देहरादून (ब्यूरो)। उत्तराखंड बेरोजगार संघ और प्रशासन के बीच फ्राइडे को हुई बैठक के बाद युवकों पर लगाई गई धारा 307 हटाने और सभी भर्ती परीक्षाओं की न्यायिक जांच करवाये जाने पर सहमति बनी थी। इसके बाद सैटरडे को सभी 13 युवाओं की जमानत के लिए कोर्ट में याचिकाएं दायर की गई। कोर्ट ने 6 युवाओं की जमानत याचिका पर सुनवाई करके उन्हें इस बिना पर जमानत दे दी कि वे संडे को होने वाली पटवारी भर्ती परीक्षा में हिस्सा ले सकें। अन्य 7 युवाओं के मामले में कोर्ट का मानना था कि वे उत्तराखंड बेरोजगार संघ का नेतृत्व कर रहे हैं और जमानत पर बाहर आकर पटवारी भर्ती परीक्षाओं के अभ्यर्थियों को भड़का सकते हैं। ऐसे में कोर्ट ने मंडे को बाकी 7 की जमानत याचिका दायर करने के आदेश दिये। हालांकि जिन 6 युवकों की जमानत मंजूर हुई, उन्होंने भी मंडे तक अन्य 7 साथियों के साथ जेल में ही रहने का फैसला किया है।
कुछ युवा अब भी धरने पर
प्रशासन के साथ हुए समझौते के बाद उत्तराखंड बेरोजगार संघ ने अपना धरना एक दिन के लिए स्थगित कर दिया था। इसके बाद धरना दे रहे ज्यादातर छात्र-छात्राएं और उन्हें समर्थन देने लोग
लेकिन कुछ युवाओं ने प्रतिनिधि मंडल के साथ हुए समझौते पर असहमति जताई और धरना जारी रखने का फैसला किया। इसके बाद 120 छात्र-छात्राओं के साथ ही उन्हें समर्थन देने पहुंचे सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों के लोग धरना स्थगित करके बाहर आ गये। जबकि असहमति जताने वाले 120 युवा पूरी रात के बाद सैटरडे को दिन भर भी धरने पर डटे रहे। वे अब भी शहीद स्थल छोडऩे के लिए तैयार नहीं हैं।
असमति के बावजूद एकजुटता
फ्राइडे को धरना स्थगित करने वाले और धरने पर जमे रहने वाले युवाओं के बीच असहमति के बावजूद एकजुटता बनी हुई है। जो युवक धरना स्थगित करके बाहर आ गये थे। उनका कहना है कि प्रतिनिधि मंडल के साथ हुए प्रशासन के समझौते को सभी को मानना चाहिए था। इसके बावजूद धरने पर बैठे हुए साथियों के साथ वे एकजुट हैं। मंडे को संघ के नेेताओं की जमानत के बाद ही आगे की रणनीति तैयार होगी। जब तक धरने पर बैठे साथी चाहें तो धरना स्थगित कर दें या फिर बैठे रहें। वे बाहर से ही उनका समर्थन करते रहेेंगे।
कोर्ट परिसर बना रहा छावनी
सैटरडे को भी कचहरी परिसर छावनी बना रहा। बाहर से किसी को किसी को अंदर जाने नहीं दिया जा रहा था। पुलिस कर्मियों ने कुछ एडवोकेट्स को भी रोकने का प्रयास किया। इस पर बार के सदस्यों और पुलिस के अधिकारियों के बीच विवाद हुआ। इस बीच बार के पदाधिकारियों और राज्य आंदोलनकारियों ने भी धरना दे रहे युवाओं को समझाने का प्रयास किया कि संघ की नई कॉल आने तक वे धरना स्थगित कर दें, लेकिन वे इसके लिए तैयार नहीं हुए।
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हम किसी भी हालत में धरना खत्म नहीं करेंगे। हम बॉबी पंवार और अन्य लोगों की जमानत होने तक यहां डटे रहेंगे। किसी भी हालत में हमारा धरना खत्म नहीं होगा।
मनीषा रावत
अच्छा ये होता कि प्रतिनिधि मंडल के साथ हुए समझौते को सभी लोग मान लेते। प्रतिनिधि मंडल का मतलब ही यही होता है। इसके बावजूद हम धरना दे रहे साथियों के साथ है।
नितिन मलेठा
फिलहाल पूरा फोकस गिरफ्तार हुए साथियों की जमानत पर है। उनके जेल से बाहर आने के बाद ही आगे की रणनीति पर विचार होगा और नये सिरे से कॉल दी जाएगी। फिलहाल हम धरने में नहीं हैं, लेकिन समर्थन पूरा है।
हिमांशु चौहान
हमें उम्मीद थी कि सैटरडे को सभी गिरफ्तार साथियों को जमानत मिल जाएगी और आगे की रणनीति पर कुछ सोचेंगे। अब मंडे के बाद ही आगे क्या करना है इस बारे में फैसला हो पाएगा।
अरुण नेगी