देहरादून, (ब्यूरो): नवरात्रि के माहौल में चारों ओर भक्ति और श्रद्धा का माहौल है। हर कोई माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा में लीन है। इसी बीच, सालों पुरानी परंपरा को संजोए रखने वाले कलाकार भी रामलीला के मंच से भगवान राम और कृष्ण की लीलाओं को दर्शकों तक पहुंचा रहे हैं। मथुरा से खास तौर पर दून में ये कलाकार अपनी कला से रामायण की कहानियों को जीवंत करते हुए हमारी संस्कृति को आगे बढ़ा रहे हैं। दून में नवरात्रि के दौरान ये कलाकार अपनी पूरी तैयारी के साथ रामलीला के अलग-अलग पहलुओं को प्रस्तुत कर रहे हैं।

परंपरा को जीवित रखने का जज्बा

मथुरा और वृंदावन, जो प्रेम नगरी के नाम से जाने जाते हैं, वहां से आए कलाकारों का कहना है कि वे सालों से रामलीला और कृष्ण रासलीला का हिस्सा रहे हैं। यह उनके लिए सिर्फ एक कला नहीं, बल्कि आज की पीढ़ी को हमारी पुरानी कहानियों से जोडऩे का जरिया है। इनमे से कोई किसान, कोई स्टूडेंट है तो कोई कथावाचक है लेकिन प्रेम नगरी से आये ये कलाकार साल में एक बार रामलीला के जरिये हम सभी को अपनी संस्कृति से जोड़े हुए है।

15 से 50 साल के उम्र वाले कलाकारों का समूह

मथुरा से आई इस मंडली में 15 से 50 साल के उम्र वाले कलाकार शामिल हैं। करीब 25 लोगों की इस मंडली में कुछ कलाकार ऐसे भी हैं जो एक से ज्यादा किरदार निभाते हैं, और इन्हें ऑलराउंडर कहा जाता है। ये कलाकार 150 साल पुरानी इस परंपरा को आज भी जिंदा रखे हुए हैं। उनका मानना है कि हर किरदार से उन्हें जिंदगी के अहम सबक मिलते हैं, जो आज की पीढ़ी के लिए बेहद जरूरी हैं।

जिंदगी का पाठ सिखाती रामलीला

रामलीला में हिस्सा लेने वाले कलाकार इसे सिर्फ एक कहानी नहीं मानते। उनका कहना है कि हर साल किरदार निभाते-निभाते उन्हें जिंदगी के कई अहम पहलुओं की सीख मिलती है, उन्हें ये मालूम होता है की अपने परिवार के साथ किस तरह से प्रेम, जिसे आज के युवा अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन रामलीला के जरिये वे इन बातों को दर्शकों तक पहुंचाने में कामयाब हो रहे हैं।

कलाकारों की कहानी, उनके शब्दों में

कृष्णा भारद्वाज (राम)

राम का किरदार निभा रहे कृष्णा भारद्वाज बताते हैं कि उन्होंने 10 साल की उम्र से रामलीला में हिस्सा लेना शुरू किया। शुरुआत माता सीता के किरदार से की थी, फिर लक्ष्मण बने और अब राम का किरदार निभा रहे हैं। वे कहते हैं कि रामलीला ने सिर्फ उनकी एक्टिंग नहीं बल्कि उनकी जिंदगी को भी राम के आदर्शों के हिसाब से ढाल दिया है। वे मानते हैं कि रामायण की कहानियां हमें रिश्तों और परिवार के महत्व को समझने का मौका देती हैं।

शिवा गौर (लक्ष्मण)

लक्ष्मण का किरदार निभा रहे शिवा गौर के परिवार में उनके पापा, ताऊ और चाचा भी रामलीला का हिस्सा रहे हैं। वे भी पिछले तीन साल से इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। फिलहाल बीएससी फर्स्ट ईयर के छात्र हैं और पढ़ाई के साथ-साथ रामलीला में भी अपनी भूमिका निभाते हैं। उनका कहना है कि साल में एक बार रामलीला के जरिये उन्हें भगवान राम और कृष्ण के प्रति अपनी आस्था को दर्शकों तक पहुंचाने का मौका मिलता है। और उन्हें इस बात की ?ुशी होती है की वो अपने परिवार के परम्परा को आगे ब?ा रहे है।

प्रेम जी (रावण)

रावण का शक्तिशाली किरदार निभाने वाले प्रेम जी पिछले 4-5 साल से इस भूमिका में हैं। वे बताते हैं कि अब उन्हें रावण की हर लाइन जुबानी याद हो गई है। मंच पर दर्शक उन्हें उसी तरह देखते हैं जैसे असल रावण को देखा जाता था। लेकिन इस किरदार के जरिये उन्हें जो सम्मान मिलता है, वो उनके लिए सबसे खास है। और ये जो उन्हें मौका मिला है वो भी भगवान राम की ही कृपा है जो हर किसीको नहीं मिलता है।

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