देहरादून (ब्यूरो)। खास बात यह निकलकर आई है, ज्यादातर दुकानदारों और खरीदारों को कैमिकल और हर्बल रंगों के बारे में बारे में जानकारी नहीं है। ज्यादातर लोगों ने हर्बल और केमिकल नाम तो सुने हैं, लेकिन उन्हें नहीं पता कि जो कलर वे खरीद रहे हैं, वह केमिकल है या हर्बल। ज्यादातर दुकानदारों को भी इस बारे में ठीक-ठाक जानकारी नहीं है। पलटन बाजार में एक दुकानदार ने बताया कि बाजार में जो रंग मिलता है, वही बेचते हैं, उन्हें नहीं पता कि हर्बल है या कैमिकल।

खतरनाक है केमिकल कलर
स्पेक्स संस्था के बृजमोहन शर्मा कहते हैं कि हर्बल और केमिकल कलर्स के बारे में जानकारी न होना बेहद चिन्ताजनक है। वे कहते हैं कि केमिकल से बनाये गये कलर शरीर को कई तरह से प्रभावित कर सकते हैं। इससे स्किन डिजीज, आंखों में जलन, अंधापन तक की नौबत आ सकती है। ये कलर कैंसर का कारण भी बन सकते हैं। ऐसे में हर व्यक्ति का यह प्रयास करना चाहिए कि होली में केमिकल कलर्स से दूर रहें।

क्या होता है केमिकल कलर्स में
- मैंचेलाइट ग्रीन
- कॉपर सल्फेट
- एल्युमिनियम ब्रोमाइड
- मरक्यूरिक सल्फाइड
- रोहडामिन बी
- क्रोमियम आयोडाइड
- मेटालिन यलो

घर में बनाएं हर्बल कलर
बृजमोहन शर्मा बताते हैं कि बाजार में बिकने वाले केमिकल वाले कलर्स को यूज करने से बेहतर है घर पर ही हर्बल कलर बनाएं। इन्हें बनाना बहुत आसान है। मसलन हरा कलर धनिया पत्ती पीसकर और छानकर उसमें आरारोट का आटा मिलाकर छाया में सुखाकर बनाया जा सकता है। हल्दी पाउडर और आरारोट का आटा मिलकर पीला रंग बनाया जा सकता है। चुकंदर के रस को आरारोट के आटे में मिलाकर हल्का गुलाबी रंग बना सकते हैं। इसी तरह दूसरे रंग भी बनाये जा सकते हैं।