजधानी के 6 प्रमुख चौराहों पर धरना प्रदर्शन, जुलूस, शोभायात्रा, रैली जैसे आयोजन पर प्रतिबंध देखने को मिलेगा। इसकी असल वजह इन इलाकों में आए दिन लगने वाले जाम बताया गया है। जिसका प्रभाव सबसे इन प्रमुख मार्गों व चौराहों के साथ ही दूसरे चौक-चौराहों पर भी पड़ता है। जिस कारण चौराहों के चारों ओर का मार्ग पूरी तरह बाधित हो जाता है।
आम लोगों के हित में फैसला
डीएम सविन बंसल व एसएसपी अजय सिंह दून द्वारा संयुक्त रूप से मंथन के बाद सिटी में वर्षों से चली आ रही समस्या को गंभीरता से लेते हुए जनमानस के हित में ये फैसला लिया गया है। कहा गया है कि राजधानी के प्रमुख 6 चौराहों पर नई व्यवस्था बनाई गई। जिसके तहत प्रमुख स्थलों, मार्गों पर इस प्रकार के धरना प्रदर्शन, जुलूस, शोभायात्रा, रैली आदि तमाम कार्यक्रमों के संचालन होने से आवश्यक सेवाओं, ट्रैफिक के बाधित होने से आम लोगों में नाराजगी सामने आ रही है। इसको देखते हुए इस पर रोक लगाए जाने का फैसला लिया है।
ये चौराहे शामिल
-घंटाघर
-गांधी पार्क
-एस्लेहॉल चौक
-दर्शन लाल चौक
-तहसील चौक
-बुद्धा चौक
राजभवन व सीएम आवास कूच के लिए ये व्यवस्था
ये भी बताया गया है कि परेड ग्राउंड से राजभवन, सीएम आवास कूच करने के लिए जनसमूह को पैसिफिक तिराहे पर ही रोका जाएगा। जबकि, पारंपरिक शोभा यात्राओं व धार्मिक जुलूसों के लिए विशेष परिस्थितियों में समय, मार्ग व संख्या के निर्धारण करने के लिए जिला प्रशासन, पुलिस व ट्रैफिक पुलिस के साथ बैठक के बाद वर्कप्लान तैयार कर क्रियान्वित किया जाएगा। ये भी स्पष्ट किया गया है कि तमाम संगठनों व दलों द्वारा सचिवालय कूच किए जाने के लिए जुलूस या फिर जनसमूह परेड ग्राउंड कैंपस के बाहर निकट डूंगा हाउस में एकत्रित होने के बाद कनक चौक होते हुए पैसिफिक तिराहा से आगे बढ़ेगा। उसके बाद आयकर तिराहे पर जाएगा।
जितना ट्रैफिक, उतनी सड़कें नहीं
दरअसल, दून शहर में ट्रैफिक समस्या नासूर बनते जा रही है। जानकार बताते हैं कि जिस रफ्तार से सिटी में वाहनों की संख्या बढ़ रही है, उस लिहाज से सड़क सीमित हैं। ये सड़कें दून के ट्रैफिक को झेलने में नाकाम साबित हो रही हैं। जानकारों के मुताबिक इंडियन रोड कांग्रेस (आईआरसी) के मानकों पर गौर करें तो दून में जितना ट्रैफिक है, उसके हिसाब से शहर की प्रमुख सड़कें कम से कम फोर-लेन होनी चाहिए। यही कारण है कि शहर की सड़कों पर ट्रैफिक रेंगकर चलता है। इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं, जिस दिन शहर में धरना, प्रदर्शन, रैली और शोभयात्रा निकल जाए। मानों शहर के दम फूल जाता है। बताया जा रहा है कि पुलिस व प्रशासन ने इसको देखते हुए ये फैसला लिया है।
226 दिन में 95 बार जुलूस व अन्य आयोजन
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 5 वर्ष पहले जनवरी 2019 से इस 14 अगस्त तक करीब 226 दिन में 95 बार दून सिटी की सड़कों पर जुलूस-प्रदर्शन व अन्य आयोजनों देखे गए। जिस कारण शहर को जाम की दिक्कत झेलनी पड़ी।
2016 में ट्रैफिक डायरेक्ट्रेट का गठन हुआ
सिटी में ट्रैफिक व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए वर्ष 2016 में ट्रैफिक डायरेक्ट्रेट का गठन किया गया। बाकायदा, आईजी व डीआईजी लेवल के अधिकारी को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई। डायरेक्ट्रेट की ओर से कई प्रयास किए गए। लेकिन, व्यवस्था अब भी जस के तस बनी हुई है। हाल यह हैं कि जाम में फंसने के डर से दून में लोग अब अपने वाहन को घर से बाहर निकालने से कतराते हैं। जबकि, ट्रैफिक व्यवस्था को व्यस्थित करने के लिए तत्कालीन डीजीपी बीएस सिद्धू ने 2014 में सीपीयू का गठन भी किया।
जनहित में ये फैसला अच्छा है
यह जनहित में एक बहुत ही अच्छा कदम है। इस प्रकार की रोकथाम से हो सकता है कुछ लोगों को बुरा लगता हो। लेकिन, आम जनमानस के लिए इन चौराहों पर इस प्रकार के आयोजन रोके जाना अधिकांश लोगों के लिए राहत भरी खबर है। कार्यक्रमों के लिए शासन को स्थान भी चयनित करना चाहिए।
-अशोक वर्मा, पूर्व नेता प्रतिपक्ष, नगर निगम
प्रमुख चौराहों पर धरना प्रदर्शन आदि पर रोक लगाना सराहनीय कदम है। लेकिन, दून जाम की असल वजह असीमित तरीके से रिक्शा व ई-ऑटो के परमिट हैं। ई-रिक्शा, ऑटो, लोडर, हाथ ठेली को घंटाघर क्षेत्र से 3 किमी दायरे तक रोक दिया जाए, जाम से राहत मिलेगी।
-विजय वर्धन डंडरियाल, अध्यक्ष, महानगर बस यूनियन।
दूनवासियों को चौराहों पर राजनीतिक धरने, प्रदर्शनों, पुतला दहन जैसे कार्यक्रमों का सामना करना पड़ता है। ट्रैफिक जाम के साथ प्रदूषण की भी दिक्कत होती है। जिला प्रशासन के ये प्रयास प्रशंसनीय हैं। इसके लिए सभी लोगों को सहयोग भी करना चाहिए।
-सुशील त्यागी, महासचिव, संयुक्त नागरिक संगठन दून।
धरना प्रदर्शन,जुलूस व रैली आदि रोक लगाने को शासन का फैसला आम लोगों के साथ व्यापारियों के लिए फायदेमंद रहेगा। ट्रैफिक की समस्या से निजात मिल सकेगी। शोभायात्रा साल में एक-दो बार होती हैं, इस पर विचार करना चाहिए।
-पंकज मैसोन, अध्यक्ष, महानगर उद्योग व्यापार मंडल।dehradun@inext.co.in