देहरादून (ब्यूरो) अपने संबोधन में महानिदेशक शिक्षा व सूचना बंशीधर तिवारी ने कहा कि शिक्षा के साथ संपूर्ण व्यक्तित्व का विकास जरूरी है। शिक्षक और स्टूडेंट्स का संबंध भरोसे का होता है। उन्होंने रामायण का उदाहरण देते हुए कहा कि गुरु विश्वामित्र को सौंपने के बाद राजा दशरथ ने भगवान राम से कहा था कि आज से यही तुम्हारे माता-पिता हैं। यहां तक कि उनका विवाह भी उनके गुरु ने तय किया। कहा, भरोसे से मल्टीपल गेन होता है और सफलता को अचीव करने में भी कई दुश्वारियां दूर हो जाती हैं। उन्होंने अल्टीमेट स्टूडेंट्स अवार्ड जैसे कार्यक्रम के आयोजन के लिए दैनिक जागरण आई नेक्स्ट का आभार जताया। कहा, टारगेट अचीव करने में कई बाधाएं आती हैं। बहुत सारे लोगों के पास संसाधन नहीं होते हैं। लेकिन, यदि टारगेट अर्जुन की तरह फोकस हो तो अभाव में भी प्रभाव आ जाता है। शिक्षा व सूचना महानिदेशक ने स्टूडेंट्स के एचीवमेंट के साथ पेरेंट्स को भी सफलता के लिए बराबर का भागीदार बताया। कहा, पढ़ाई को पढ़ा भी और गढ़ा भी होना चाहिए। केवल किताबी ज्ञान सब कुछ नहीं है, व्यवहारिक ज्ञान भी जरूरी है।

हार्डवर्क का कोई सब्स्टीट््यूट नहीं
बतौर स्पेशल गेस्ट एसएसपी एसटीएफ आयुष अग्रवाल ने कहा कि हार्डवर्क का कोई सब्स्टीट्यूट नहीं है। बशर्ते, इसके लिए आपको पहले से ही अपना गोल तय करना होगा। उन्होंने आईपीएल प्लेयर्स व बॉलीवुड एक्टर और एक्ट्रैस का जिक्र करते हुए कहा कि उन्हें भी सफलता हासिल करने के लिए मेहनत करनी पड़ती है। स्टूडेंटस को कहा कि उनके लिए आगामी दो-तीन साल बेहद निर्णायक हंै। कहा, पहले सोशल मीडिया नहीं था। लेकिन, अब है तो इसके फायदे भी हैं और नुकसान भी। उन्होंने कहा कि ये भी तय होता है कि आपका फ्रेंड सर्किल कैसे लोगों के साथ है। यही वह उम्र है, जिसको संवेदनशील कहा जाता है। कहा, कई युवा गलत साथ के चलते ड्रग्स एडिक्ट हो रहे हैं। इस पर ध्यान देने की जरूरत है।

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