देहरादून, (ब्यूरो): आखिकर पुरानी तहसील कैंपस में कई महीनों से संचालित हो रही अवैध पार्किंग पर प्रशासन ने रोक लगा दी है। मंडे को बाकायदा प्रशासन की ओर से इस पार्किंग में किसी भी वाहन की एंट्री नहीं दी गई। बताया गया है कि कई वाहन यहां तक पार्किंग के लिए पहुंच रहे थे, लेकिन, पार्किंग में किसी भी वाहन को प्रवेश नहीं दिया गया। इसको देखते हुए कई वाहन यहां से वापस गए और कइयों ने अपने वाहन बाहर ही खड़े कर दिए। ये बताया जा रहा है कि प्रशासन ने फिलहाल व्यवस्था न बन पाने तक इस पार्किंग पर रोक लगा दी है।
मंडे को पार्क नहीं हुए वाहन
मंडे को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने इस खबर का प्रमुखता से प्रकाशित किया था। ये बताने की कोशिश की गई थी कि जब पुरानी तहसील परिसर में पार्किंग के लिए गत करीब 10 महीनों से पार्किंग के लिए कोई टेंडर फ्लोट ही नहीं हुआ है तो यहां इस पार्किंग का संचालन कौन कर रहा है। जबकि, यहां पर हर रोज दर्जनों की संख्या में वाहन पार्क होते हैं और वाहन चालकों से पार्किंग शुल्क भी वसूला जाता है। बहरहाल, मंडे सुबह प्रशासन ने इस पर रोक लगा दी है। एसडीएम सदर के मुताबिक फिलहाल पुरानी तहसील स्थित पार्किंग पर अग्रिम आदेशों तक रोक लगाई गई है।
शहर की सबसे बड़ी पार्किंग
एक अनुमान के अनुसार बताया जा रहा है कि दून शहर की ये पार्किंग सबसे बड़ी पार्किंग में शामिल है। शहर के बीचोंबीच स्थित होने के कारण यहां पर वाहनों का आना जाना लगा रहता है। मसलन, इस पार्किंग के पास में ही राजीव गांधी कॉम्प्लेक्स में तहसील है, जबकि इसी कॉम्प्लेक्स में मार्केट के अलावा कई जरूरी ऑफिस हैं, जहां लोगों की आवाजाही लगी रहती है। इसके पार्किंग से शहर का सबसे बड़ा मार्केट पलटन बाजार भी करीब में है, जिस कारण यहां पार्किंग के लिए रोज वाहनों की कतारें लगी रहती हैं।
सरकारी खजाने को भी नुकसान
बताया जा रहा है कि इस पार्किंग का कॉन्ट्रेक्ट गत वर्ष सितंबर में खत्म हो गया था। तब से लेकर ये पार्किंग विदआउट कॉन्ट्रेक्ट के संचालित हो रही थी। जबकि, यहां औसतन रोजाना करीब 100 से ज्यादा वाहनों का आना-जाना पार्किंग के लिए लगा रहता था। जबकि, एक फोर व्हीलर से 40 और टू-व्हीलर से 20 रुपए पार्किंग संचालित करने वालों से वसूले जाते थे। अंदाजा लगाया जा सकता है कि वाहनों से हर दिन और हर माह कितना पार्किंग शुल्क वसूला जा रहा होगा, जिसका नुकसान सरकारी खजाने को भी उठाना पड़ा है।
आखिर ऐसे कैसे छोड़ दी पार्किंग
एक तरफ शहर में पार्किंग को लेकर मारामारी चली है। खुद प्रशासन, पुलिस, एमडीडीए, नगर निगम व अन्य विभाग नई पार्किंग को लेकर जी-तोड़ मेहनत पर लगे हुए हैं। ऐसे में करीब 10 महीने तक इस पार्किंग की किसी को याद क्यों नहीं आई। क्या ये सिस्टम की विफलता नहीं है। शायद, इस पार्किंग को गत वर्ष तक संचालित करने वाले जिम्मेदार विभाग बेहतर जानते होंगे। लेकिन, ये सच है कि इन 10 महीनों से पार्किंग शुल्क के नाम पर वसूली जाने वाली धनराशि आखिर किसकी जेब में जा रही थी।
पार्किंग में पानी, डेंगू का खतरा
राजीव गांधी कॉम्प्लेक्स के बेसमेंट पार्किंग का हाल देखिए। एक तरफ नगर निगम व स्वास्थ्य विभाग की टीम मच्छर के लार्वा, जल जमाव व डेंगू नियंत्रण को लेकर सरकारी और गैर सरकारी मल्टीस्टोरी बिल्डिंग का चालान कर रही है। लेकिन, राजीव गांधी कॉम्प्लेक्स के बेसमेंट पार्किंग तक किसी की नजर नहीं पहुंच पा रही है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां क्या मच्छर के लार्वा के पनपने को लेकर इंकार किया जा सकता है। बावजूद इसके यहां पानी में ही पार्किंग की जा रही है।
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