देहरादून (ब्यूरो) आसन वेटलैंड में अक्टूबर में पङ्क्षरदे प्रवास के लिए आने शुरू हो जाते हैं और अप्रैल के पहले सप्ताह तक यहां पर प्रवास पर रहते हैं। आसन वेटलैंड में छह माह तक प्रवासी पङ्क्षरदों का राज रहता है, उसके बाद लोकल प्रजाति के पङ्क्षरदों का राज हो जाता है। इस वर्ष आसन रामसर साइट में 141 प्रजातियों के 5230 एशियन बर्ड आयी थीं। जिसमें से अनेक प्रजातियां देश के ठंडे इलाकों से प्रवास के लिए आयी। रविवार को नॉदर्न पिनटेल्स, नार्दन शावलर, टफ्ड डक, ग्रेट क्रेस्टेड ग्रेब, लिटिल ग्रेब, गैडवाल प्रजातियों के सभी पङ्क्षरदों ने अपने मूल स्थान की ओर कूच कर दिया था, सोमवार को तीन प्रजातियों बार हेडेड गूज, ग्रे लेग गूज, इरोशियन विजन पङ्क्षरदे अपने मूल स्थान लौट गए हैैं।

परिंदों के साथ जा रही रौनक
प्रवासी पङ्क्षरदों के लौटने से आसन वेटलैंड बेरौनक होता जा रहा है। सबसे खास बात यह है कि प्रवासी पङ्क्षरदों के प्रवास पर आने से गढ़वाल मंडल विकास निगम के आसन रिजॉर्ट की आय भी बढ़ती है। रंग बिरंगे पङ्क्षरदों को देखने के लिए भारी संख्या में पर्यटक आते हैं, जो आसन रिजॉर्ट की पैडल बोट में झील में जाकर पङ्क्षरदों को कैमरों में कैद करते हैं। चकराता वन प्रभाग की आसन रेंज के वन दरोगा प्रदीप सक्सेना के अनुसार गर्मी बढऩे के कारण उत्तराखंड के मेहमान पङ्क्षरदों के लौटने का क्रम तेज हो गया है।
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