देहरादून, ब्यूरो:
दोपहर करीब डेढ़ बजे दून हॉस्पिटल की इमरजेंसी में पेशेंट कभी नर्सिंग डिपार्टमेंट तो कभी वार्ड ब्वॉय से पूछ रहे थे कि डॉक्टर कब आयेंगे। यहीं नहीं, कई पेशेंट तो भर्ती तक नहीं किए थे। पेशेंट्स का तो यह भी आरोप था कि कई पेशेंट्स को केवल डॉक्यूमेंट के नाम पर घुमा रहे हैं। जिससे पेशेंट के तीमारदारों को फजीहत उठानी पड़ रही है। जबकि, ट्यूजडे दोपहर सवा तीन बजे सीएम ने हॉस्पिटल का निरीक्षण कर व्यवस्था बनाने और मरीजों की समस्या का समाधान करने के निर्देश दिए थे।
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18 घंटे बाद भी नहीं मिला ट्रीटमेंट
देहराखास निवासी खुशबु को 24 घंटे बाद भी उपचार नहीं मिल सका। उसकी बहन खुशी बहन के ट्रीटमेंट के लिए कभी नर्स तो कभी वार्डब्वॉय को बार-बार कहती रही। खुशी का आरोप था कि उसकी बहन को उल्टी व पेट दर्द के कारण वे बीती रात 10 बजे हॉस्पिटल के इमरजेंसी में लेकर पहुंचे थे। हॉस्पिटल की इमरजेंसी में आने के बाद से अब तक किसी भी डॉक्टर ने उनकी जांच नहीं की। यहीं नहीं अब तक खुशबू को भर्ती भी नहीं किया। जबकि उसके पेट में दर्द और उल्टी बंद ही नहीं हो रही।
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लगाया अनदेखी का आरोप
सुबह 4 बजे उत्तरकाशी निवासी सज्जनलाल अपने भाई को लेकर पहुंचे थे। सज्जनलाल का आरोप है उनके पेशेंट को मशीन लगाने के बाद से अब तक कोई भी पड़ताल करने नहीं आया। उन्होंने सवाल उठाया कि केवल मशीन लगाने के बाद हॉस्पिटल स्टाफ की जिम्मेदारी खत्म हो जाती है? पहले तो ऐसा नहीं था। 15 साल पहले यहां की व्यवस्था दुरुस्त थी, अब सब बेकार हो गया।
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कराया दूसरे हॉस्पिटल रेफर
सुबह करीब 9 बजे कांवली निवासी एक महिला को उसका भाई दून हॉस्पिटल की इमरजेंसी में लेकर पहुंचा। बताया जा रहा है कि महिला व उसके पति के बीच झगड़ा हुआ तो महिला ने स्प्रिट पी लिया। जिससे महिला की तबियत बिगड़ी तो उसके परिजन उसे दून हॉस्पिटल लेकर पहुंचे। महिला के भाई का आरोप है कि महिला को भर्ती करने के बाद से एक बार इंजेक्शन देने के बाद से अब तक कोई देखने नहीं आया। बहन को तड़पता देखकर वह उसे डिस्चार्ज करा कर प्राइवेट हॉस्पिटल ले गया।
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हम सुबह पांच बजे से आए हैं। लेकिन मेरे बेटे को देखने कोई नहीं आया है। कौन देखेंगे यह भी पता नहीं चल पा रहा है। हम तो बस डॉक्टर का इंतजार कर रहे हैं।
साजना, तीमारदार
मेरी बहन के पेट में दर्द और बार-बार उल्टी हो रही है। उसकी हालत खराब हो रही है। लेकिन, यहां सिर्फ लिटा दिया है। एडमिट नहीं कर रहे हैं। अब हम किससे गुहार लगाएं, समझा नहीं आ रहा।
खुशी, तीमारदार
हम चमोली से आए है। उपचार शुरू करने के बजाय इधर उधर घुमा रहे हैं। जबकि सबसे पहले हॉस्पिटल प्रबंधन को पेशेंट का उपचार शुरू करना चाहिए।
मनोज चिंदोला, तीमारदार
मैं अपने भाई को लेकर उत्तरकाशी से सुबह 4 बजे यहां पहुंचा हूं। लेकिन, केवल मशीन लगाने के बाद यहां कोई पूछने नहीं आया।
सज्जनलाल, तीमारदार
हॉस्पिटल में स्टाफ की कमी के कारण यह दिक्कत झेलनी पड़ रही है। इसके बाद भी व्यवस्था बनाए जाने के निर्देश है। लेकिन, ऐसा हुआ है तो इसकी जांच की जाएगी।
डॉ। आशुतोष सयाना, प्रिंसिपल दून मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल