देहरादून (ब्यूरो) शहर के बीचों बीच स्थित परेड ग्राउंड की बदहाल स्थिति को देखते हुए स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत इसे डेवलेप किया गया है। करीब चार साल से ग्राउंड में तमाम निर्माण कार्य पूरे हुए हैं। 15 करोड़ से अधिक की धनराशि ग्राउंड पर खर्च होने के बाद अब इसके देख-रेख का जिम्मा भी फिलहाल स्मार्ट सिटी लिमिटेड के पास है। जाहिर है कि पिछले दो-तीन वर्षों से परेड ग्राउंड में सरकारी व गैर सरकारी कार्यक्रमों पर रोक है। लेकिन, इस बीच पिछले दिनों अचानक तीन बड़े प्रोग्राम आयोजित हुए। जिसमें एक मैराथन, दूसरा यूथ फेस्टिवल व तीसरा दशहरा मेला था। बताया जा रहा है कि यूथ फेस्टिवल में खुद सीएम को बतौर चीफ गेस्ट पहुंचना था, कोई आपत्ति नहीं लगी। लेकिन, दशहरा मेले पर रावण दहन कार्यक्रम में स्मार्ट सिटी ने मनाही कर दी थी।

2 कार्यक्रमों की कोई जवाबदेही नहीं
माना जा रहा है कि रावण दहन कार्यक्रम से परेड ग्राउंड को नुकसान पहुंचने के कारण स्मार्ट सिटी ने मंजूरी देने से मना किया तो आयोजक शहरी विकास मंत्री के पास पहुंचे। उसके बाद कार्यक्रम के आयोजन को मंजूरी मिल गई। लेकिन, बीते 24 सितंबर को परेड ग्राउंड में दशहरे मेले के दौरान इस कदर भीड़ उमड़ी कि इससे ग्राउंड में किए गए सौंदर्यीकरण के कार्यों को खासा नुकसान पहुंचा। यहां हरे-भरे प्लांट्स के अलावा ग्रीन ग्रास को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ। नुकसान को देखते हुए बाकायदा शहरी विकास मंत्री भी मौके पर पहुंचे।

6-7 लाख के नुकसान का अनुमान
दशहरा मेला आयोजन से कितने का नुकसान ग्राउंड में हुआ, स्मार्ट सिटी के अधिकारी कुछ बताने को तैयार नहीं हैं। लेकिन, सूत्रों के अनुसार नुकसान का अनुमान करीब 6 से 7 लाख रुपये का बताया जा रहा है। दबी जुबान में अधिकारी हरी इंपोर्र्टेड घास व हरे-भरे पेड़ों को नुकसान पहुंचने की बात कह रहे हैं। स्मार्ट सिटी सूत्रों के अनुसार हरी घास, हरे-भरे पौधों के अलावा छोटी-बड़ी लाइटों को भी नुकसान पहुंचा है। जबकि, दशहरा कमेटी के पदाधिकारियों का कहना है कि घास को जरूर नुकसान पहुंचा है। लेकिन, लाइटों को कोई क्षति नहीं पहुंची। इसकी वीडियो रिकॉर्डिंग तक उनके पास मौजूद है।

परेड ग्राउंड का अपना इतिहास
बताया जाता है कि राजधानी दून का परेड ग्राउंड भले ही अब बदल गया हो। लेकिन, आजादी के पहले यहां ब्रिटिश सेना की परेड हुआ करती थी। तभी इसका नाम परेड ग्राउंड रखा गया था। जब देश आजाद हुआ तो 15 अगस्त 1947 को यहां जश्न-ए-आजादी मनाया गया। आजादी के बाद परेड ग्राउंड सांस्कृतिक और सामूहिक आयोजनों का मुख्य आयोजन स्थल बन गया।

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