- रानीपोखरी की घटना के बाद पुलों के टूटने पर उठे सवाल

- पीडब्ल्यूडी के अनुसार राज्य में 235 पुल जर्जन हालत में, 17 की हालत बेहद खराब

देहरादून,

देहरादून और ऋषिकेश के बीच रानीपोखरी के पास मेन रोड का पुल ढह जाने के बाद एक तरफ जहां पहाड़ और ऋषिकेश से दून आने वालों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर दून और राज्य के अन्य क्षेत्रों में असुरक्षित हो गये पुलों को लेकर नये सिरे से चर्चा शुरू हो गई है। देहरादून में ऐसे 8 पुल चिन्हित हैं, जो असुरक्षित हैं और जिन्हें फिर से बनाये जाने की जरूरत है। जाखन नदी पर टूट चुके पुल को भी दोबारा बनाये जाने का पिछले सालों से प्रस्ताव विचारधीन था, लेकिन इस पर कोई फैसला नहीं हो पाया है।

पहले भी टूट चुके पुल

यह पहला मौका नहीं है, जब देहरादून में कोई पुल टूटा है। इससे पहले दिसंबर 2018 में वीरपुर का 115 साल पुराना पुल भी भरभराकर गिर गया था। कुछ लोग वाहन समेत गिर गये थे। इनमें से एक की डेथ हो गई थी। 90 के दशक में रिस्पना पुल भी तेज बहाव में बह गया था, जब इस पुल के बनने में कई वर्ष लग गये थे।

दून में 8 खतरनाक पुल

पीडब्ल्यूडी में कुछ समय पहले राज्यभर में पुलों की स्थिति को लेकर एक सर्वे किया था। इस सर्वे में देहरादून में 8 पुलों को असुरक्षित पुल के रूप में पहचान की गई थी। दून में बड़ासी और भोपालपानी में दो बड़े पुल हैं, जिनके पु़श्ते काफी पहले से क्षतिग्रस्त हैं।

यहां-यहां हैं अनसेफ पुल

- बांदल घाटी

- रायपुर

- डोईवाला

- मालदेवता

- बड़ासी

- भोपालपानी

ऋषिकेश से दून आना हुआ महंगा

रानीपोखरी पुल ढहने के बाद दून से दून आना महंगा हो गया है। इस रूट के ट्रैफिक को अब ऋषिकेश से नेपाली फार्म भेजा जा रहा है। नेपाली फार्म से ट्रैफिक हरिद्वार रोड से डोईवाला पहुंच रहा है। इससे अब ऋषिकेश से देहरादून की दूरी करीब 12 किमी बढ़ गई है। दूरी बढ़ने के साथ ही बस और टैक्सी-मैक्सी ने जैसे पब्लिक व्हीकल्स ने किराया बढ़ा दिया है। उत्तराखंड रोडवेज का किराया ऋषिकेश से देहरादून आईएसबीटी का किराया 90 रुपये है। इसे बढ़ाकर अब 90 रुपये कर दिया है। टैक्सी-मैक्सी वालों ने भी किराये में 20 से 25 रुपये तक की बढ़ोत्तरी कर दी है।

जौलीग्रांट पहुंचना मुश्किल

पुल टूटने से सबसे ज्यादा परेशानी ऋषिकेश की ओर से जौलीग्रांट और आसपास के गांवों में जाने वालों को हो रही है। हिमालयन हॉस्पिटल ले जाए जाने वाले पेशेंट और तीमारदारों को लंबी दूरी तय करनी पड़ रही है। जौलीग्रंाट पहुंचने के लिए ऋषिकेश से नेपाली फार्म, फिर भानियावाला और वापस ऋषिकेश रोड पर कई किमी चलना पड़ रहा है।

गिनाये जा रहे कारण

हालांकि राज्य सरकार ने पुल टूटने के कारणों की जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया है। इसके बावजूद दो दिन से सोशल मीडिया पर पुल टूटने के कई तरह के कारण गिनाये जा रहे हैं। कुछ लोगों का मानना है कि जाखन नदी में पुल के आसपास अवैध रूप से किया जाने वाला खनन इसका कारण है। आरोप है कि यहां नियमों के विपरीत पोकलैंड मशीन लगाकर रेत-बजरी का खनन किया जा रहा था।

सेफ्टी ऑडिट पर सवाल

इस बीच पूर्व सीएम हरीश रावत ने रानीपोखरी पुल टूटे जाने के लिए अवैध खनन को जिम्मेदार ठहराया है। सोशल मीडिया पोस्ट में हरीश रावत ने कहा है कि पुल का सेफ्टी ऑडिट न होना टूटने का एक कारण हो सकता है, लेकिन बड़ा और असली कारण अवैध खनन है। उन्होंने पुल के टूटने की जांच किसी बाहरी एजेंसी से करवाने की जरूरत बताई है।