-पहली बार नगर निगम की बड़ी कार्रवाई, 23 अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कराया केस दर्ज
- खलंगा स्मारक के पास 29 अप्रैल को हटाई गई बस्ती फिर बस गई थी
- दोपहर 2:45 बजे डीएम से की गई थी शिकायत, 4:15 पर बुलडोजर लेकर पहुंची टीम
देहरादून (ब्यूरो): जगह-जगह से अतिक्रमण हटाया जा रहा है। दून में भी बड़े स्तर पर अतिक्रमण हटाया जा रहा है, लेकिन नगर निगम की लापरवाह कार्यशैली के चलते अतिक्रमणकारी फिर से कब्जे कर रहे हैं। ऐसा ही एक मामला सेटरडे को सामने आया है, जिस पर तत्काल एक्शन लेते हुए अतिक्रमण हटाया गया। सवाल यह है कि अतिक्रमण हटाने के बाद भी कब्जे कैसे हो रहे हैं। जमीन कब्जाने में सफेदपोशों की शह बताई जा रही है। सेटरडे को जब झोपडिय़ां हटाई जा रही थी तो कई लोग विधायक और मंत्री से शिकायत करने की बात कर रहे थे। हालांकि कई लोग नगर निगम के कर्मचारियों की मिलीभगत इसमें बता रहे हैं। अतिक्रमण हटाने वाली
डेढ़ घंटे में कार्रवाई, 23 के खिलाफ मुकदमा दर्ज
सेटरडे को पहली बार शिकायत के डेढ़ घंटे के भीतर सरकारी जमीन से अतिक्रमण ध्वस्त किया गया। 28 अप्रैल 2023 को दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने खबर प्रकाशित करने के बाद 29 अप्रैल को खलंगा युद्ध स्मारक से लगती हुई सरकारी जमीन पर नगर निगम की टीम ने 32 झोपडिय़ां ध्वस्त कर अतिक्रमण हटाया था। सेटरडे को दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम को पता चला कि इस जगह पर फिर से कब्जे हो गए। टीम दोपहर 2:40 बजे मौके पर पहुंची। देखा तो पूर्व की तरह जमीन पर फिर झोपडिय़ां बनी मिली। कुछ झोपडिय़ां और भी बगल में बन रही थी। टीम ने इसकी सूचना 2:45 मिनट पर डीएम सोनिका को दी, जिस पर एक्शन लेते हुए डीएम ने नगर आयुक्त को तत्काल अतिक्रमण ध्वस्त कर कार्रवाई के निर्देश दिए। बिना समय गंवाए नगर निगम के कर अधीक्षक भूमि राहुल कैंथोला, कर अधीक्षक भूमि दीपेंद्र बमोला, प्रवीण कठैत, नेपाल सिंह मय पुलिस टीम के साथ 4:10 बजे जेसीबी लेकर मौके पर पहुंचे और एक के बाद एक 30 से अधिक झोपडिय़ां तोड़ डाली। जबकि कुछ झोपडिय़ां बन ही रही थी। इस दौरान लोगों ने विरोध भी किया, लेकिन जेसीबी नहीं रूका। अब फिर से कब्जे न हो इसके लिए निगम ने पहली बार 23 लोगों के खिलाफ रायपुर थाने में मुकदमा दर्ज कराया है।
न पैमाइश और न ही की बाउंड्रीवॉल
जिन सरकारी जमीनों से नगर निगम उसकी न तो पैमाइश कर रहा है और न ही बाउंड्रीवॉल लगाई, जिससे अतिक्रमणकारी फिर खुलेआम कब्जा कर रहे है, लेकिन नगर निगम कार्रवाई के बजाय मौन साधे हुए है। दोबारा अतिक्रमण के पीछे नगर निगम के कर्मचारियों की मिलीभगत सामने आ रही है। सवाल यह है कि क्या नगर निगम और जिला प्रशासन इसका संज्ञान लेगा। क्या अतिक्रमणकारियों के मिलीभगत करने वाले कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई होगी।
लाखों में बेच रहे सरकारी जमीन
कब्जे हटाने के दौरान पता चला कि किसी ने दो-दो लाख तो किसी ने चार-चार लाख रुपये नगर निगम की जमीन बेच दी। एक व्यक्ति ने आकर लोगों को भड़काने लगा। जब टीम ने पूछा तो उसने अपने को भारत सरकार का अफसर बताया। बाद में जब पुलिस आई तो वह भाग निकला। सवाल यह है कि वे कौन लोग है जो पैसा लेकर सरकार जमीन पर बाहरी लोगों को बसाया जा रहा है। यहां भी कई लोगों ने झोपडिय़ां बनाकर पूर्व की तरह किराया पर दी है।
30 बीघा से अधिक पड़ी है लावारिश
सरकारी जमीनों पर कब्जे होते रहे और नगर निगम के अफसर-कर्मचारी सोते रहे। एकता विहार में खलंगा युद्ध स्मारक और धरना स्थल से लगी करोड़ों रुपये की बेशकीमती जमीन पर प्रोपर्टी डीलरों की नजर है। ये पहले ग्राम समाज की जमीन थी। इस एरिया को नगर निगम में शामिल हुए दशक हो गया, लेकिन निगम ने आज तक करीब 30 बीघा से अधिक इस जमीन का संज्ञान नहीं लिया।
धरना स्थल से लगी जमीन पर भी कब्जे
खलंका के लगती जमीन और इसी जमीन से लगी सड़क की दूसरी ओर धरना स्थल है। धरना स्थल पर भी सरकारी जमीन कब्जे करके पक्के बहुमंजिला मकान खड़े हो गए। कुछ जमीन पर बाउंड्रीवॉल की गई है और कुछ पर बाउंड्रीवॉल की जा रही है। आज तक प्रशासन और निगम यहां पर कितनी सरकारी जमीन है और कितनी जगह पर कब्जा है।
खलंगा स्मारक से लगी जमीन से तत्काल अतिक्रमण हटा लिया गया। फिर अतिक्रमण न हो इसके लिए 23 लोगों के खिलाफ पुलिस में मुकदमा दर्ज किया गया है। तीन-चार दिन में जमीन पर तारबाड़ की जाएगी। इसी से लगी धरन स्थल की जमीन की भी पैमाइश कर तारबाड़ की जाएगी।
मनुज गोयल, कमिश्नर, नगर निगम, देहरादून
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